तिथियों को कई रूप में ढल जाते देखा
क्षण को अगले क्षण में धँस जाते देखा
दुःख को घर में ही एक घर बनाते देखा
सुख को बस क्षितिज सा लहराते देखा
जाग्रत स्मृतिओं में सब सो गये
स्वर्ण दिन आये क्या , लो गये
हरे-हरे पत्ते झटके में यूँ झड़ जाते हैं
खिले सुन्दर फुल भी यहाँ मुरझाते हैं
तरु-कंकाल तो मिटने से भय खाते हैं
बिन हवा के ही घोंसले उजड़ जाते हैं
अनऋतु में भी रुत सारे बदल गये
स्वर्ण दिन आये क्या , लो गये
झूठ को बैसाखियों से दौड़ लगाते देखा
सच के खँडहर को यूँ ही भरभराते देखा
पंछीमन को तो जाल में फँस जाते देखा
और जाल लिए दूर कहीं उड़ जाते देखा
जो नहीं हैं हाय ! हम वही हो गये
स्वर्ण दिन आये क्या , लो गये
काल के अजनबी भँवर जब पड़ जाते हैं
कई-कई शिखर अनजीते ही रह जाते हैं
पाँव तले हर पड़ाव भी खिसक जाते हैं
और हार को हार बना गले लटकाते हैं
पानी देखते ही वाह! प्यास हो गये
स्वर्ण दिन आये क्या , लो गये .
वक़्त के हाथों कठपुतली और दुनिया के हाथों में खिलौना ....
ReplyDeleteयही प्रारब्ध है ....!!
गहन गंभीर .....अध्ययन ...जीवन का ...!!
बहुत सुंदर रचना ....!!
तिथियों को कई रूप में ढल जाते देखा
ReplyDeleteक्षण को अगले क्षण में घंस जाते देखा
दुःख को घर में ही एक घर बनाते देखा
सुख को बस क्षितिज का लहराते देखा..
... जीवन की क्षणभंगुरता के बीच दुःख-सुख के पलों की नश्वरता की ओर संकेत करती रचना बहुत कुछ सोचने पर बाध्य करती हैं..
मेरा मानना है दुःख है तो तभी सुख का अस्तित्व है..धुप है तो छाव भी है..
बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
आपको भी सपरिवार नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
jab jivan mei bahut adhik dukh aaye tho samjh lena chahiye ki ab sukh aane ko hai .....har rat ke bat savera hona hi hain..
ReplyDeletewish u happy new year
हर दिन में झाँका और पाया,
ReplyDeleteहर दिन पहले ही जैसा था।
सुन्दर,बेहतरीन,लाजबाब.
ReplyDeleteअमृता जी आपका नही कोई जबाब
आभार जी बहुत बहुत आभार.
हर दिन में झाँका और पाया,
ReplyDeleteहर दिन पहले ही जैसा था।
बहुत सुंदर रचना
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: आ,साथी नव वर्ष मनालें......
बहुत खूब! लाज़वाब प्रस्तुति..नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteसादर
बहोत अच्छी लगी ।
ReplyDeleteहिंदी ब्लॉग
हिन्दी दुनिया ब्लॉग
भावपूर्ण रचना. आभार
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें.
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएँ।
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति.........नववर्ष की शुभकामनायें.....
ReplyDeleteसारी समस्याएं अपनी ही बनाई लगती हैं अमृता जी। न हमारी जीवन-शैली बदलेगी,न जीवन के स्वर्णिम पलों को हम जी पाएंगे। आइए,नववर्ष में एक नई शुरूआत का संकल्प लें।
ReplyDeleteसुन्दर अभिवयक्ति....नववर्ष की शुभकामनायें.....
ReplyDeleteनववर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं......
ReplyDeleteसंकल्प के व्यूह से अलग रहो
ReplyDeleteक्या अच्छा है क्या बुरा समझो
चयन करो , कदम उठाओ
नया वर्ष तुम्हारा है ..... विश्वास रखो
सुंदर रचना।
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को भी नव वर्ष की शुभकामनाएं......
नया साल आपके जीवन में समृध्दि और खुशहाली लेकर आए.....
नये वर्ष की शुभकामनायें।
ReplyDeleteसुन्दर कल्पना....
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
ReplyDeleteभावपूर्ण अंदाज
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाएं
नव वर्ष की असीम शुभकामनाये आपको और आपकी समर्थ लेखनी को .
ReplyDeleteन जाने कितने वर्ष से नववर्ष मनाते और उसे जाते देखा। बढिया रचना के लिए बधाई।
ReplyDeleteअमृता जी, अपने काव्य के माध्यम से जिस सच्चाई को अपने बयान किया है, वह हर दिल को सालती है.. पर पता नहीं किस भ्रम में जिए जाते हैं सभी... बहुत सुंदर दिल के करीब ले जाती हुई रचना...
ReplyDeleteवक्त रहता नहीं कभी टिककर इसकी आदत भी आदमी सी है...
ReplyDeleteप्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteनए साल की आपको हार्दिक शुभकामना.
ReplyDeletewhat i should say ?
each word is expressing the deep understanding of life. it is rally fantastic to read such poetry. i always try to run behind the each idea which catches my attention to know the diffrent perceptions it carries. so that i could find a broader view to look at things , ideas, event and people. thanks.
बहुत सुंदर,भावपूर्ण लेखनी
ReplyDeleteनया साल सुखद एवं मंगलमय हो,..
आपके जीवन को प्रेम एवं विश्वास से महकाता रहे,
मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--
नववर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteआपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ|
Amrita,
ReplyDeleteCHAAR KAVITAYEN PARHI. KABHI KABHI PARH KAR SURUR AA GAYAA. MEETHA MEETHA MEIN BAL KAA VARNAN SACH HAI, KYAA MEIN THEEK SOCH RAHAA HOON? YEH SAHI HAI KI SWARN WALE DIN JALDI BEET JAATE HAIN.
Take care
गहन गंभीर लाजवाब रचना... नववर्ष की हार्दिक शुभ-कामनाएं...
ReplyDeleteआप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteइस रिश्ते को यूँ ही बनाए रखना,
दिल मे यादो क चिराग जलाए रखना,
बहुत प्यारा सफ़र रहा 2011 का,
अपना साथ 2012 मे भी इस तहरे बनाए रखना,
!! नया साल मुबारक !!
आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ, एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से नया साल मुबारक हो ॥
सादर
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
एक ब्लॉग सबका
आज का आगरा
waqt ret ki tarah hota hain jitna pakdenge utna jaldi bhagega
ReplyDeletesundar rachna
nav varsh ki bahut bahut shubhkaamnaye
think positive
बहुत ही खुबसूरत नयी आशा नयी मुराद के साथ ये नया साल खुशियों भरा हो|
ReplyDeleteसुन्दर रचना...
ReplyDeletesundar prastuti..
ReplyDeleteनव वर्ष मंगलमय हो !
बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनाएं ....
नव वर्ष 2012 की हार्दिक शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत अच्छी भावमयी रचना .. नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
ReplyDeleteवाह! वाह! सुन्दर अभिव्यक्ति... सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeleteSundar rachna.....
ReplyDeleteNaya saal aapke jeewan mein khushiyon ki bahar laye.
naye varsh ki hardik shubhkamnayen. bahut hi achi kavita.
ReplyDeleteUtkarsh
www.utkarsh-meyar.blogspot.com
सुन्दर कविता !!
ReplyDeletesukh ko bas kshitij sa ......
ReplyDeletenaveenta liye hue hoti hain aapki rachnaayen
बहुत बढिया प्रस्तुति,सुंदर अभिव्यक्ति ......
ReplyDeleteWELCOME to--जिन्दगीं--
मन पर कभी अनचाहे मौसम घिर आते हैं अनपेक्षित अतिथि की तरह. सुंदर कविता.
ReplyDeleteदुःख को घर में ही एक घर बनाते देखा
ReplyDeleteसुख को बस क्षितिज सा लहराते देखा...
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धीर गंभीर