कभी वो करीब से गुजर गया
कभी वह और करीब हो गयी
कभी वो छेड़ गया आहिस्ते से
कभी वह भी चिढ़ा गयी उसे
कभी वो सिहरा गया प्यार से
कभी वह गुदगुदा गयी उसे
कभी वो भर लिया बाँहों में
कभी वह फिसल गयी उससे
कभी वो बना गया उसे नया
कभी वह निखर गयी उससे
कभी वो छलक गया उससे
कभी वह छिप गयी उसी में
कभी वो बह गया उससे
कभी वह समा गयी उसमें
कभी वो रच दिया उसको
कभी वह हवा सी हो गयी
यूँ ही अनवरत चलता रहता है
उनका प्रणय- सृजन और
जन्म लेती हैं कवितायें
मैं तो तन्मय हुई जाती हूँ
शब्द और चेतना के बीच
इस अद्भुत समागम में
और केवल पहनाती रहती हूँ
कविताओं के पाँव में पायल
झनक-मनक करती हुई वह
जिस ह्रदय तक पहुँचती है
अपनी निरी झणत्कार से
क्षण भर के लिए ही सही
उसे झंकृत कर जाती है .
क्या कहने
ReplyDeleteबहुत बढिया...
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
ReplyDeleteपायल की रुनक झुनक ...
ReplyDeleteचूड़ी की खनक खनक ...
मेहँदी सी लाल-लाल...
मन को मोहती ये ताल ...
गुनगुनी सी धुप में ...
कुछ गुनगुना गयी आपकी कविता ....!!
शब्द और चेतना का ये प्रेम बहुत सुंदर भाव दे रहा है ......अमृता जी ...
हर क्षण बहता कुछ अपनापन।
ReplyDeleteऔर केवल पहनाती रहती हूँ
ReplyDeleteकविताओं के पाँव में पायल....
सृजनात्मक लेखन की सार्थकता इसी में होती है. बहुत प्यारी रचना.
ब्रह्मनाद मे अवस्थित हुआ मन सबको झंकृत ही करता है।
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपने! उम्दा रचना! बधाई!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
बहुत खूब..लाज़वाब झंकार कविता की पायल की...बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति..
ReplyDeleteइस लुका छिपी में जीवन बात जाता है ... प्रणय बड़ता जाता है ... सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteकविता के पैरों में पायल....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर... लाजवाब झंकार...
बहुत खूबसूरत......भावना और कविता का सम्बन्ध सही में बहुत गहरा है.......बहुत सुन्दर पोस्ट|
ReplyDeleteमन पुलकित हो उठा इस झणत्कार से
ReplyDeleteवाह...कमाल की नज़्म कही है आपने...बधाई
ReplyDeleteनीरज
गहन भावों की हृदयस्पर्शी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह ...बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
कभी कभी की ये तन्मयता बेहद खूब सूरत लगी
ReplyDeleteमन को गुदगुदाने वाली सुंदर रचना,....क्भी२ मेरे दिल में ख्याल आता है ................,बेहतरीन पोस्ट ...
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट के लिए काव्यान्जलि मे click करे
भावातीत उदात्त ....बेखुद सी करती अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteji han is pyal ki jhankar ne chahe kshan bhar ko hi sahi hame bhi jhankrit kar diya.
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुतिकरण।
ReplyDeleteबढिया रचना।
तन्मयता भरे भाव....बहुत सुंदर
ReplyDeleteक्या लुत्फ़ आ रहा था दिलबर की दिल्लगी में
ReplyDeleteनज़रें भी थी हमीं पर पर्दा भी था हमीं से :)
मिलने , बिछड़ने , रूठने ,मनाने के इन पलों में कविताओं का जन्म लेना ...
ReplyDeleteमद्धम फुहार सी अनुभूति !
कविता का सुन्दर श्रृंगार, कविता का यह सच्चा प्यार।
ReplyDeleteझन-झन पायल का झंकार, निकले कविता दिल के द्वार।।
मनोभावों का खूबसूरत सम्प्रेषण.
ReplyDeleteवाह ! क्या कहने इस शब्द और चेतना के इश्क के जिसमें भीग जाती हैं आप और भिगो देती हैं पाठकों को...
ReplyDeleteसुंदर रचना !
ReplyDeleteआभार !!
मेरी नई रचना ख्वाबों में चले आओ
सुन्दर रचना.....
ReplyDeleteश्रृंगार भाव का सुन्दर प्रस्तुतिकरण
ReplyDeletemithi mithi kvita..
ReplyDeleteवाह ...बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
ReplyDeleteकल 24/12/2011को आपकी कोई पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
आपकी प्रेरणा और आपको भी धन्यवाद इस रचना के लिए !!
ReplyDeleteaapki rachaanaon me anokhi tajgi hai..kshan bhar ke nahi sadiyon tak jhankar paida karne ke kabliyat hai....chemistry ka practical yaad aa gaya....identification of acid and basic radicals...parinaam likhe hai prayog karte jaao aaur dekhte jaao...observation yahi milegi ..inference me kahna padega.pyar ke aasar..aaur confirmation me..pyaar ho gaya...behtari..mere blog par aapka swagat hai..sadar badhayee ke sath
ReplyDeleteयह सृजन शृंखला बढती रहे
ReplyDeleteभावों के पर्वत गढती रहे ...
सादर.
बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
bahut sundar........
ReplyDeleteआप तन्मय हैं.
ReplyDeleteतन्मय कर देती हैं.
पर मेरे ब्लॉग को 'तन्मयता'
में क्यूँ विस्मृत कर रहीं हैं,अमृता जी.
वीर हनुमान का बुलावा है आपको.
आपकी इस पोस्ट पर कुछ देरी से आने का
कारण लैपटॉप और नेट की समस्या रही.
क्षमाप्रार्थी हूँ.
आने वाले नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको.
शाश्वत
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeletejiska dar tha bedardi wahi baat ho gayi.. adbhut.. nihshabd....
ReplyDelete...और जन्म लेती हैं कवितायें
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