चिड़ियों की चीं-चीं , चन-चन
भ्रमरों का है गुन-गुन , गुंजन
कलियों की चट-चट , चटकन
मानो मंजरित हुआ कण-कण
न शीत की वह प्रबल कठोरता
न ही ग्रीष्म की है उग्र उष्णता
मद्धम- मद्धम पवन है पगता
मधुर- मधुर है मलय महकता
मधुऋतु का फैला है सम्मोहन
मंगल- मँजीरा बाजे झन-झन
ताल पर थिरके बदरा सा तन
मन-मयूर संग नाचे छम-छम
प्रकृति से मुखरित हुआ गीत
मदिर- मादक बिखरा संगीत
अँगराई लिए कह रही है प्रीत
स्वर साधो , मनतारा छेड़े मीत .