Wednesday, July 28, 2021
रूठी रहूंगी सावन से ......
Friday, July 23, 2021
गुरुक्रम हो तुम .......
Sunday, July 18, 2021
मोह लगा है ........
जबसे सोने के पिंजरे से मोह लगा है
अपना ही ये घर खंखड़ खोह लगा है
सपना टूटे , अब अपना ही सच दिखे
दिन- रात एक यही ऊहापोह लगा है
इस घर में अब उदासी-सी छाई रहती है
मेरे सुख-चैन को ही दूर भगाई रहती है
मन तो बस , बंद हो गया उसी पिंजरे में
उसे पाने की इच्छा , फनफनाई रहती है
स्तब्ध हूँ कि कैसे मैं अबतक हूँ यहाँ
जो दिखता था जीवन , यहाँ है कहाँ
छल करता हर एक सुख है , पर अब
आँखों को दिखता साक्षात स्वर्ग वहाँ
अब वही , सोने का स्वर्ग मुझे चाहिए
मदाया हुआ , उन्मत्त गर्व मुझे चाहिए
दुख में ही तो बीता हीरा जनम , अब
क्षण-क्षण छंदित मेरा पर्व मुझे चाहिए
अपना होना भी मिटाना पड़े मिटा दूंगी
सबकुछ लुटाना पड़े तो , सब लुटा दूंगी
हँसते-हँसते उस सोने के पिंजरे के लिए
पर कटाना पड़े तो , खुशी से कटा लूंगी
अभी तो उस झलकी का संयोग लगा है
जीर्ण- जगत गरल सम प्रतियोग लगा है
असमंजस में प्राण है बीते न बिताए पल
जबसे उस सोने के पिंजरे से मोह लगा है .
Sunday, July 11, 2021
प्रसन्न हूँ तो.........
प्रसन्न हूँ तो पानी हूँ
अप्रसन्न हूँ तो पहाड़ हूँ
पकड़ लो तो किनारा हूँ
छोड़ दो तो मँझधार हूँ
संग बहो तो धारा हूँ
रूक गये तो कछार हूँ
सम्मुख हो तो दर्पण हूँ
विमुख हो तो अँधार हूँ
चुप रहो तो मौन हूँ
बोलो तो विचार हूँ
फूल हो तो कोमल हूँ
शूल हो तो प्रहार हूँ
छाया हो तो व्यवधान हूँ
मौलिक हो तो आधार हूँ
संशय हो तो दुविधा हूँ
श्रद्धा हो तो उद्धार हूँ
झूठ हो तो विभ्रम हूँ
सच हो तो ओंकार हूँ .
" दारिद्र्यदु: खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता । "
*** गुप्त नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ***