अजनबी बवंडरों का कोई डर
अब न मुझको घेरता है
इस फौलादी पीठ पर मानो
हर हमला हौले से हाथ फेरता है
जो चलूँ तो यूँ लगता है कि
जन्नत भी क़दमों के नीचे है
उस आसमान की क्या औकात ?
वो तो अदब से मेरे पीछे है
इसकदर मेरे चलने में ही
कसम से ये कायनात थरथराती है
निखालिस ख़्वाब या हकीकत में
मुझसे इलाहीयात भी शर्माती है
जबान की ज्यादती नहीं ये , असल में
जवानी है , जनून है, जंग परस्ती है
मेरी मौज के मदहोश मैखाने में
मामूल मिजाजी की मटरगश्ती है
हाँ! खुद का तख़्त जीता है मैंने
और बुलंदियों पर मैं ठाठ से बैठी हूँ
मैं खुर्राट हूँ , मैं सम्राट हूँ
सोच , सिकंदर से भी ऐंठी हूँ .
इलाहीयात --- ईश्वरीय बातें
मामूल --- आशा से भरा
अब न मुझको घेरता है
इस फौलादी पीठ पर मानो
हर हमला हौले से हाथ फेरता है
जो चलूँ तो यूँ लगता है कि
जन्नत भी क़दमों के नीचे है
उस आसमान की क्या औकात ?
वो तो अदब से मेरे पीछे है
इसकदर मेरे चलने में ही
कसम से ये कायनात थरथराती है
निखालिस ख़्वाब या हकीकत में
मुझसे इलाहीयात भी शर्माती है
जबान की ज्यादती नहीं ये , असल में
जवानी है , जनून है, जंग परस्ती है
मेरी मौज के मदहोश मैखाने में
मामूल मिजाजी की मटरगश्ती है
हाँ! खुद का तख़्त जीता है मैंने
और बुलंदियों पर मैं ठाठ से बैठी हूँ
मैं खुर्राट हूँ , मैं सम्राट हूँ
सोच , सिकंदर से भी ऐंठी हूँ .
इलाहीयात --- ईश्वरीय बातें
मामूल --- आशा से भरा