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Wednesday, June 30, 2010

मसालेदार लजीज कविता .......

कुछ अति साधारण से
लोकल चलताऊ शब्दों में
दो - चार नहीं
पाँच - दस अर्थों को भर कर
मेकओवर , कॉस्टमेटिक सर्जरी करवाकर    
किसी बड़े  फैशन डिजायनर के
लेटेस्ट मॉडल का ड्रेस पहनाकर
आज की मेनकाओं की तरह
नग्नता के ठुमके लगवाकर
अवार्ड विनिंग संगीतकार के
चोरी किये गए धुन पर
कुछ बे- ताल से ताल मिलाकर
किसी बड़े ओपन स्टेडियम में 
सेलेब्रेटियों के बीच  नचवाकर
कविता तो बनाई जा सकती  है 
मसालेदार  लजीज  कविता 
देखने  सुनने  वालों  के मुँह में 
कोल्ड ड्रिंक्स  वाली लार भर 
बूंद - बूंद से  प्यास  मिटा  सकती  है 
साहित्य  अकादमी  वाले  
सभ्यता  संस्कृति  के नाम पर 
शर्म की  झीनी  चदरिया  ओढ़  भी  ले
पर  ग्लोबलाइज्ड   पुरस्कारों  को
महान  कवियों  के  लाल  में भी  दम  नहीं
कि  कीर्तिमान  बनाने  से  रोक  ले

संभावनाओं के बीज

अपने  ह्रदय के उपजाऊ भूमि पर

मैं करती रहती हूँ

असीम संभावनाओं की खेती

हर बेहतर आज और कल के लिए

उम्मीदों से करती हूँ जुताई

बुद्ध , गाँधी से लेती हूँ बीज 

शांति , प्यार का करती हूँ बुवाई 

आशाओं का बनाती हूँ मेढ़

कल्पनाओं से देती हूँ उष्णता 

अनंत इच्छाएं बन बरसती हूँ 

करुणा से उसे सींचती हूँ 

आशंका , दु:स्वप्न , अनहोनी ......का 

करती रहती हूँ निराई-गुराई 

लहलहाती झूमती -गाती फसलों को 

देख खुश होती रहती हूँ 

कि कहीं पेट की आग से बचने को 

कई जिंदगियां कर लेते हैं 

स्वयं ही सामूहिक अंत 

होने लगती है ऑनर किलिंग 

कोई लिख जाता है..' आई  क्वीट '

कहीं मनाई जाती है दीवालियाँ

तो कहीं खेली जाती है खून से होलियाँ 

अतिवृष्टि , अनावृष्टि कर देते हैं 

मेरे फसलों को बर्बाद ....

एकबारगी मेरा ह्रदय हो जाता है बंजर 

और मैं फिर से जुट जाती हूँ 

संभावनाओं के बीज की खोज में   . 

Monday, June 28, 2010

अनुभूति

विश्वास की लाल कालीन पर

निराशाओं के बिखेरे फूलों पर

आशाओं को आँखों में भरे हुए

चलते जाना नियति है या मज़बूरी

कि एक दिन मानवता की

खुबसूरत कल्पनाएँ सच हो जाएँगी

जिस प्यार दोस्ती की बातें

अमन चैन की बातें

शांति सुकून की बातें

हरियाली खुशहाली की बातें

समानता स्वतंत्रता की बातें

वाद -विवाद करने योग्य

मुद्दा नहीं रह जायेंगे

इन मुद्दों का हो जायेगा

उन्नमूलन इनके जड़ों से

फिर तो हमारी कल्पनाएँ

केवल एक ही रहेंगी

कि धरती की इस सुन्दरता को

और कैसे निखारा जाये

और हमारे पास केवल

एक ही भाव बचेंगे

अनुभूति केवल आनंद की

अनुभूति.... अनुभूति

और धरती सही मायने में

स्वर्ग हो जाएगी .