विश्वास की लाल कालीन पर
निराशाओं के बिखेरे फूलों पर
आशाओं को आँखों में भरे हुए
चलते जाना नियति है या मज़बूरी
कि एक दिन मानवता की
खुबसूरत कल्पनाएँ सच हो जाएँगी
जिस प्यार दोस्ती की बातें
अमन चैन की बातें
शांति सुकून की बातें
हरियाली खुशहाली की बातें
समानता स्वतंत्रता की बातें
वाद -विवाद करने योग्य
मुद्दा नहीं रह जायेंगे
इन मुद्दों का हो जायेगा
उन्नमूलन इनके जड़ों से
फिर तो हमारी कल्पनाएँ
केवल एक ही रहेंगी
कि धरती की इस सुन्दरता को
और कैसे निखारा जाये
और हमारे पास केवल
एक ही भाव बचेंगे
अनुभूति केवल आनंद की
अनुभूति.... अनुभूति
और धरती सही मायने में
स्वर्ग हो जाएगी .
और धरती सही मायने में
ReplyDeleteस्वर्ग हो जाएगी
उज्जवल कामना ....प्रभु आपके जीवन में ,लेखन में अपना सारा आशीष उड़ेल दें....
बधाई ऐसे सुविचार के लिए और शुभकामनायें इनकी सफलता के लिए ...
अनुपमा जी इच्छा अनुसार ये आशीष हाज़िर है . मेरा भी आशीष . सर्वे भवन्तु सुखिनः .
ReplyDeleteऔर हमारे पास केवल
ReplyDeleteएक ही भाव बचेंगे
अनुभूति केवल आनंद की
अनुभूति अनुभूति
और धरती सही मायने में
स्वर्ग हो जाएगी
बहुत अच्छी लगीं यह पंक्तियाँ।
सादर
और हमारे पास केवल
ReplyDeleteएक ही भाव बचेंगे
अनुभूति केवल आनंद की
अनुभूति अनुभूति
और धरती सही मायने में
स्वर्ग हो जाएगी......प्रस्तुत पंक्तियो को पढ़ कर सच में आनंद की अनुभूति होने लगी.. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.....
सुन्दर कल्पना... सुन्दर भाव...
ReplyDeleteसादर...
...आमीन।
ReplyDeleteवाह! बहुत सुन्दर.
ReplyDeleteअनुपमा जी का आभार कि
अपनी रंगों से सजी हलचल से
आपकी इस पोस्ट पर पहुँचाया.
बहुत सुंदर भावों से भरी आशा जगाती पंक्तियाँ!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत भाव हैं रचना के .
ReplyDeleteआशान्वित होने पर सपने सच भी होंगे!
ReplyDeleteसुंदर!
beautiful.....
ReplyDeleteअनुभूति.... अनुभूति...
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धरती अभी भी स्वर्ग है
ReplyDeleteउन लोगों के जो सोचते हैं
वसुन्धरैव कुटुम्बकम
सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्तु निरामया ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु, मा कश्चिद् दुखभाग भवेत् ।।
वैज्ञानिक ऐसा सोचते हैं
सुन्दर शब्दों में पिरोये हुए ... सुन्दर कामना!
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