अपने ह्रदय के उपजाऊ भूमि पर
मैं करती रहती हूँ
असीम संभावनाओं की खेती
हर बेहतर आज और कल के लिए
उम्मीदों से करती हूँ जुताई
बुद्ध , गाँधी से लेती हूँ बीज
शांति , प्यार का करती हूँ बुवाई
आशाओं का बनाती हूँ मेढ़
कल्पनाओं से देती हूँ उष्णता
अनंत इच्छाएं बन बरसती हूँ
करुणा से उसे सींचती हूँ
आशंका , दु:स्वप्न , अनहोनी ......का
करती रहती हूँ निराई-गुराई
लहलहाती झूमती -गाती फसलों को
देख खुश होती रहती हूँ
कि कहीं पेट की आग से बचने को
कई जिंदगियां कर लेते हैं
स्वयं ही सामूहिक अंत
होने लगती है ऑनर किलिंग
कोई लिख जाता है..' आई क्वीट '
कहीं मनाई जाती है दीवालियाँ
तो कहीं खेली जाती है खून से होलियाँ
अतिवृष्टि , अनावृष्टि कर देते हैं
मेरे फसलों को बर्बाद ....
एकबारगी मेरा ह्रदय हो जाता है बंजर
और मैं फिर से जुट जाती हूँ
संभावनाओं के बीज की खोज में .
बहुत कुछ कहती है आपकी यह कविता।
ReplyDeleteसादर
भुत अच्चा लिखा है ..बधाई
ReplyDeletesunder bhaav,ativrishti ,anavrishti kr dete hain meri fslon ko brbaad.......fir se jut jaati hun .....sambhavnaon ke beej ki khoj mein .....
ReplyDeleteYHI JEEVAN HAI TANMAY JI
bahut hi sundar rachana hai...
ReplyDeletesambhaawnaaon ke utkrisht bij naye kal kee nai ummeed hain
ReplyDeleteसंभावनाएं कभी नहीं मरती ..बस आपकी तरह कोई उन्हें सीचने वाला चाहिए.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति.
संभावनाओं के बीज खोजना और फिर उनकी खेती करना...अनुपम सोच..सार्थक लेखन..बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteसादर बधाई
बेहतरीन !
ReplyDeleteभुत भुत अच्चा लिखा है आपने.
ReplyDeleteअमृता जी,मुझे भी खेती करना सिखला दीजियेगा न.
मुझे तो संभावनाओं के बीज आपसे ही मिल रहे हैं.
फिर बहुत बहुत अच्छे से मैं भी लिख सकूंगा जी.
koshish nahi karenge to ujde chaman ujde hi rahenge isliye koshishe karte rahna hi hamara karam hai....
ReplyDeletesunder abhivyakti.
संभावनाओं का बीज अंकुरित होने को लालायित रहता है... हमें बस धैर्य नहीं त्यागना है!
ReplyDeleteसन्देश देती लाजवाब रचना
ReplyDeleteऔर मैं फिर से जुट जाती हूँ ...
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असीम ताकत के साथ
बहुत सुन्दर एवं प्रभावशाली प्रस्तुति अमृता जी ! हमारी सारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं कि आपकी संभावनाओं की यह फसल खूब फले फूले और लहलहाए ! सकारात्मकता की राह पर अग्रसर होने को प्रेरित करती एक अनुपम रचना !
ReplyDeleteआज 21/02/2013 को आपकी यह पोस्ट (संगीता स्वरूप जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeleteकविता के भाव एवं शब्द का समावेश बहुत ही प्रशंसनीय है
ReplyDeleteमेरी नई रचना
खुशबू
प्रेमविरह
वाह अमृताजी ...आपकी रचनायें हमेशा ही बहुत सुन्दर लगीं...यह भी लाजवाब है
ReplyDelete............बेहतरीन... आपको धन्यवाद ............
ReplyDeleteआप भी पधारो आपका स्वागत है ....pankajkrsah.blogspot.com
बहुत सुन्दर प्रस्तुति अमृता जी !
ReplyDeletelatest postअनुभूति : कुम्भ मेला
recent postमेरे विचार मेरी अनुभूति: पिंजड़े की पंछी
वाह् वाह् क्या बात है
ReplyDeleteमेरे इस टिप्पणी को यूरिया उर्वरक कीटनाशक समझे
बहुत ही सुन्दर! बेहतरीन रचना।
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