निजता के आधार पर
निहायत गुप्त बातों में
बेईमानी का दिखना
प्रायः नगण्य होता है .......
पर मैं तो देखती रहती हूँ
स्वहित के मामले में
वह कैसे फन उठाती है
और मैं कितनी चालाकी से
उसकी फुफकार को
हुकुम मानते हुए उसे
दूध-लावा चढ़ाती हूँ ...........
भले ही आंतरिक रूप से कायर
पर बाह्यरूप से मैं ठहरी
अहिंसा की पुजारी
फन कुचलने से बेहतर
यही है कि उसकी
सारी सुख-सुविधा का
भरपूर ख्याल रखते हुए
अपना जंगल-राज दे दूँ ....
ताकि वह सार्वजानिक रूप से
विद्रोह न कर दे........
जिसको दबाने में कहीं
मेरी ईमानदारी की
कलई न खुल जाए .
निहायत गुप्त बातों में
बेईमानी का दिखना
प्रायः नगण्य होता है .......
पर मैं तो देखती रहती हूँ
स्वहित के मामले में
वह कैसे फन उठाती है
और मैं कितनी चालाकी से
उसकी फुफकार को
हुकुम मानते हुए उसे
दूध-लावा चढ़ाती हूँ ...........
भले ही आंतरिक रूप से कायर
पर बाह्यरूप से मैं ठहरी
अहिंसा की पुजारी
फन कुचलने से बेहतर
यही है कि उसकी
सारी सुख-सुविधा का
भरपूर ख्याल रखते हुए
अपना जंगल-राज दे दूँ ....
ताकि वह सार्वजानिक रूप से
विद्रोह न कर दे........
जिसको दबाने में कहीं
मेरी ईमानदारी की
कलई न खुल जाए .