एक जरा सी शुरूआत भी
बला की तूफ़ान ले आती है
फिर तो हलकी सी थपकी भी
जोरदार चपत लगा जाती है .
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कोई कैसे बताये कि
कौन किसपर भारी है
हँस जीते या फिर बगुला
सिक्का-उछालू खेल जारी है .
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गुदड़ी की गुत्थमगुत्थी भी
क्या खूब गुदगुदाती है
और बाँकी बर्बरता बैठकर
मजे में चने चबाती है .
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टिमटिमाती मशालों की टीमटाम
हेठी दिखा कर हेल देती है
बरजोरी में अग्निशिखाओं को भी
एकदम पीछे धकेल देती है .
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अनेक को एक ही सोंटे से
सोंटने में ही एकता है
जो ताखा चढ़ तूंबी बजाये
वो ही तुरुप का पत्ता है .