ek acchi jaankari..alankar ityadi ke bishay me jo school me padh liya wahi jaante hain..aap jaise rachnakar samay samay par kisi rachna ke madhym se sahity ke in pahluon ke baar me jaankaari dete rahenge to sahity se hamara rista aaur gahra hota jaayega,,sadar badhayee ke sath
छा गयी अमृताजी , मै कल्पना भी नहीं कर सकता था इस छोटी छोटी सी अनोखी शब्दों की माला में इतना प्यारा सा हिंदी काब्य जगत को.उपहार.इन दो शब्दों की ध्वनि पाठकों के ह्रदय में धड़कती रहेगी.शानदार.बधाई.
वाह अमृता जी ...बहुत ही सुंदर भाव ... उड़ी उड़ी फिरूँ फिरूँ .... बस गाती जा रही हूँ आपकी रचना ... आज बधाई ले लीजिये .... सुंदर ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ... ...!!
बाप रे -अर्थ अमित अति आखर थोड़े को चरितार्थ कर दिया अमृता आपने! ब्रेविटी इज द सोल आफ विट-संक्षिप्ति वक्तृता की आत्मा है - और यह भी - कवयित्री के गहने को पाठकों ने भी ग्राह्य किया ....टिप्पणियाँ बता रही हैं !
बहुत प्यारी सी रचना अमृता जी...
ReplyDeleteचली - चली
रुकूँ - रुकूँ
कली - कली
फिरूँ - फिरूँ
...यहाँ कली कली की जगह -गली गली तो नहीं लिखने को थीं आप??? या कली कली ,खिलूँ खिलूँ..???
:-)
सस्नेह
अनु
भा गया यह अंदाज
ReplyDeleteचली - चली
ReplyDeleteरुकूँ - रुकूँ
कली - कली
फिरूँ - फिरूँ
.......................
आह...
दो अक्षर...दो शब्द
दो मुखर... दो मौन
दो नयन...दो बदन
दो जीवन...दो जनम
....सिर्फ एक सवाल......
आह......
पढ़ी - पढ़ी
ReplyDeleteलिखूं - लिखूं
रची - रची
तूने - तूने
(बहुत खूब ....इतिहास रची आपने .... !)
वाह ... अनुपम भाव
ReplyDeleteआठ मात्राओं से अलंकृत प्रत्येक पंक्ति अपनी रंगत लिए है.
ReplyDeleteघड़ी-घड़ी
पगूँ-पगूँ
भरी-भरी
रहूँ-रहूँ
बहुत सुंदर.
Gaagar men saagar.
ReplyDelete............
ये है- प्रसन्न यंत्र!
बीमार कर देते हैं खूबसूरत चेहरे...
बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसतसैया के दोहरे, ज्यों नावक के तीर
देखन में छोटन लगे, घाव करे गंभीर।
पुनरुक्तिप्रकाश अलंकार का अनुपम उदाहरण ...गहन भाव समेटे प्यारी सी रचना
ReplyDeleteek acchi jaankari..alankar ityadi ke bishay me jo school me padh liya wahi jaante hain..aap jaise rachnakar samay samay par kisi rachna ke madhym se sahity ke in pahluon ke baar me jaankaari dete rahenge to sahity se hamara rista aaur gahra hota jaayega,,sadar badhayee ke sath
Deleteसुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteकुछ अलग कुछ नया.....वाह ...वाह।
ReplyDeleteवाह..
ReplyDeleteबेहतर .......बेहतर ...!
ReplyDeleteAmrita ji Namaskar..
ReplyDeleteKuch jyada hi goodh ho gayi hai rachna ...
hamare jaise pradiyon ke bus ke bahar hai isse samajhna ...
Dhanyabad
http://yayavar420.blogspot.in/
सुंदर, लाजवाब , बहुत खूब ....
ReplyDeleteऔर क्या कहूँ ! :)
शब्द कम पड़ रहे हैं .....
पीली ऊगूँ सीली बहू चली रुकूं कली फिरूं मिली कहूं खिली दिखूं घडी पगूँ भरी रहूँ
ReplyDeleteआपने मर्म स्थल को छू लिया .
छा गयी अमृताजी ,
ReplyDeleteमै कल्पना भी नहीं कर सकता था इस छोटी छोटी सी अनोखी शब्दों की माला में इतना प्यारा सा हिंदी काब्य जगत को.उपहार.इन दो शब्दों की ध्वनि पाठकों के ह्रदय में धड़कती रहेगी.शानदार.बधाई.
बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबेहतरीन अंदाज..
:-)
Amrita,
ReplyDeleteYEH DHANG BAHUT ACHCHHA LAGAA.
Take care
शब्दों का समन्वय अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट "अतीत से वर्तमान तक का सफर" पर आपका हार्दिक अभिनंदन है।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteवाह वाह... बहुत खूबसूरत निराला अंदाज़...अद्वितीय रचना... आभार
ReplyDeleteवाह अमृता जी ...बहुत ही सुंदर भाव ...
ReplyDeleteउड़ी उड़ी फिरूँ फिरूँ ....
बस गाती जा रही हूँ आपकी रचना ...
आज बधाई ले लीजिये ....
सुंदर ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति ... ...!!
अलग-थलग
ReplyDeleteअपना-अपना सा
जीवन-जीवन
सपना-सपना सा
ye to kamal kee rachna hai..shayad pahli baar padhi..aapkee progvadita ko naman.sadar badhayee ke sath
ReplyDeleteमेरी तरफ से बहुत सारी
ReplyDeleteशुभकामनाएँ!
वाह, दो शब्दों की है यह कहानी...सुंदर कविता !
ReplyDeleteएक्सेलेंट , अद्भुत . कम शब्दों में बहुत कुछ कह गई .
ReplyDeleteवाह ... बेहतरीन अभिव्यक्ति ... कुछ शब्दों में पूरे भाव ... सम्पूर्ण रचना ... लाजवाब ...
ReplyDeleteबाप रे -अर्थ अमित अति आखर थोड़े को चरितार्थ कर दिया अमृता आपने!
ReplyDeleteब्रेविटी इज द सोल आफ विट-संक्षिप्ति वक्तृता की आत्मा है -
और यह भी -
कवयित्री के गहने को पाठकों ने भी ग्राह्य किया ....टिप्पणियाँ बता रही हैं !
वाह उम्दा ...
ReplyDeleteअद्भुत लाजबाब रचना,,,,के लिए बधाई ,,,अमृता जी ,,,,
ReplyDeleteRECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
ध्वन्यात्मक प्रभाव..
ReplyDeleteवाह गजब ..
ReplyDeleteसमग्र गत्यात्मक ज्योतिष
waah gaa lene ka man karta hai. sunder. saras.
ReplyDeleteek dum alag... sabse alag:))
ReplyDeleteवाह! रचना में तो दम है, बेहतरीन रचना
ReplyDeleteशSSSSSSSSSS कोई है
वाह !अद्भुत !
ReplyDeleteनज़र नज़र ठहर जाएँ,
खुशबुओं में तैर जाएँ |
WAAH...
ReplyDeleteKAM SHABDON ME ACHCHHE BHAV...
WAAH...
ReplyDeleteKAM SHABDON ME ACHCHHE BHAV...
कमाल का शब्द चमत्कार!
ReplyDeleteशब्दों का जाल बिछा के,,,गागर में सागर भर दिया |
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा रचना...
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो,बस एक झलक-
"मन के कोने से..."
आभार..|