वह प्रकृति के
ज्यादा करीब है
थोड़ी प्राकृतिक है...
शास्त्रों/सिद्धांतों से
थोड़ी दूर है
कम शिक्षित है...
बुद्धि की भाषा
पढ़ना नहीं चाहती
कम बौद्धिक है...
तर्को/झंझटों से
भागती रहती है
कम सभ्य है...
इसलिए उसे
रोना होता है
तो रो लेती है
हॅंसना होता है
तो हँस लेती है
थोड़ी जंगली है...
बोलना होता है
तो बोल देती है
चुप रहना होता है
तो चुप रहती है
थोड़ी मूर्ख है...
सामाजिकता के हर
कठोर नियम को
बार-बार तोड़कर
वह मुक्त होती है
व अप्राकृतिक सभ्यता को
बार-बार अंगूठा दिखा
सबको मुक्त करती है
क्योंकि वह मुक्त है ...
जो बँधे हैं
बाँधते रहे उसे
अपने किसी भी
सही-गलत उपाय से
पर उसकी मुक्ति तो...
ज्यादा करीब है
थोड़ी प्राकृतिक है...
शास्त्रों/सिद्धांतों से
थोड़ी दूर है
कम शिक्षित है...
बुद्धि की भाषा
पढ़ना नहीं चाहती
कम बौद्धिक है...
तर्को/झंझटों से
भागती रहती है
कम सभ्य है...
इसलिए उसे
रोना होता है
तो रो लेती है
हॅंसना होता है
तो हँस लेती है
थोड़ी जंगली है...
बोलना होता है
तो बोल देती है
चुप रहना होता है
तो चुप रहती है
थोड़ी मूर्ख है...
सामाजिकता के हर
कठोर नियम को
बार-बार तोड़कर
वह मुक्त होती है
व अप्राकृतिक सभ्यता को
बार-बार अंगूठा दिखा
सबको मुक्त करती है
क्योंकि वह मुक्त है ...
जो बँधे हैं
बाँधते रहे उसे
अपने किसी भी
सही-गलत उपाय से
पर उसकी मुक्ति तो...