किसकी आई प्यारी चीठी?
उठी लालसा मीठी-मीठी
मीठा-मीठा दर्द उठा है
सुलगी है प्रीत की अँगीठी
किसकी आई प्यारी चीठी?
बहका फिर से तन और मन
मचला फिर से ये नव यौवन
उखड़ी ऐसी चढ़ती उमरिया
कहती बात काठ-सी कठेठी
किसकी आई प्यारी चीठी?
जब नैन लड़े तो कैसी लाज
चाहे गिर जाए कोई भी गाज
प्रीत ज्वाल धधक-धधक कर
भसम करे उमर की अमेठी
किसकी आई प्यारी चीठी?
जैसे सोलहवाँ साल लगा है
अकारथ सब मनोरथ जगा है
उँगलियाँ अनामिका से ही पूछे
किस अनामा का है ये अँगूठी?
किसकी आई प्यारी चीठी?
जबसे ऐसी-वैसी बात हुई है
विरह की भी लंबी रात हुई है
मिले वो तो हो मेरा भी सबेरा
अब रह न पाऊँ यूँ ही ठूँठी
किसकी आई प्यारी चीठी?
मन क्यों माने उमर की बात
चाहे कोई कहे उसे विजात
हाँ! प्रीत हुआ है मान लिया
जो ना मानूँ तो हो जाऊँ झूठी
किसकी आई प्यारी चीठी?
अब कोई दे कान कनेठी
या कह दे ये है मेरी हेठी
पर दर्द भी है कितना मीठा
लालसा भी है बड़ी मीठी
किसकी आई प्यारी चीठी?