अरे! ये किसकी गूँज है, मुझे किसने है पुकारा?
कि चेतना कुनकाने लगी है
स्मृतियाँ अकचकाने लगी है
विस्मृतियाँ चुरचुराने लगी है
नींद तो बड़ी गहरी है किन्तु
चिर स्वप्नों को ठुनकाने लगी है
कौन हाँक लगा मुझे है दुलारा?
ओह! ये किसकी हेरी है, मुझे किसने है पुकारा?
ये स्नेह स्वर कितना अनुरागी है
कि भीतर पूर नत् श्रद्धा जागी है
भ्रमासक्ति थी कि मन वित्तरागी है
औचक उचक हृदय थिरक उठा
आह्लादित रोम-रोम अहोभागी है
कैसा अछूता छुअन ने है पुचकारा?
आह! ये किसकी टेर है, मुझे किसने है पुकारा?
कि फूट पड़े हैं सब बेसुध गान
कण-कण में भर अलौकिक तान
जो है अद्भुत, मनोहर, अभिराम
उस अनकही कृतज्ञता को कह
किलक कर झूम रहा है प्राण
किसके प्रेम ने मुझे है मुलकारा?
अहा! ये किसकी हँकार है, मुझे किसने है पुकारा?
अरे! ये किसकी गूँज है, मुझे किसने है पुकारा?
*** मेरे समस्त प्रेमियों की बारंबार
प्रेमिल पुकार के लिए हार्दिक आभार ***
:) लाजवाब
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 16 मई 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
कुनकुनाती, अकचकाती और चुरचुराती यह अनहद-सी गूँज चिरंतन सुनाई देती रहे!!!
ReplyDeleteयह सुखदानुभति सदैव बनी रही और यूँ ही अपनी प्यारी दुनिया को खुशगवार बनाये रखे
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
अपने चाहने वालों की पुकार सुन ली गयी और जैसे नींद से जाग लेखनी उठा ली । सोच रही हूँ कि भक्तों की पुकार पर ईश्वर भी इसी तरह ,ऐसे ही भावों को मन में धारण किये हुए दौड़े चले आते होंगे ।
ReplyDeleteयदि प्रेमियों में मैं भी शामिल हूँ तो पुकार सुनने के लिए हार्दिक आभार ।
इस रचना को पढ़ तुरंत अपने ब्लॉग पर गयी । अनुमान सटीक रहा । ऐसे अनुपम उपहार पा कर इंसान धन्य हो उठता है । इस लेखन के आगे नतमस्तक हूँ । सच कहूँ तो बिना नमक की पोटली के समंदर कैसा ? पुनः आभार । आपका मेल आयी डी मिलेगा क्या ?
ReplyDeletesangeetaswarup@gmail.com
बहुत सुन्दर रचना... स्नेह
ReplyDeleteयह चिरंतन गूंज बार-बार सुनें आप और शब्दों की मधुर वर्षा में सहृदयी पाठकों को सराबोर करती रहें
ReplyDeleteएक बात और .... ये काव्य रचना पढ़ कर मुझे एक गाना याद आ गया .... ये किसने गीत छेड़ा ....सुना अवश्य होगा ।
ReplyDeleteअनंत प्रेम की गाथा कहतीं ये पंक्तियां...कि...कैसा अछूता छुअन ने है पुचकारा?
ReplyDeleteआह! ये किसकी टेर है, मुझे किसने है पुकारा?...बहुत ही सुंदर भाव अमृता जी
आपकी लिखी रचना मंगलवार 16 मई 2022 को
ReplyDeleteपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
प्रेमिल टेर का अत्यंत मधुर प्रतिउत्तर 👌👌
ReplyDeleteये बेसुध गान बड़े मनोहारी रूप में साकार हुये हैं।सुस्वागतम!अभिनन्दनं!!!🌺♥️♥️🌺🙏
दिनांक 16 की जगह 17 मई पढ़ें ।
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ReplyDeleteये स्नेह स्वर कितना अनुरागी है
कि भीतर पूर नत् श्रद्धा जागी है
भ्रमासक्ति थी कि मन वित्तरागी है
औचक उचक हृदय थिरक उठा
आह्लादित रोम-रोम अहोभागी है
कैसा अछूता छुअन ने है पुचकारा?
आह! ये किसकी टेर है, मुझे किसने है पुकारा?... वाह गज़ब लिखा।
सीले से भाव मन को छू गए।
सराहनीय सृजन।
आहा, ईश्वरीय अनुभूति हुई!!
ReplyDeleteये पुकार भी उन्हें ही सुनाई देता है जो हृदय या तो प्रेमी हो या भक्त। निशब्द हूं..आपकी सृजन प्रशंसा से परे है,नमन आपको 🙏
ReplyDeleteस्नेहिल पुकार पर मधुरम प्रेमिल उपहार
ReplyDeleteशब्द शब्द खुशबू बाँध रहे नेह के तार
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अत्यंत भावपूर्ण , स्नेह में भींगे शब्दों ने मोह लिया।
सादर।
आपका स्नेहसिक्त सृजन बहुत मनमोहक लगा..,यूँ ही भावपूर्ण सृजन से पाठकों पर स्नेहवर्षा करती रहें ।
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ReplyDeleteपुकार का प्रत्युत्तर इतने सुंदर अंदाज में मिले तो हम आजन्म पुकारते रहेंगे। अत्यंत सुंदर शब्द शिल्प किंतु कृत्रिमता कहीं भी नहीं। एक प्रतिध्वनि की तरह हृदय की अतल गहराइयों से प्रकटी हुई रचना।
ReplyDeleteअरे! ये किसकी गूँज है, मुझे किसने है पुकारा?….बहुत सुन्दर रचना और आपकी रचना के कारण हमें बहुत सुन्दर गाना भी सुनने मिला 😊
ReplyDeleteये स्नेह स्वर कितना अनुरागी है
ReplyDeleteकि भीतर पूर नत् श्रद्धा जागी है
भ्रमासक्ति थी कि मन वित्तरागी है
औचक उचक हृदय थिरक उठा
आह्लादित रोम-रोम अहोभागी है
कैसा अछूता छुअन ने है पुचकारा?
आह! ये किसकी टेर है, मुझे किसने है पुकारा?
पुकार इतनी प्रेमपूर्ण की प्रत्युत्तर में इतनी श्रद्धा!
वाह!!!!
दिल को छूती लाजवाब कृति
दिल को छूती बहुत ही भावपूर्ण रचना, अमृता दी।
ReplyDeleteये गूंज निरंतर बनी रहे … चिरंतन हम इसको सुनते रहें …
ReplyDeleteमनमोहक भाव …
ये गूंज निरंतर रहे … स्नेह चिरंतन रहे …
ReplyDeleteसुंदर भाव …
गूंज निरंतर बनी रहे … चिरंतन हम इसको सुनते रहें …
ReplyDeleteमनमोहक भाव …
नए शब्दों से परिचय हुआ ...
ReplyDeleteNice Sir .... Very Good Content . Thanks For Share It .
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बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सृजन
ReplyDeleteनिश्छल भाव से जिसने है पुकारा, उसका मन कितना जहीन होगा न ?
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