तुम्हारे हृदय में भी
आग तो सुलगती होगी
चेतना की चिंगारी
अपने चरम को
छूना चाहती होगी
तुम्हारी लवलीन लपटें
मुझसे तो कह रही है कि
तुम भी खो जाना चाहते हो .....
तो ऐ दीये !
मुझ अंधियारी की
तुम साधना करो
जिससे
तुम्हारा प्रकाश
तुमसे भी पार हो जाए
और मेरे पास !
मेरे पास तो
हर पल है तुम्हारा
और है
प्रेम भरी अनंत प्रतीक्षा
अंधकार सा ही
स्रोतहीन , शाश्वत .
दीपोत्सव की स्वर्णिम रश्मियाँ बहुविध आलोकित हो ।
***शुभ दिवाली***
आग तो सुलगती होगी
चेतना की चिंगारी
अपने चरम को
छूना चाहती होगी
तुम्हारी लवलीन लपटें
मुझसे तो कह रही है कि
तुम भी खो जाना चाहते हो .....
तो ऐ दीये !
मुझ अंधियारी की
तुम साधना करो
जिससे
तुम्हारा प्रकाश
तुमसे भी पार हो जाए
और मेरे पास !
मेरे पास तो
हर पल है तुम्हारा
और है
प्रेम भरी अनंत प्रतीक्षा
अंधकार सा ही
स्रोतहीन , शाश्वत .
दीपोत्सव की स्वर्णिम रश्मियाँ बहुविध आलोकित हो ।
***शुभ दिवाली***