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Sunday, July 11, 2021

प्रसन्न हूँ तो.........

प्रसन्न हूँ तो पानी हूँ

अप्रसन्न हूँ तो पहाड़ हूँ


पकड़ लो तो किनारा हूँ

छोड़ दो तो मँझधार हूँ


संग बहो तो धारा हूँ

रूक गये तो कछार हूँ


सम्मुख हो तो दर्पण हूँ

विमुख हो तो अँधार हूँ


चुप रहो तो मौन हूँ

बोलो तो विचार हूँ


फूल हो तो कोमल हूँ

शूल हो तो प्रहार हूँ


छाया हो तो व्यवधान हूँ

मौलिक हो तो आधार हूँ


संशय हो तो दुविधा हूँ

श्रद्धा हो तो उद्धार हूँ


झूठ हो तो विभ्रम हूँ

सच हो तो ओंकार हूँ .


 " दारिद्र्यदु: खभयहारिणि का त्वदन्या 

सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता । "

*** गुप्त नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ ***

26 comments:

  1. संशय हो तो दुविधा हूँ
    श्रद्धा हो तो उद्धार हूँ

    झूठ हो तो विभ्रम हूँ
    सच हो तो ओंकार हूँ .
    अति सुन्दर !! अद्भुत है आपकी सृजनात्मकता ।
    गुप्त नवरात्रि की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ अमृता जी ।

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  2. संशय हो तो दुविधा हूँ

    श्रद्धा हो तो उद्धार हूँ///
    झूठ हो तो विभ्रम हूँ
    सच हो तो ओंकार हूँ ///
    रचना विशेष के साथ ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति पर हार्दिक अभिनन्दन प्रिय अमृता जी | जीवन के दोनों रंग , दोनों आशाओं , अपेक्षाओं को मुखरित करती सुंदर रचना | अपनी पहचान आप है आपका सृजन आपको भी गुप्त नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |

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  3. आदरणीया अमृता जी, जितना मुझे ज्ञात है कि प्रत्यक्ष नवरात्रि में देवी के नौ रूप और गुप्त नवरात्र में 10 महाविद्या की पूजा की जाती है। इस नवरात्रि में विशेषकर शक्ति साधना, तांत्रिक क्रियाएं, मंत्रों को साधने जैसे कार्य किये जाते हैं। इस नवरात्र में देवी भगवती के भक्त, कड़े नियम के साथ पूजा-अर्चना करते हैं तथा मंत्रों, तांत्रिक क्रियाएं और शक्ति साधना की मदद से लोग दुर्लभ शक्तियां अर्जित करना चाहते हैं।
    आपने अपनी रचना के माध्यम से इसकी जानकारी बेहतरीन लहजे में दी है।

    " दारिद्र्यदु: खभयहारिणि का त्वदन्या

    सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता । "

    गुप्त नवरात्रि की आपको भी हार्दिक शुभकामनाएँ

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  4. इसलिए न दुखी होना है, न रुकना है, न विमुख होना है न उसे छोड़ना है, न विचारों में फ़ंसना है न संशय का शिकार होना है न काँटा बनकर किसी को चुभना है न मूल से पृथक होना है, सत्य को पाना हो तो यह सब तो करना ही पड़ेगा!

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 13 जुलाई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. सुन्दर अभिव्यक्ति!! आपको पढ़ना ओंकार पाने जैसा ही अनुभव है!!

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  7. अद्भुत ,कितनी गहनता से लिखा आपने।
    कभी कभी निःशब्द होकर शब्द सुनना अलग अनुभूति प्रदान करता है।

    सादर।

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  8. अभिनन्दन ! सारगर्भित भावांजलि !

    मन लहर-लहर हो गया पढ़ कर.
    सूरज चमका घटा से निकल कर.

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  9. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (१४-०७-२०२१) को
    'फूल हो तो कोमल हूँ शूल हो तो प्रहार हूँ'(चर्चा अंक-४१२५)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  10. हर एक पंक्ति गहराई से सोचने योग्य
    बहुत सुंदर रचना।

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  11. हर पंक्ति लाजवाब,गहन और प्रवाहमय,मैं तो डूब गई।

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  12. कितनी संशय की स्तिथियों पर प्रकाश डाल दिया है ।

    समझ लो तो ज्ञान हूँ
    न समझो तो अज्ञान हूँ ।

    अद्भुत लेखन

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  13. फूल हो तो कोमल हूँ

    शूल हो तो प्रहार हूँ

    वाह!!!्
    बहुत ही सारगर्भित

    या हो तो व्यवधान हूँ
    मौलिक हो तो आधार हूँ
    लाजवाब सृजन।



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  14. शुभ संध्या..
    चुप रहो तो मौन हूँ
    बोलो तो विचार हूँ
    व्वाहहहहह..
    सादर..

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  15. चुप रहो तो मौन हूँ

    बोलो तो विचार हूँ



    फूल हो तो कोमल हूँ

    शूल हो तो प्रहार हूँ

    बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण

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  16. चुप रहो तो मौन हूँ
    बोलो तो विचार हूँ
    फूल हो तो कोमल हूँ
    शूल हो तो प्रहार हूँ

    बहुत ही उम्दा रचना

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  17. एक एक पंक्ति अपना गहन अर्थ लिए है
    शिव की महिमा क्या क्या हैं लिख नहीं सकते..
    आपकी ये रचना शिव के बहुत करीब पहुंचा देती है.

    नई पोस्ट पौधे लगायें धरा बचाएं

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  18. अद्भुत सृजन ...हार्दिक बधाई!

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  19. वाह अद्भुत रचना।

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  20. सहजता का आनंद !

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  21. होने न होने के बीच क्या हूँ ... जो भी हूँ बस खुदा हूँ ...
    खूबसूरत अंदाज़ बात कहने का ....

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  22. बेहद खूबसूरती से जीवन जीने की बात कह दी
    अच्छी रचना

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  23. देखो तो देह हूँ
    महसूसो तो आत्मा!.. बहुत सुंदर दर्शन!!

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  24. सम्मुख हो तो दर्पण हूँ

    विमुख हो तो अँधार हूँ

    बहुत सुन्दर सृजन

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