चिड़ियों की चीं-चीं , चन-चन
भ्रमरों का है गुन-गुन , गुंजन
कलियों की चट-चट , चटकन
मानो मंजरित हुआ कण-कण
न शीत की वह प्रबल कठोरता
न ही ग्रीष्म की है उग्र उष्णता
मद्धम- मद्धम पवन है पगता
मधुर- मधुर है मलय महकता
मधुऋतु का फैला है सम्मोहन
मंगल- मँजीरा बाजे झन-झन
ताल पर थिरके बदरा सा तन
मन-मयूर संग नाचे छम-छम
प्रकृति से मुखरित हुआ गीत
मदिर- मादक बिखरा संगीत
अँगराई लिए कह रही है प्रीत
स्वर साधो , मनतारा छेड़े मीत .
sundar rachna.basant ki aahat...
ReplyDeleteसच में प्रकृति कुछ इसी तरह के भाव से मुखरित हो उठती है ....
ReplyDeleteमादकता लिए हुए बयार जब चलती है ...उन्मत्त हो उठता है मन ....बसंत का यही भाव तो है ...!!
आपकी लेखनी को माँ का वृहद् हस्त प्राप्त है ....निरंतर प्रगति के लिए अनेक शुभकामनायें ...
मधुऋतु का फैला है सम्मोहन
ReplyDeleteमंगल- मँजीरा बाजे झन-झन
ताल पर थिरके बदरा सा तन
मन-मयूर संग नाचे छम-छम
फूल फूल डाली डाली महके चहके ... ऋतुराज बसंत के आने की अलाकिक छटा
प्रकृति पूर्ण मदमायी इस क्षण..
ReplyDeleteमन को झंकृत करती रचना ..मनतारा ..बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteआप और आपकी लेखनी पर माँ सरस्वती की कृपा सदा बनी रहे..
शुभकामनाएँ...
basant ka sundar chitran .....bahut sundar !!!
ReplyDeleteबहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
Amrita,
ReplyDeleteSAB KI SAB REH GAYEE KAVITAYEIN PARHI. HAIYYA HO BAHUT HI UTSAH DILANE WALI HAI AUR FARMA AAJ KE ROZ KE MARAA MARI KA SUNDAR VARNAN HAI. BASANT RITU KA VYAKHYAN BAHUT ACHHI TAREHAN KIYAA HAI AAPNE.
Take care
वसंत ऋतु के रंगों से निस्सृत सुंदर कविता.
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeletebahut khoob
http://drivingwithpen.blogspot.com/
वासन्तिक रंगो से सराबोर्।
ReplyDeleteबसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बसंत की छटा बिखर रही है ...बहुत मनमोहनी रचना है
Deleteman mein rang bhar gayee
ReplyDeletebasant par rachnaa
बढिया रचना।
ReplyDeleteवसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।
बसन्त पंचमी की शुभकामनाएं .
ReplyDeleteमाँ सरस्वती की कृपा आप पर सदैव ऐसी ही बनी रहे .
सभी गीतों की तरह यह भी सुगढ़ रचना .
अशआर आपके अवलोकन के लिए मेरे ब्लॉग पर
मन क्यों न उमड़े, वसंत आया है। आपको वसन्त पंचमी की मंगलकामनाएँ!
ReplyDeleteमनतारा छेड़े गीत...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर !
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति
ReplyDeleteआज चर्चा मंच पर देखी |
बहुत बहुत बधाई ||
सुंदर वासंतिक रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मनोहारी चित्रण
ReplyDeleteसबकुछ एकदम नाचता .जगमगाता सा
खुशनुमा अहसास से भरपूर सुन्दर रचना है
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ ....
माता सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहे...
अरे वाह...वसंत ऋतु की कविता..
ReplyDeleteवैसे आज ही मालुम चला की पटना का मौसम बेहद अच्छा हो गया है आजकल :)
अच्छी रचना, बहुत सुंदर
ReplyDeleteखूबसूरत रचना ...
ReplyDeleteप्रकृति का बहुत सुन्दर शब्द चित्र, बसन्त की तरह मनभावन...
ReplyDeleteमनतारे पर सुंदर गीत ।
ReplyDeleteमादकता से बोराया तनमन .बस तन्मय हो गया .
ReplyDeleteबसंत का अदभुत वर्णन...
ReplyDeleteलो फिर बसंत आई....
ReplyDeleteबहोत अच्छे ।
ReplyDeleteनया ब्लॉग
http://hindidunia.wordpress.com/
प्रकृति का संगीत मन के तारों को झंकृत करता है।
ReplyDeleteAre u in Facebook or in twitter I want to follow you Over t......................
ReplyDeleteवसंत के भव्य एवं विस्तृत रूप का चित्रण
ReplyDeleteकोमल शब्दों व ध्वन्यात्मकता ने मन झंकृत कर दिया.वाह !!!!!!
ReplyDeleteसुंदर शब्दावली व कोमल पदावली ने वसंत को मुखरित कर दिया...आभार!
ReplyDeleteपीताम्बर ओढे हुए धरती मधुमास है
ReplyDeleteअंबर की छांव तले छाया उल्लास है
बसंत का सुन्दर और मनमोहक चित्रण करती ये सुन्दर कविता....बहुत खूब|
ReplyDeleteबसंत की सुंदर छटा बिखेरती बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति,बधाई
ReplyDeletewelcome to new post --काव्यान्जलि--हमको भी तडपाओगे....
ऋतुराज का सुन्दर स्वागत ....
ReplyDeleteबसंत ऋतु का स्वागत करती सुन्दर रचना. जिसमे पंछियों का कलरव है और प्रकृति की सुन्दरता से भाव विभोर मन की सटीक अभियक्ति भी.
ReplyDeleteख़ूबसूरत एवं मनमोहक गीत! मन प्रसन्न हो गया!
ReplyDeletebahut hi sundar aur manbhaavan rahna.....
ReplyDeletenaye blog par aap saadar aamntrit hai....
ReplyDeleteगौ वंश रक्षा मंच
gauvanshrakshamanch.blogspot.com
हमारे शहर में तो शीत की प्रबल कठोरता जारी है :)
ReplyDeleteमन वासंती रंग में डूबा तो वसंत कहाँ रहेगा पीछे !
सुन्दर !
bahut sundar rachna
ReplyDeleteअनुपम गीत.
ReplyDeleteपढकर मन में मधुर झंन झंन हो रही है.
आपकी काव्य प्रतिभा कमाल की है,अमृता जी.
बसंतोत्सव की शुभकामनाएँ.
स्वर साधो , मनतारा छेड़े मीत
ReplyDeleteजी कोई तो धुन छेड़ो रे साथी :)
कल 17/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बहुत ही सुन्दर वर्णन!
ReplyDeleteशब्द शब्द झनक रहे...
ReplyDeleteखूबसूरत गीत...
सादर
देर से आने के लिए माफी..प्रकृति का ्झंकृत ..बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteअँगराई लिए कह रही है प्रीत.....
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