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Friday, December 2, 2011

आयोजन

मैंने लिखना चाहा
केवल एक गीत
तुम्हारे लिए...
हर बार
सबकुछ हार कर
वही एक गीत लिखती हूँ
पर तुम्हारा रूप
और विस्तार पा जाता है
जो मेरे गीतों में
नहीं समा पाता है...
हर बार
मेरा गीत हार जाता है....
मैं फिर लिखती हूँ
नए गीतों को
जिसमें तुम्हें
पिरो देना चाहती हूँ..
लेकिन कुछ
शेष रह जाता है
जिसे मेरा गीत
नहीं अटा पाता है....
जो शेष रह जाता है
वही मुझसे
बार-बार
नये गीत लिखवाता है
मुझे स्तब्ध कर
फिर से
वही शेष रह जाता है ....
तुम्हारे लिए
मैंने लिखना चाहा था
केवल एक गीत
पर यूँ ही
मेरा सारा आयोजन 
धरा का धरा रह जाता है .

51 comments:

  1. पर मेरे पास सात सुर हैं , ... तुममें ढलते ढलते कई गीत बन गए , तो निश्चय ही एक दिन तुम्हें गीत बना लूँगी

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  2. पर यूं ही

    मेरा सारा आयोजन

    धरा का धरा रह जाता है ..

    बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

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  3. ह्रदय के प्रेमपूर्ण भावों की अप्रतिम प्रस्तुति.

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  4. अद्भुत सुन्दर कविता लिखा है आपने! बेहतरीन प्रस्तुती!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com/

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  5. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा शनिवार के चर्चा मंच पर भी की गई है! चर्चा में शामिल होकर चर्चा मंच को समृध्‍द बनाएं....

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  6. Wah....bahut sundar

    www.poeticprakash.com

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  7. उसकी अशेष व्यापकता ही सृजन का आधार है... सुन्दर रचना आदरणीया अमृता जी...
    सादर...

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  8. मैंने लिखना चाहा था,
    केवल एक गीत,
    पर यूँ ही,.....प्रेमभाव की सुंदर प्रस्तुति!!!!!!!
    मेरे नये पोस्ट में आपका स्वागत है,....

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  9. अपने ईष्ट के प्रति प्रेम प्रदर्शित करती हुई मनमोहक कविता.
    बहुत सुन्दर लिखा आपने!!

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  10. कुछ न कुछ तो शेष रहेगा,
    कह दे, तब न क्लेष रहेगा।

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  11. बहुत ही खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति......

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  12. बढ़िया प्रस्तुति ||

    बधाई ||

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  13. कविता की अनवरत कहानी ...कह दी ..

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  14. अमृता जी बहुत खूबसूरत रचना ..इसे पूरा करने के प्रयास मे गीत लिखती रहेगी तो बहुत सारे गीत बन जायेंगे तो कुछ न कुछ
    शेष रहने में भी लाभ ही है जरुरी नहीं कि एक ही गीत हो

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  15. ये शेष ही तो नव सृजन को प्रेरित करता है।

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  16. कल शनिवार ... 03/12/2011को आपकी कोई पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  17. हर बार कुछ शेष रह जाए तभी तो संभावनाएं बनी रहेंगी...!
    पूर्णता प्राप्त हो जाए फिर तो पूर्णविराम लग जाएगा न:)
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

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  18. वाह, क्या बात है
    बहुत सुंदर कविता

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  19. sundar harday ke bhaavon se paripoorn rachna.

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  20. शेष न रहे तो नव सृजन कैसे हो .... बहुत अच्छ प्रस्तुति

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  21. यही शेष सृजन कर्ता है हर एक नए गीत का... बहुत ही सुन्दर रचना...

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  22. अमृता

    जो शेष है वही प्रेम है .और ये प्रेम हमेशा ही रहेंगा .और क्या लिखो ,समझ नहीं आ रहा है ...

    बधाई !!
    आभार
    विजय
    -----------
    कृपया मेरी नयी कविता " कल,आज और कल " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/11/blog-post_30.html

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  23. वह अनंत है तो जब तक अनंत गीत न लिखे गए वह चुक नहीं सकता...तभी तो कबीर कहते है...सागर की स्याही हो और धरती के सारे जंगलों के वृक्षों की कलम..तब भी उसका बखान नहीं किया जा सकता...

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  24. वाह...बेजोड़ भावाभिव्यक्ति...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  25. फिर से हमेशा की तरह बेहतरीन लिखा है... !

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  26. गीतों का जन्म यूँ ही नहीं होता , सुंदर रचना आभार

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  27. सारा आयोजन धरा रह जाता है...वाकई प्रेम इतना विराट तो है ही...

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  28. एक हृदयस्पर्शी रचना जो बिहारी के एक दोहे की याद दिला गयी ...

    लिखन बैठि जाकी सबिह, गहि-गहि गरब गरूर।
    भये न केते जगत के, चतुर चितेरे कूर॥*
    बिहारी नायिका के सौन्दर्य-चित्रण के लिए बड़े-बड़े और गर्वीले कलाकारों को बुलाया गया, किन्तु क्षण-क्षण परिवर्तित होते हुए उसके रूप को कोई भी चित्रकार-चित्रत नहीं कर सका। सारे कलाकार विफल होकर लौट गए।

    वह धन्य है जो आपकी कृपा का पात्र बना है ....और धन्य आप भी कि अनवरत प्रयास में लगी हैं !

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  29. यह जो कुछ शेष है वही तो सृजन की प्रेरणा है...बेहतरीन अभिव्यक्ति..

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  30. बहुत सुंदर भाव .

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  31. क्या बात है । आपेक पोस्ट ने बहुत ही भाव विभोर कर दिया । मेरे नए पोस्ट पर आपका आमंत्रण है ।

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  32. प्रेम का चरमोत्कर्ष. खूबसूरत अदाज़.

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  33. लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल!!!!!

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  34. जिस अनंत शक्ति के सम्मान में आप लिखती है वो लेखन तो इसी अनंत धारा के रूप में बहता रहेगा ....शुभकामनाएं

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  35. वही मुझसे बार बार
    नये गीत लिखवाता है ...

    वाह!

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  36. विचार-घट कभी रीता नहीं होना चाहिए।
    सुंदर कविता।

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  37. जैसे जैसे प्रेम बड़ता जाता है ... शब्द कम होते जाते हैं ...
    रचना में वो व्यक्तित्व समा नहीं पाता हर बार ...

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  38. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति । मेर नए पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़एं । धन्यवाद ।

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  39. prem rupi gahare pani ko vani dena wakai bahut mushkil kam hai..
    khubsurat andaz..

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  40. जो शेष रहता है वही तो गीतों में नज़र आता है. खूबसूरत रचना.

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  41. इश्क मजाज़ी से इश्क हक़ीकी तक ले कर ले जाती हुई बहुत ही खूबसूरत रचना.


    यहाँ तो ये हाल है

    एक हर्फ़ भी तेरे नाम लिखूं
    तो भी बचता नहीं कुछ शेष,
    खाली जो वर्क रखूँ तेरे नाम
    तो भी हो जाता है विशेष.

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  42. बहुत सुन्दर .. शेष जो बहुत विशेष है.. सुन्दर रचना

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  43. सुभानाल्लाह........प्रेम का प्याला कभी नहीं भरता.......छलक छलक जाता है..........बहुत खुबसूरत पोस्ट.......एक और हैट्स ऑफ |

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  44. जो अव्यक्त और अतृप्त रह जाता है वही सृजन कराता है. बहुत सुंदर अनुभूति और उसकी अभिव्यक्ति.

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  45. आपके गीत में वह अमृत प्रीत कि
    आप तो आयोजन पर आयोजन किये जा रही हैं.
    और तन्मय हुईं है इतना कि आपको भान ही नही.

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  46. सबकुछ हार कर
    वही एक गीत लिखती हूँ.....

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