चलते-चलते थक जाती
पाती न पंथ की सीमा
अवरोधों से डिगता धैर्य
फिर भी न होता धीमा
प्यासी आँखे बहती है
बूंद-बूंद में हुआ जीना
चिर अतृप्त सा जीवन
अंजुरी भर चाहूँ पीना
न मिले तृप्ति कणभर
सागर और भी तरसाया
इक आकाश की चाह ने
मुझको है बस भरमाया
अंतरदृग में वही छवि
हर इक पल रहती है
जो वह कह नहीं पाया
वो सबकुछ ही कहती है
हाथ बढ़ा छू लूँ उसको
भींच लूँ अपनी बांहों में
पाने में तो खो दिया उसे
खोकर पा लिया आहों में .
अंतरदृग में वही छवि
ReplyDeleteहर इक पल रहती है
जो वह कह नहीं पाया
वो सबकुछ ही कहती है
... yah aatmshakti hai , jo chahaa sunti hai, bahut badhiyaa
खोना और पाना एक ही स्थिति के दो क्षण हैं. व्यक्ति प्रथमतः अपने आप से जुड़ा है. इसीलिए वह पाने में खोता है और खोने में पा लेता है. बहुत ही सुंदर कविता और भाव.
ReplyDeleteराह मिलेगी, चाह मिलेगी..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति| तीसरा पैरा सबसे अच्छा लगा|
ReplyDeleteखूबसूरत रचना .......
ReplyDeleteभावमय करते शब्दों का संगम ..
ReplyDeleteकल 30/11/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है, थी - हूँ - रहूंगी ....
बहुत बहुत बधाई ||
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ||
गहन संवेदनशील...बहुत सुंदर अल्फाज़ ...
ReplyDeleteअंजुरी भर की इच्छा हो ...बूँद बूँद से कहाँ मन भरता है ...कई बार पढ़ी फिर भी प्रशंसा के लिए शब्द ढूँढ रही हूँ ....!!
न मिले तृप्ति कणभर
ReplyDeleteसागर और भी तरसाया
इक आकाश की चाह ने
मुझको है बस भरमाया
इश्क की चाह और भरमाना ....वाह क्या बात है ...!
बेहतरीन और सार्थक अभिव्यक्ति ...
ReplyDeletebahut hii sundar rachna
ReplyDeleteयादों मैं पाना और छूना
सम्मोहन एक परछाई सा
और नहीं तो कुछ पल ही
बस नाम किसी के कर देना है
यादों ही यादों से अपने
अंतर्मन को भर देना है
भावो का सुन्दर चित्रण...
ReplyDeleteख्नोने में जो मज़ा है वो पाने में कहां!
ReplyDeleteप्रभावशाली अभिवयक्ति....
ReplyDeleteखोने पाने का विषम दर्शन सुन्दरता से संप्रेषित!
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियां..कण भर तृप्ति नहीं और आकाश भरमा रहा है।
ReplyDeleteखोने पाने का यह सिलसिला यूँ ही चलता रहता है ..... आपने इसे सुंदर शब्द दे दिए ..
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteगहरे भाव....
Sunder rachana ghare bhaw ke saath.
ReplyDeleteपाने में तो खो दिया उसे , खोकर पा लिया आहों में ...बहुत सुंदर
ReplyDeletelast four lines...
ReplyDeleteexcellent.
Beautiful!! :)
ReplyDeletebehtarin shabdo ka sangam
ReplyDeleteevam laybadh rachna ...!
bahut sundar..!
पीड़ा की गहन भावपूर्ण कविता -इतनी गहनता वाली कवितायें न लिखा करें प्लीज कलेजा मुंह को आता है :)
ReplyDeleteपाने और खोने मे भी एक आनन्द है ये आंख मिचौली करने मे उसे भी आनन्द आता है।
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत प्रस्तुति...
ReplyDeleteभाव गीत रस गीत सुनाई , .कविता बेहद मन को भाई .खोना भी तो पाना है आँखों ने खोया दिल ने पाया तसव्वुर में पाया .वो फिर से आँखों में समाया कहाँ खोया कहाँ पाया .
ReplyDeleteआपका पोस्ट मन को प्रभावित करने में सार्थक रहा । बहुत अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट 'राही मासूम रजा' पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआपकी आहों की शक्ति गजब की हैं जी.
ReplyDeleteसुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति पढकर मन मग्न हो
गया है मेरा.
बहुत बहुत आभार,अमृता जी.
मन के भावों का खूबसूरत चित्रण ..
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट "प्रतिस्पर्धा" में है इंतजार,...
पिछली पोस्ट में आने के लिए दल से आभार ...
खोकर पा लिया आहों में ....
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
पाने की चाह ने उसे गंवाया है, वह है ही ऐसा कि खोकर ही उसे पाया जाता है... सुंदर कविता!
ReplyDeletePAANE ME TO KHO DIYA USE
ReplyDeleteKHO KAR PAA LIYA AAHON ME ...
USE PAANE KA AUR KOI TAREEKA BHI NAIHI THA NA MERE PAAS.
धन्यवाद् मेरे ब्लॉग पर आने के लिए और सुन्दर टिपण्णी करने के लिए
ReplyDeleteआपने पूछा है की हिंदी से लगाव है या नहीं, जवाब है
हिंदी से बेहद ज्यादा लगाव है लेकिन पहले मै सोचता था की हिंदी में उतने अच्छे ब्लॉग नहीं होंगे, इसलिए मैंने इस ब्लॉग को इंग्लिश में बनाया. लेकिन आपका और ऐसे बहोत सरे ब्लॉग पर आ के मेरा शक दूर हुवा
वैसे भी मई जहा पर जॉब कर रहा हूँ वह पर जसे तैसे थोडा सा समय चुराकर ब्लोगिंग करने मिलता है, और वैसे भी हिंदी टाइपिंग नहीं करी है इसलिए इसलिए इंग्लिश में लिखना आसान लगता है
smart people
प्यासी आँखे बहती है
ReplyDeleteबूंद-बूंद में हुआ जीना
चिर अतृप्त सा जीवन
अंजुरी भर चाहूँ पीना....
umda srijan ! aur gahare bhaav !
रचना बहुत सुन्दर है, बधाई.
ReplyDeletebahut khubsurat kavita
ReplyDeleteचाने से कौन किसी को पाता है ... असल पाना तो खो कर ही आता है ... उम्दा प्रस्तुति ...
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