कंपकंपाते अधरों पर , तुमसे कहने को
कितनी ही बातें हैं , सर्द राते हैं
बादल के गीतों पर ,चाँदनी थिरकती है
ओस की बूंदे , जलतरंग सी बजती हैं
हवाओं की थाप से तारे झिलमिलाते हैं
कितनी ही बातें हैं , सर्द राते हैं
धीरे से कोहरा अपनी चादर फैलाता है
थरथराते वृक्ष-समूहों को ढक जाता है
पत्ते की ओट लिए फूल सिमट जाते हैं
कितनी ही बातें हैं , सर्द राते हैं
हिलडुल कर झुरमुट कुछ में बतियाते हैं
दूबों को झुकके बसंती कहानी सुनाते हैं
जल-बुझ कर जुगनू कहकहा लगाते हैं
कितनी ही बातें हैं , सर्द राते हैं
थपेड़ों को थपकी में,नींद उचट जाती है
बिलों में सोई , जोड़ियाँ कसमसाती हैं
नीड़ों में दुबके , पंछी भी जग जाते हैं
कितनी ही बातें हैं , सर्द राते हैं
ठिठुरी सी नदियाँ ,सागर में समाती हैं
लहरों के मेले में , ऐसे खो जाती हैं
उठता है ज्वार और गिरते प्रपातें हैं
कितनी ही बातें हैं , सर्द राते हैं
कोई नर्म बाहों का , घेरा बनाता है
गर्म पाशों में, सर्द और उतर आता है
घबराते, सकुचाते , नैन झुक जाते हैं
कितनी ही बातें हैं , सर्द राते हैं
तुमसे कहने को , जो भी बातें हैं
इन अधरों से ही ,क्यों लिपट जाते हैं .
.बहुत सुन्दर रूमानी कविता है अमृता ...भाव और शब्दों का इतना सहज सटीक संयोजन कम ही देखने को मिलता है.....
ReplyDeleteशायद यह अब तक की सबसे अच्छी ..वैसे तुम्हारी सभी कवितायें अलग अलग पढने पर एक से एक बढ़कर लगती हैं ..मगर रुमान की यह कविता प्राकृतिक बिम्बों के साथ एक अलग यी युति -सौन्दर्य बोध उत्पन्न कर रही है -अद्भुत !
जाड़ों की सर्द रातों मन के भाव भी कांपने लगते हैं।
ReplyDeletenarm baahon ka ghera ,sard raaten aur kitni baaten adhron pe ruki...
ReplyDeleteबहुत सुंदर शाब्दिक चित्रण सर्द रातों और मन के भावों का.....
ReplyDeleteAdbhut....behtareen
ReplyDeletewah!!! wah!!! wah!!!
बेहतरीन।
ReplyDeleteसादर
कितनी ही बातें है सर्द राते है
ReplyDeleteहोठ कपकपातें है तो क्या
आप लरजने से क्यों रोकते है ...!
बहुत ही कोमल भाव लिये रचना !
मेरी नई पोस्ट देखे !
बहुत ही सुंदर कविता..नई पोस्ट स्वागत है
ReplyDeleteसर्दी के अनेक भावों को जिस कुशलता से आपने रचना में पिरोया है वो अद्भुत है...बधाई...
ReplyDeleteनीरज
कपकपाते अधरों पर तुमसे कहने को
ReplyDeleteकितनी बातें है, सर्द राते हैं।
तुमसे कहने को जो भी बाते हैं,
इन अधरों से ही, क्यों लिपट जाते हैं।
बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत शुभकामनाएं
सर्द रातें बहुत सारी बातें और कांपते अधर... एक नया समां बांध दिया है आपने इस कविता में.. प्रकृति मनोभावनाओं को प्रकम्पित कर देती है.
ReplyDeleteकहने वाली बातों के कितने ही सुंदर बिंब इस कविता में सिमट आए हैं. सुंदर अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा है ..|बहुत ही खुबसूरत और सार्थक रचना ...
ReplyDeleteरूमानी अन्दाज़ की बहुत सुन्दर रचना।
ReplyDeletebahut shndar racana
ReplyDeletebaht bahut badhai
ओस की बूंदें जल तरंग सी बजती हैं.....
ReplyDeleteवाह! बेहद सुन्दर ख़याल....बढ़िया रचना....
सादर बधाई...
अमृता जी बहुत दिनों बात आज मैंने आपके ब्लॉग का भ्रमण किया और पहली है कविता ने विभोर कर दिया. अति सुन्दर
ReplyDeletethithuri si nadiya, sagar me samati hai
ReplyDeletelaharo ke mele me, aise kho jati hai
hardiya ke antim chor tak sparsh karti hai aapki rachan
सच में और भी सर्द हो गयी आपकी रचना पढ़कर रातें .....भावों का सहज सम्प्रेषण आपकी रचना को खूबसूरती प्रदान कर रहा है .....!
ReplyDeleteसुन्दर भावों से संजोयी सुन्दर कविता ....
ReplyDeleteपगला समझ ही नहीं पाया कि ये होंट सदी से नहीं कुछ कहने को थरथरा रहे हैं :)
ReplyDeleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteबढिया भाव।
पूरी रचना पढ़ने के साथ ही एक अजीब सी ठंडक का एहसास होता ही...!!
ReplyDeleteअति सुन्दर ....!!
कोमल -कोमल प्यारा सा एहसास ..!
सुंदर!
ReplyDeleteजाड़ों की सर्द रातों में मन के भाव भी टीसन की सृष्टि कर जाते हैं । मेरे नए पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।
ReplyDeleteकहने को कितनी बातें सुन्दर शब्दों में कहीं !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया और बेहतरीन
ReplyDeleteGyan Darpan
.
मान गए आपको...सर्द रातों का अहसास उतर आया.....गीत को गाकर महसूस किया....अभी तो सर्दी का आगाज ही हुआ था..पर सर्द रातों की का अहसास....जाने कितनी बातों की याद...पत्तों में सिमटे फूलों की झलक....और न जाने कितनी झुरमुट में छुप के हुई बातों की आपने याद दिला दी.....हल्की सी टीस लिए सर्द रातों का अहसास अपने अंदर समेट लिया है मैने।
ReplyDeleteman ko choone wali rachna
ReplyDeleteगहरे भाव लिए रचना |
ReplyDeleteआशा
सर्द रातों की सर्दी को और भी सर्द कर गयी अनकही बातें.
ReplyDeleteबहुत ही खूब गीत है.
गुनगुनाया तो दिल के पास से होकर गुज़र गया.
एहसास करवा दिया ठण्ड ने आपकी इस रचना ने ......महसूस होने लगी अब ठंडक ....!
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट आभार ! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद।
ReplyDeleteबेहद ख़ूबसूरत और कोमल एहसास के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com
रूमानी........प्रेम की सुन्दर और गुदगुदा देने वाली अभिव्यक्ति.......शानदार.....लगता फिर हैट्स ऑफ इसके लिए|
ReplyDeleteशानदार अंदाज..कुछ नया ... और अलमस्त रूमानी ... सर्दी का अंदाज ... बेहतरीन
ReplyDeleteअमृता जी पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर और बहुत ही अच्छा लगा आकर बहुत ही सुंदर रचनाये पढने को मिली अब तो अक्सर आना लगा रहेगा..
ReplyDeleteधन्यवाद...!!
खूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeletebehtareen abhivyakti jo sardi ka ehsaas kara jaye.
ReplyDeleteऔर कितनी बातें, वादे याद आती हैं सर्द रातों में..
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ,अच्छी ब्लोग है आपकी ,लिखते रहेँ
ReplyDeleteसुंदर भाव शिल्प.
ReplyDeleteइतनी खूबसूरत रचना पढ़ने से कैसे रह गयी ? आज अरविंद जी के ब्लॉग से यहाँ आना हुआ ... और यहाँ आना सार्थक हुआ ...
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