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Saturday, November 19, 2011

सर्द राते हैं


कंपकंपाते अधरों पर , तुमसे कहने को
कितनी  ही  बातें  हैं ,    सर्द   राते    हैं

बादल के गीतों पर ,चाँदनी थिरकती है
ओस की बूंदे , जलतरंग  सी  बजती  हैं
हवाओं की थाप से तारे झिलमिलाते हैं
कितनी   ही  बातें  हैं ,    सर्द   राते    हैं

धीरे से कोहरा अपनी चादर फैलाता  है
थरथराते वृक्ष-समूहों को  ढक जाता  है
पत्ते की ओट लिए फूल सिमट जाते हैं
कितनी  ही   बातें   हैं ,   सर्द   राते    हैं

हिलडुल कर झुरमुट कुछ में बतियाते हैं
दूबों को झुकके बसंती कहानी सुनाते  हैं
जल-बुझ कर जुगनू  कहकहा लगाते  हैं
कितनी   ही   बातें   हैं ,   सर्द   राते    हैं

थपेड़ों को थपकी में,नींद उचट जाती है
बिलों में सोई ,  जोड़ियाँ कसमसाती  हैं
नीड़ों में दुबके , पंछी  भी  जग जाते  हैं
कितनी   ही  बातें  हैं ,   सर्द    राते    हैं

ठिठुरी सी नदियाँ ,सागर में समाती  हैं
लहरों के मेले  में ,   ऐसे   खो जाती  हैं
उठता है ज्वार  और  गिरते  प्रपातें   हैं
कितनी   ही   बातें   हैं  ,   सर्द  राते   हैं

कोई नर्म  बाहों का  , घेरा  बनाता   है
गर्म पाशों में,  सर्द और उतर आता  है
घबराते, सकुचाते ,  नैन झुक जाते  हैं
कितनी  ही  बातें  हैं ,    सर्द   राते   हैं

तुमसे  कहने को  ,   जो  भी  बातें    हैं
इन अधरों  से ही ,क्यों लिपट जाते   हैं .
           
 

43 comments:

  1. .बहुत सुन्दर रूमानी कविता है अमृता ...भाव और शब्दों का इतना सहज सटीक संयोजन कम ही देखने को मिलता है.....
    शायद यह अब तक की सबसे अच्छी ..वैसे तुम्हारी सभी कवितायें अलग अलग पढने पर एक से एक बढ़कर लगती हैं ..मगर रुमान की यह कविता प्राकृतिक बिम्बों के साथ एक अलग यी युति -सौन्दर्य बोध उत्पन्न कर रही है -अद्भुत !

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  2. जाड़ों की सर्द रातों मन के भाव भी कांपने लगते हैं।

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  3. narm baahon ka ghera ,sard raaten aur kitni baaten adhron pe ruki...

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  4. बहुत सुंदर शाब्दिक चित्रण सर्द रातों और मन के भावों का.....

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  5. Adbhut....behtareen

    wah!!! wah!!! wah!!!

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  6. कितनी ही बातें है सर्द राते है
    होठ कपकपातें है तो क्या
    आप लरजने से क्यों रोकते है ...!
    बहुत ही कोमल भाव लिये रचना !

    मेरी नई पोस्ट देखे !

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  7. बहुत ही सुंदर कविता..नई पोस्ट स्वागत है

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  8. सर्दी के अनेक भावों को जिस कुशलता से आपने रचना में पिरोया है वो अद्भुत है...बधाई...

    नीरज

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  9. कपकपाते अधरों पर तुमसे कहने को
    कितनी बातें है, सर्द राते हैं।

    तुमसे कहने को जो भी बाते हैं,
    इन अधरों से ही, क्यों लिपट जाते हैं।

    बहुत सुंदर रचना
    बहुत बहुत शुभकामनाएं

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  10. सर्द रातें बहुत सारी बातें और कांपते अधर... एक नया समां बांध दिया है आपने इस कविता में.. प्रकृति मनोभावनाओं को प्रकम्पित कर देती है.

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  11. कहने वाली बातों के कितने ही सुंदर बिंब इस कविता में सिमट आए हैं. सुंदर अभिव्यक्ति.

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  12. बिल्कुल सही कहा है ..|बहुत ही खुबसूरत और सार्थक रचना ...

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  13. रूमानी अन्दाज़ की बहुत सुन्दर रचना।

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  14. bahut shndar racana
    baht bahut badhai

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  15. ओस की बूंदें जल तरंग सी बजती हैं.....

    वाह! बेहद सुन्दर ख़याल....बढ़िया रचना....
    सादर बधाई...

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  16. अमृता जी बहुत दिनों बात आज मैंने आपके ब्लॉग का भ्रमण किया और पहली है कविता ने विभोर कर दिया. अति सुन्दर

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  17. thithuri si nadiya, sagar me samati hai
    laharo ke mele me, aise kho jati hai
    hardiya ke antim chor tak sparsh karti hai aapki rachan

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  18. सच में और भी सर्द हो गयी आपकी रचना पढ़कर रातें .....भावों का सहज सम्प्रेषण आपकी रचना को खूबसूरती प्रदान कर रहा है .....!

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  19. सुन्दर भावों से संजोयी सुन्दर कविता ....

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  20. पगला समझ ही नहीं पाया कि ये होंट सदी से नहीं कुछ कहने को थरथरा रहे हैं :)

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  21. सुंदर रचना।
    बढिया भाव।

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  22. पूरी रचना पढ़ने के साथ ही एक अजीब सी ठंडक का एहसास होता ही...!!

    अति सुन्दर ....!!
    कोमल -कोमल प्यारा सा एहसास ..!

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  23. जाड़ों की सर्द रातों में मन के भाव भी टीसन की सृष्टि कर जाते हैं । मेरे नए पोस्ट पर आकर मेरा मनोबल बढ़ाएं । धन्यवाद ।

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  24. कहने को कितनी बातें सुन्दर शब्दों में कहीं !

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  25. बहुत बढ़िया और बेहतरीन

    Gyan Darpan
    .

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  26. मान गए आपको...सर्द रातों का अहसास उतर आया.....गीत को गाकर महसूस किया....अभी तो सर्दी का आगाज ही हुआ था..पर सर्द रातों की का अहसास....जाने कितनी बातों की याद...पत्तों में सिमटे फूलों की झलक....और न जाने कितनी झुरमुट में छुप के हुई बातों की आपने याद दिला दी.....हल्की सी टीस लिए सर्द रातों का अहसास अपने अंदर समेट लिया है मैने।

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  27. गहरे भाव लिए रचना |
    आशा

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  28. सर्द रातों की सर्दी को और भी सर्द कर गयी अनकही बातें.
    बहुत ही खूब गीत है.
    गुनगुनाया तो दिल के पास से होकर गुज़र गया.

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  29. एहसास करवा दिया ठण्ड ने आपकी इस रचना ने ......महसूस होने लगी अब ठंडक ....!

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  30. अच्छी पोस्ट आभार ! मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । धन्यवाद।

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  31. बेहद ख़ूबसूरत और कोमल एहसास के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! दिल को छू गई हर एक पंक्तियाँ!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
    http://seawave-babli.blogspot.com

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  32. रूमानी........प्रेम की सुन्दर और गुदगुदा देने वाली अभिव्यक्ति.......शानदार.....लगता फिर हैट्स ऑफ इसके लिए|

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  33. शानदार अंदाज..कुछ नया ... और अलमस्त रूमानी ... सर्दी का अंदाज ... बेहतरीन

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  34. अमृता जी पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर और बहुत ही अच्छा लगा आकर बहुत ही सुंदर रचनाये पढने को मिली अब तो अक्सर आना लगा रहेगा..
    धन्यवाद...!!

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  35. खूबसूरत अभिव्यक्ति...

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  36. और कितनी बातें, वादे याद आती हैं सर्द रातों में..

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  37. बहुत सुंदर रचना ,अच्छी ब्लोग है आपकी ,लिखते रहेँ

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  38. सुंदर भाव शिल्‍प.

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  39. इतनी खूबसूरत रचना पढ़ने से कैसे रह गयी ? आज अरविंद जी के ब्लॉग से यहाँ आना हुआ ... और यहाँ आना सार्थक हुआ ...

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