भूगोल की बात होती तो
जरुर होता
कोई न कोई नक्शा
नहीं तो अवश्य ही होता
कोई भी सूक्ष्म सुराग
तहों के पार का ...
कार्य - कारण के
प्रतिपादित सिद्धांतों के बीच
अकारण घटित अनपेक्षित तथ्यों का
कोई न कोई मिलान बिंदु तो
जरुर होता और
इस बिंदु से उस बिंदु पर
उस बिंदु से फिर उस बिंदु पर
पहुँचने का कोई संकेत-सूत्र
अवश्य ही होता...
अपरिचित नियमों से
सरक जाता घना आवरण
निरपेक्ष नियमों से
उम्मीद की जाती
पक्षपाती सख्ती कम होने की....
फिर तो व्यथा से होते
सतत उल्कपातों का भी
मिल जाता कोई ठोस कारण....
ये सब होता तो कोई
चमत्कार नहीं ही होता
पर सच में अगर
ऐसा हो जाता तो यक़ीनन
चमत्कार ही होता .
जरुर होता
कोई न कोई नक्शा
नहीं तो अवश्य ही होता
कोई भी सूक्ष्म सुराग
तहों के पार का ...
कार्य - कारण के
प्रतिपादित सिद्धांतों के बीच
अकारण घटित अनपेक्षित तथ्यों का
कोई न कोई मिलान बिंदु तो
जरुर होता और
इस बिंदु से उस बिंदु पर
उस बिंदु से फिर उस बिंदु पर
पहुँचने का कोई संकेत-सूत्र
अवश्य ही होता...
अपरिचित नियमों से
सरक जाता घना आवरण
निरपेक्ष नियमों से
उम्मीद की जाती
पक्षपाती सख्ती कम होने की....
फिर तो व्यथा से होते
सतत उल्कपातों का भी
मिल जाता कोई ठोस कारण....
ये सब होता तो कोई
चमत्कार नहीं ही होता
पर सच में अगर
ऐसा हो जाता तो यक़ीनन
चमत्कार ही होता .
प्रभावशाली रचना.....
ReplyDeleteचमत्कार ही तो है यह -यादृच्छिक सम्भावनाओं में किन्ही दो स्फुलिंगों का सहसा आ मिल जाना >....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाई स्वीकारें ||
यह रचना अदभुत गहरी सोच का चमत्कार ही है ...
ReplyDeleteजो ज्ञात नियमों से परे है, उसे चमत्कार मान लेते हैं हम।
ReplyDeleteऐसा हो जाता तो यक़ीनन चमत्कार होता... बहुत सुन्दर रचना...
ReplyDeleteपरंतु चमत्कार तो यदाकदा ही तो होते हैं॥
ReplyDeletebehtreen shabdawali.....
ReplyDeleteओह! क्या कमाल कर देतीं है आप
ReplyDeleteबातों से ही चमत्कार कर देतीं हैं आप.
उलझा उलझा के भी सुलझा देतीं हैं आप.
आभार.
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार 10-12-11. को । कृपया अवश्य पधारें और अपने अमूल्य विचार ज़रूर दें ..!!आभार.
ReplyDeletegehan abhivyakti.
ReplyDeleteयकीनन ऐसा होता तो चमत्कार ही होता.....
ReplyDeleteगहरे भाव।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है। चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......
ReplyDeleteबहुत सही!!
ReplyDeleteबहुत बढिया
ReplyDeleteक्या कहने।
bahut hee goodh rachna hai..aapka bishay chayan shandaar hota hai..aapke chintan ko naman aaur sadar badhayee ke sath..
ReplyDeleteएक और सुन्दर रचना ..!
ReplyDeleteसटीक शब्दों का चयन ..!
मेरी नई पोस्ट पे आपका स्वागत है ...!
बहुत सटीक विषय पर एक सार्थक पोस्ट है आपकी |
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
ReplyDeleteचमत्कार को नमस्कार!
ReplyDeleteकभी कभी शब्दों का चमत्कारी प्रभाव होता है... उनकी गूँज देर तक सुनी जाती है!
सुन्दर रचना |
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव लिए रचना |
ReplyDeleteआशा
अमृता जी ..आपकी सोच ...आपके विचार ...और उसकी अभिव्यक्ति भी ले जाती है ...टहलाते टहलाते ...एक अलौकिक दुनियां में ...आपकी कविता पढ़ना एक अलग ही अनुभूति देता है ...जिसको शब्दों में नहीं लिख सकते ...
ReplyDeleteYou are blessed.
बहुत अच्छी बात कही आपने...शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteमनोभावों की ज़बरदस्त अभिव्यक्ति है आपकी कविता में.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति| धन्यवाद!!!
ReplyDeletesabse pahle aapki dil se aabhari hoon jo aai nahi to itni sundar rachna ko padhne se vanchit rah jaati .kunwar ji ki baaton se main bhi sahmat hoon.uttam
ReplyDeleteज़बरदस्त हिंदी के साथ भूगोल......वाह क्या बात है :-)
ReplyDeleteचमत्कारी सुंदर रचना,...बहुत अच्छी
ReplyDeleteमरी नई रचना ....
नेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,
सुन्दर....और ब्लॉग पर आने का शुक्रिया.
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों से सुसज्जित लाजवाब रचना लिखा है आपने !बधाई!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
bahut umda abhivyakti
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...रचना
ReplyDeleteऐसा हो जाता तो यक़ीनन
ReplyDeleteचमत्कार ही होता ...