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Tuesday, December 13, 2011

विरह - गीत


हमारे - तुम्हारे  विरह  ने पिया
दर्द के गीत को जनम  दे दिया


अनदेखे से परदेश में , हो  तुम
न जाने किस वेश में  , हो तुम
तेरी स्मृतियों में   ही , मैं  घूमूँ
नाम तेरा  ही ,  ले  लेकर  झूमूँ
जोगन को मैंने भी  जोग लिया
बेमोल ही दर्द  को , मोल लिया

हमारे - तुम्हारे  विरह  ने पिया
दर्द के गीत को  जनम दे दिया


हियरा   रह - रह   के   हहराये
भीतर- भीतर   घुट- घुट  जाये
हर आहट पर  ऐसे चिहुंक  उठे
लाख मनाऊँ फिर भी क्यों रूठे
नेह ने जाने कैसा हिलोर लिया
आँधी बन  मुझे झझकोर दिया

हमारे - तुम्हारे  विरह  ने पिया
दर्द के गीत को  जनम दे दिया


कैसे बाँधूँ अपने  बिखरे मन को
सूली के जैसे ,  इस  सूनेपन को
मुझको यूँ , अब  भटकाओ  मत
साँसों की कथा  लिखवाओ  मत
शब्दों में बस मुझे ही ताना दिया
गीतों का तो , बस  बहाना लिया

हमारे - तुम्हारे   विरह  ने पिया
दर्द के गीत  को  जनम दे दिया


कैसे  तुझ  तक ,  इन्हें  पहुँचाऊँ
इतनी पीड़ा  से ,  मैं  ही  लजाऊँ
मृग - जल मन को  है  भरमाता
मेघों से जुड़ गया  है  इक  नाता
क्या तुने ऋतुओं को  बोल दिया
इन पलकों में सावन घोल दिया

हमारे - तुम्हारे  विरह  ने पिया
दर्द के गीत को  जनम दे दिया .  






46 comments:

  1. हियरा रह - रह के हहराए...
    इस पंक्ति की ध्वनि सुनी जा सकती है... दिल पर दस्तक देती है यह आवाज़ आपकी रचना में!
    प्रभावी विरहगीत की सबसे प्रभावी पंक्ति!

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  2. विरह भावनाओं का बहुत सुंदर और भावमयी चित्रण..

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  3. काश अजन्मा यह रह जाता,
    पिया मिलन से पर हो जाता।

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  4. मन के कशमकश को दर्शाती सुन्दर रचना

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  5. विरह की सारी संवेदनाएं छलक गयीं इस गीत में ..

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  6. इस विरह गीत ने मन को संतप्त कर दिया ..लगा जैसे यह व्यक्तिनिष्ठ पीड़ा समस्त समष्टि से जुड़ती हुयी पाठकों से भी तादात्म्य स्थापित कर व्यथित कर गयी हो .....

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  7. है सब से मधुर वो गीत जिसे हम दर्द के सुर में गाते हैं...
    विरह को शब्दों में गूँथ दिया है... सुन्दर रचना

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  8. अति सुन्दर |
    शुभकामनाएं ||

    dcgpthravikar.blogspot.com

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  9. विरह के भावो का सजीव चित्रण कर दिया।

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  10. प्रेम न होता तो पीर न होती पीर न होती तो गीत न होता :)

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  11. virah ki agni ka achcha vivrankiya hai bahut sundar.

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  12. वाह! सुन्दर गीत!
    सादर...

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  13. बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......

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  14. आह!
    वाह!
    नही सुझती राह
    क्या कहूँ आपकी इस अनुपम प्रस्तुति पर.
    बस तन्मय हो रहा हूँ.

    आभार... बहुत बहुत आभार आपका अमृता जी.

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  15. विरह को बेहतरीन शब्दों में बयां किया है. आभार

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  16. कैसे बांधूं अपने बिखरे मन को..
    सुली के जैसे , इस सूनेपन को

    बस कमाल का जादू है आपके शब्दों में!! आभार.

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  17. it is a fantastic experience to read your poetry after a long time. your poetry is running from the dense forest of the sprituality. a appearance of sufi way is also traceable...very nice keep it up.

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  18. आपका पोस्ट रोचक लगा । मेरे नए पोस्ट नकेनवाद पर आपका बेसब्री से इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  19. आप इतना खूबसूरत गीत लिखतीं हैं कि क्या कहूँ सोचना पड़ जाता है!!

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  20. मन की गहरी संवेदना लिए विरह गीत .....

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  21. अति सुन्दर ....!!
    कोमल -कोमल प्यारा सा एहसास .

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  22. विरह के भावों का सुंदर तरीके स‍े चित्रण।

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  23. दर्द की पीड़ा से भरी कविता

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  24. विरह दर्द को ही जनम देता है ... सुन्दर रचना है ...

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  25. एक प्यारा सा मीठा विरह गीत..सुन्दर..

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  26. विरह वेदना का सजीव चित्रण ..बधाई

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  27. अच्छी लगी रचना.........

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  28. हमारे तुम्हारे विरह ने पिया
    दर्द के गीत को जन्म दे दिया
    यही काव्य का संपूर्ण सत्य है जो सृष्टि के आदि-अंत को वर्णित करता है.

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  29. दर्द असीमित है कविता में,
    शब्द-शब्द में आँसू दिखते।
    बहन अमृता सच बतलाना,
    ऐसी कविता कैसे लिखते।।

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  30. किसी ने लिखा है
    जो धुन तार से निकली है उसे सबने सुनी है
    पर जो साज पर गुजरा है सिर्फ उस दिल को पता है.
    शब्द नहीं है,लगता है सबों के दिल का हालयही होगा .बधाई भी नहीं.सिर्फ एहसास .मीरा राधा की ब्यथा को सिर्फ जिया जा सकता है.फिर भी......

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  31. सुभानाल्लाह..........हैट्स ऑफ.....बेहतरीन और लाजवाब 'गीत' लिखा है इस बार आपने|

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  32. विरहे के भावों को शब्दों मे ढालकर बहुत ही खूबसूरती के साथ गीत के रूप मे सजाया है आपने ....बहुत खूब समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/

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  33. बहुत सुदर चित्रण और एक लाजवाब अभिवयक्ति

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  34. हमारे तुम्हारे विरह में पिया,
    दर्द के गीत को ही जनम दे दिया

    अनदेखे परदेस में हो तुम
    ना जाने किस वेश में हो तुम
    तेरी स्मृतियों में घूमू
    नाम तुम्हारा लेकर झूमू
    जोगन जैसा ही जोग लिया
    बेमोल दर्द को मोल लिया !

    अब हमारे तुम्हारे विरह ने पिया
    दर्द के गीत को ही जनम दे दिया !

    आनंद आ गया .....शुभकामनायें आपको !

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  35. बढ़िया गीत है। प्रवाह और भी होता तो लाज़वाब हो जाता।

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  36. hriday ko jhakjhor dene wali abhivykti .. vah ... badhai.

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  37. शाश्वत प्रेम....बधाई

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  38. बहुत सुंदर प्रस्तुती बेहतरीन रचना,.....
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाए..

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  39. कई पोस्ट पर आपको अमृता कह दिया ...
    मुझे माफ़ कर दीजिये ....

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  40. इतना दर्द ! निशब्दहूँ | अक्सर आपके ब्लॉग पर आपकर भटकती हूँ और समझ नहीं पाती अनुराग के किस निर्जन वन में पहुँच गयी | प्यासे चातक सी अबूझ पहेली |

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