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Tuesday, October 26, 2010

उत्तरदायी

मेरी नैतिक शिक्षा
हर अच्छे और बुरे
कार्यो को मेरे
वैयक्तिक पहल व
साहसिकता की भावना से
करने देती है ......
हालाँकि
बहुत बार ऐसा भी
होता है कि स्वयं
मेरा नैतिक अस्तित्व
नष्टप्राय होता है
जिसपर मेरा कोई भी
नियंत्रण नहीं होता है
मैं ही गिरती हूँ
औँधे मुँह
पुनः
मैं ही उठती हूँ
सतत प्रगतिशील मैं
मेरे द्वारा होती है
मेरी ही प्रगति
जिसकी उत्तरदायी
केवल मैं ही होती हूँ .

6 comments:

  1. aaj ki anaitik dunia
    naitik aur naitikta
    ke liye chunauti hai
    aap jaise vyaktitva
    is sangharsh ke rahnuma hain

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  2. अमृता जी,

    माफ़ी चाहता हूँ की इतनी देर से पहुंचा....दरअसल पिछले कुछ दिनों से छुट्टी पर था...घर पर नेट नहीं है ......ऑफिस से ही काम चलाता हूँ..... आपकी पिछली सारी पोस्ट देखीं.......सब एक से बढकर एक हैं..........सबसे सुन्दर ये हैं ........

    "अपनी दया पर आश्रित मैं
    मुझसे कैसी अपेक्षा
    सद्गुणों की या
    उसकी किसी भी धारणा की
    मूल्यों की या
    उसकी किसी भी ऊंचाई की
    मौलिकता की या
    उसकी किसी भी छाया की
    सर्वश्रेष्ठता की या
    उसके किसी भी दु:स्वप्नों की
    मानवता की या
    उसकी किसी भी प्रतिबद्धता की
    यदि मैं स्वयं से ही
    स्वतंत्र हो जाऊं तो
    मुझसे की जाने वाली
    तमाम अपेक्षाएं
    जायज है "
    --------------------------------
    मेरी नैतिक शिक्षा
    हर अच्छे और बुरे
    कार्यो को मेरे
    वैयक्तिक पहल व
    साहसिकता की भावना से
    करने देती है ......
    हालाँकि
    बहुत बार ऐसा भी
    होता है कि स्वयं
    मेरा नैतिक अस्तित्व
    नष्टप्राय होता है
    जिसपर मेरा कोई भी
    नियंत्रण नहीं होता है
    मैं ही गिरती हूँ
    औँधे मुँह
    पुनः
    मैं ही उठती हूँ
    सतत प्रगतिशील मैं
    मेरे द्वारा होती है
    मेरी ही प्रगति
    जिसकी उत्तरदायी
    केवल मैं ही होती हूँ

    मुझे लगता है आपकी सलाह मान कर मुझे एक हिंदी शब्दकोष लेना ही पड़ेगा.....आपका हिंदी ज्ञान बहुत अच्छा है......मुझे हिंदी बहुत पसंद है....पर अभी काफी कमज़ोर हूँ........आपसे सीखने को मिल रहा है.........और एक बात आप मुझे 'इमरान जी' मत कहा करो.......आप सिर्फ 'इमरान' कह सकती हो.......ये हक मैं आपको देता हूँ........मेरी शुभकामनाये.......

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  3. अमृता जी ,
    आपको जितना पढ़ा है उतना ही आपके लेखन में और गहरे उतरने कि इच्छा तीव्र होती जा रही है...स्वयं की खोज के क्रम में जो कुछ भी अर्जित होता है आपकी कलम से बह रहा है... जिसमें सबसे अहम पड़ाव है अपने हर कृत्य के लिए स्वयं उत्तरदायी होना... चाहे वो प्रगति हो या दुर्गति... और इसी पड़ाव से प्रगति के असीम रास्ते खुलने शुरू होते हैं...बधाई आपको आपके उत्तरदायित्व को सही तरह समझने और निभाने के लिए

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  4. self searching conversation. very beautiful. self is very important the message is quite clear.

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  5. मैं ही गिरती हूँ
    औँधे मुँह
    पुनः
    मैं ही उठती हूँ
    ------------------

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  6. सही बात है, स्वयं की प्रगति के लिए उत्तरदायी भी हम स्वयं ही हैं .. बस गिरने के बाद उठकर आगे बढ़ते रहने का जज़्बा बरकरार रहे ..

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