हो सके तो बन जाना
तुम मेरे लिए
गर्मी में लू का थपेड़ा
सर्द रातों में
हाड़ को चीड़ती हवा
हो सके तो बन जाना
तुम मेरे लिए
मेरे पैरों के नीचे
दहकता अंगारा
गर्दन पर
लटकती तेज़ तलवार
हो सके तो बन जाना
तुम मेरे लिए
फूटता हुआ ज्वालामुखी
अत्यधिक तीव्रता वाला भूकंप
तब भी मैं अगर
तुमसे करती रहूँ प्यार
तो समझ लेना
प्यार केवल सुखद क्षणों का
साक्षी नहीं होता
बल्कि जीवन संघर्ष में
जीतना भी सिखाता है .
अनीता जी बहुत सुन्दर..........तप कर ही सोना बनता है.........ऐसे ही प्यार....बहुत सटीक शब्दों में प्रेम का वर्णित किया है |
ReplyDeleteमाफ़ कीजियेगा अमृता जी गलती से आपका नाम गलत टाइप हो गया था|
ReplyDeletezindgi har kadam ik nai jang hai
ReplyDeletespeechless ji
ReplyDeleteऐसा ही होगा ....
ReplyDelete'आह' निकल आया इसे पढ़कर! बेहद सुन्दर!
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