न जाने
किस बात पर आज
उनसे ही उनकी
ठनी हुई है
जो मेरे प्राणों-पंजर पर
विपदा सी बनी हुई है...
उनकी आँखें
इसतरह से है नम
कि बरस रहे हैं
मेरे भी घनघोर घन....
रूठे जो होते तो
बस मना ही लेती
अपने रसबतियों में
उन्हें उलझा ही लेती....
पर हवाओं से भी
वे कुछ न बोले
अपने पीर का भी
घूँघट न खोले.........
कोई बताये किस विधि
उनसे उनकी सुलह कराऊँ
और विह्वलता के
बूँद-बूँद को पी जाऊँ.....
ये ह्रदय -फूल
क्षण-क्षण मुरझाये
प्रस्तर-प्रतिमा से
जब वे हो जाए......
आखिर कब लेंगे
सुधि हमारी
मैं भी तो हूँ
बस उनकी ही प्यारी....
जब प्रीत किया है
तो क्यूँ न उनकी
दीवानी कहाऊँ
और मैं लाजवंती
लाज की हर मर्यादा को
बस उनके लिए ही
लाँघ -लाँघ जाऊँ .
वाह...
ReplyDeleteप्रेम और समर्पण भाव से भरी सुन्दर रचना..
उनकी आँखें
ReplyDeleteइस तरह से है नम
कि बरस रहे हैं
मेरे भी घनघोर घन
...आँखों की नमी को आपसे बेहतर कौन पहचान सकता है अमृताजी..
लाज की हर मर्यादा को
ReplyDeleteबस उनके लिए ही
लाँघ लाँघ जाऊं...
भाव भरी पंक्तियाँ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...
NEW POST ...काव्यान्जलि ...होली में...
बहुत सुन्दर ...!
ReplyDeleteबेहतरीन भाव ...
ReplyDeleteउनके बाहर ही लाज की मर्यादा है..
ReplyDeleteबहुत सार्थक और सटीक अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteलाजवंती उनके लिए मर्यादा को लांघ जाऊं...
ReplyDeleteवाह अमृता जी बहुत सुन्दर रचना. समर्पण के अद्भुत भाव... प्रेम की चरम सीमा...
वाह बहुत सुन्दर लजीली रचना जो बंधन तोडना भी चाहती है और मर्यादा मे भी रहना चाहती है
ReplyDeleteसुंदर समर्पण भाव ...!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना अमृता जी ...!!
सुकोमल अभिव्यक्ति की कविता
ReplyDeleteशुक्रवारीय चर्चा मंच पर आपका स्वागत
ReplyDeleteकर रही है आपकी रचना ||
charchamanch.blogspot.com
भावपूर्ण रचना, हृदयस्पर्शी शब्द और प्रेम का सुन्दर वर्णन ..........आभार
ReplyDeleteलाज की हर मर्यादा को
ReplyDeleteबस उनके लिए ही
लाँघ लाँघ जाऊं...
लाजवंती उनके लिए मर्यादा को लांघ जाऊं...
मुग्धा कहलाऊँ .मुग्धा भाव की रचना .मुग्धा नायिका को होश ही खान रहता है .
मुग्धा कहलाऊँ .मुग्धा भाव की रचना .मुग्धा नायिका को होश ही कहाँ रहता है .
ReplyDeleteसो स्वीट!! :)
ReplyDeleteबहुत ही रोमांचक भाव
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteसमर्पण का यथेष्ट प्रयास , लाज के घुंघट के साथ .
ReplyDeleteअमृता जी, एक नया अंदाज, बहुत सुंदर !
ReplyDeleteसुभानालाह.........पूर्ण समर्पण और बेहतरीन भाव........हैट्स ऑफ इसके लिए ।
ReplyDeleteबेहतरीन एहसास .. भाव
ReplyDeleteरूठे हैं पिया....अब तो मान ही जायेंगे.....प्रेम समर्पण से लबालब अद्भुत रचना
ReplyDeleteprem payodhi ka karaiye paan,
ReplyDeletechandni smit roop ka karaiye dhyaan,
bikhra ke unpe apni ghani kesh raashi,
prem ki barish kar unhe karaiye snaan...
Amrita,bebaak kavya lekhan ke liye badhayee...ek ek shabd page huye prem ras mein...unmatt ho gaya padh kar....behad bhavpoorn...
THE PICK OF LOVE.
ReplyDeleteTHE FRAGERENCE OF DEVOTION AND DEDICATION IN LOVE
MAY COME THIS WAY.
NICE POST. BHAJAN KA AANAND LEN.
वाह वाह ..बहुत सुंदर प्रस्तुति ...बधाई ;)
ReplyDeleteसमर्पण की सहज अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसुन्दर रचना।
धन्यवाद।
आनन्द विश्वास
लाज की हर मर्यादा को
ReplyDeleteबस उनके लिए ही
लाँघ लाँघ जाऊं...
भाव भरी पंक्तियाँ...
लाज की हर मर्यादा को
बस उनके लिए ही
लाँघ लाँघ जाऊं...
भाव भरी पंक्तियाँ...
बहुत अच्छी प्रस्तुति,इस सुंदर रचना के लिए बधाई,...
मनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteshookshm bhaawon ka prabhaawapoorn chitran !
ReplyDeleteपहली बार आना हुआ ..आपके ब्लॉग पर .यह भाव बहुत ही बारीकियों के साथ प्रस्तुत किया है आपने...वास्तव में बिलकुल ऐसा ही महसूस होता है...बधाई !
ReplyDeleteबहुत खूब ... प्रीत में हर सीमा को लांघ जाने की चाह ... सच में प्रीत को नए उकाम तक ले जाती है ... अच्छे भाव ...
ReplyDeleteअमृता जी होली की शुभकामनाएँ |
ReplyDeleteबस पड़ताही जा रहा हूँ .लिखने लायक शब्द मिलते ही लिखूंगा .अभी तो भावसागर में ही डूबता जा रहा हूँ.इसी तरह आप बरसती रहे और पाठकगन भव मगन होते रहे .भावों को इतने कलापूर्ण डंग से प्रतिबिंबित करवाने की कला में आप का सानी नहीं है.आप के ऐसे ही प्रेम काब्य की सतत इंतजार में आप का एक पाठक ....
ReplyDeleteमनोभावों की सुंदर अभिव्यक्ति। होली की शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteमुग्धा भाव की सशक्त रचना .होली मुबारक .
ReplyDeleteबहुत सशक्त भावमयी रचना...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
ReplyDeleteअदभुत, बेहतरीन, लाजबाब.
ReplyDeleteआपकी सशक्त भावपूर्ण प्रस्तुति पर
कुछ और कहने के लिए शब्द नहीं हैं
मेरे पास.
प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार.
होली की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएँ.
होली की हार्दिक शुभकामना। बेहतरीन कविता के लिए भी शुक्रिया। प्रवाह में बहाने वाली कविताएं फढ़कर अच्छा लगता है।
ReplyDeleteलाजवंती को प्रेम से सराबोर नया बिंब दिया है आपने. बेहतरीन.... बेहतरीन....कविता.
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत रंगों भरी शुभकामनाएं ..
ReplyDelete