सुबह से ही
खोल - खोलकर
खाली किताबों को
बोल - बोलकर
पढ़ती हूँ
और रात ढलने तक
अदृश्य लिखाई से
अपने पन्नों पर
केवल तुम्हें ही
भरती हूँ .
***
मर्म की बात
ओठों से कहूँ
या कि न कहूँ
तुम ही कहो
कि कैसे मौन की
शेष भाषा में
केवल तुम्हें ही गहूँ .
***
कुछ साधारण से
शब्दों को
जोड़ - जोड़कर
अपने गीतों में
केवल तुम्हें ही
रचा है
पर मुझ सीपी में
गिरने को
वो स्वाति बूंद
अभी भी बचा है .
***
मोतियों की
मंडी में तो
एक से बढ़ एक
मोती चमक रहे हैं
पर मेरी
चुंधियाई आँखें
केवल तुमसे ही
दमक रहे हैं .
सीप को इंतज़ार है स्वाति बूंद का ... कहती है सीप
ReplyDeleteइस प्यार को समझो
वाह ..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर..
सभी क्षणिकाये अच्छी........
वाह ... सभी एक से बढ़कर एक हैं ...
ReplyDelete"तुम " में समाई सारी क्षणिकाएं .... बहुत सुंदर
ReplyDeleteगहरे अर्थ लिए सुन्दर क्षणिकाएं...
ReplyDeleteउत्कृष्ट क्षणिकाएं ....!!
ReplyDeleteवाह .....बहुत सुन्दर है सभी .... क्षणिकाओं में भी बाज़ी मार गई अमृता जी
ReplyDeleteक्षणिकाएं या मुक्तक आप सब में धाराप्रवाह लिखती हैं
ReplyDeleteभावों की कभी नहीं . बहुत सुन्दर
बहुत अच्छी प्रस्तुति!
ReplyDeleteइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
बेहतरीन क्षणिकाएँ।
ReplyDeleteसादर
बहुत सुंदर क्षणिकाएँ...प्रेम में डूबी हुईं...
ReplyDeleteसुन्दर और अर्थपूर्ण क्षणिकाएँ ..
ReplyDeleteप्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपकी उपस्थिति पार्थनीय है । धन्यवाद ।
ReplyDeleteAmrita, behad prabhawi kshanikayein hain...ham sab maun ka aartnaad sunkar bhi use shaabdik astitw nahin de paate aur naa hi khud ko seep kar kisi moti ke srijan ka kaaran hi ban paate...sach kaha hai aapne....ashru bond roopi moti se uttam moti Maine bhi aajtak nahin dekha aur isliye mujhe bhi apni aankhon ki seep bahut pasand hai...badhayi ,aisi sundar rachna ke liye.
ReplyDeletesundar anubhutiyaa darshaati kshanikaaye
ReplyDeleteबहुत-बहुत ही अच्छी भावपूर्ण रचनाये है......
ReplyDeleteओहो, बड़ी सुन्दर सुन्दर क्षणिकाएं हैं :)
ReplyDeleteसारगर्भित क्षणिकाएं...
ReplyDeletewah..i am speechless..
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकाएं।
ReplyDeleteआपको स्वाति बूँद की प्रतीक्षा है और हम आपकी रचना मुक्ताओं के बीच मुग्ध खड़े हैं कैसी सीप है है जो हर बूँद को मोती बना देती है शायद श्रेष्ठतम की प्रतीक्षा ही आपके सुन्दर रचना संसार के सौंदर्य को दिनोंदिन बढ़ा रहि है ....शुभकामनाएं
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ सुंदर हैं. तीसरी क्षणिका सुंदर सृजन की मिसाल है.
ReplyDeletewaah bahut sunder kshanikaye .....2 , last one bahut acchi lagi . sabhi sunder hai
ReplyDeletebadhai .
sapne://shashi.blogspot.com
amrita ji kabhi- kabhi to aayiye hamare blog par ......:):)
कुछ कहने के लिये मौन से भरे शब्द ही है ..अमृता. तुम्हारी नज्मे मेरे शब्दों को भिगो देती है .
ReplyDeleteहृदय में अंकुरित भावों को जब शब्द मिल जाते हैं तो वे कितने प्रभावी हो जाते हैं !
ReplyDeleteआपकी कविताएं इस कथन की पुष्टि कर रही हैं।
बहूत हि सुंदर क्षणिकाएं......
ReplyDeleteखाली पन्नों पर लिखने को प्रस्तुत न जाने कितने प्रेमगीत, वह जो मन को छू जाये...
ReplyDeletejo bhaa gayaa man ko
ReplyDeletewo hee apnaa ho gayaa
badhiyaa kshanikaayein
वाह ...गगार में सागर .../
ReplyDeleteसबसे ऊपर वाली क्षणिका बहुत ही अच्छी लगी /
आज कल आप मेरे ब्लॉग पर नहीं आ रही हैं
bahut khubsurat kshnikaanye....prathm wali jyada hi bha gai..
ReplyDeleteबेहतरीन क्षणिकाएं...
ReplyDeleteसादर.
एक ही भाव का विस्तार हैं एक की ही लग्न है सुन्दर विचार क्षणिकाएं भाव कणिकाएं .इस पंक्ति में 'कवल' को 'केवल' कर लें (बाशर्ते कवल कोई और अर्थ न लिए हो )
ReplyDeleteमर्म की बात ,ओठों से कहूँ,
..................................
शेष भाषा में 'कवल' तुम्हें ही गहूँ.
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बहुत सुंदर
ReplyDeleteसुंदर क्षणिकाएं जिनमें "पल" की अनुभूति को शब्द मिल रहे हैं।
ReplyDeleteसुन्दर भाषिक प्रयोग की मिसाल हैं यह भाव कणिकाएं .शुक्रिया आपकी द्रुत टिपण्णी के लिए .
ReplyDeleteबहुत सुन्दर हैं क्षणिकाएं. सरल भाषा में लिखी हुई गहन भाव समेटे.
ReplyDeleteमन के खास कोनों को छूता सुंदर भावनात्मक गीत.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावविह्वल करती क्षणिकाएं!
ReplyDeleteअति उत्तम,सराहनीय भाव भरी क्षणिकाए सुंदर प्रस्तुति .....
ReplyDeleteNEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
प्रेम की सर्वोच अवस्था में उमड़ती पीड़ा को अभिब्यक्ति देने जैसा कठिन प्रयोग जो इस कविता के माध्यम से आपने किया है उसे सराहने के लिए शब्द मिलना अत्यंत ही कठिन लग रहा है,हिंदी की कविताओं में आप जैसा कवियत्री का एक अलग सा ही स्थान है और होगा.इस पीड़ा ने तो हमें भी झकझोर कर रख डाला है.उस चैतन्य से मिलन की तड़प शब्दों से हो नहीं सकती है.यह तो भाव के बदल है जो बरसते ही रुलाने के लिए...............
ReplyDeleteबढिया क्षणिकायें!
ReplyDeleteसभी लाजवाब ... भावों को शब्द दिया हैं ...
ReplyDeleteखुद की आँखों की चमक उनसे ही है ... गज़ब के भाव .. क्या बात है ..
मर्म की बात ओंठों से कहूँ ,बहुत खूब अच्छी क्षणिकाएं |
ReplyDeleteआशा
सुंदर क्षणिकाए ....
ReplyDeleteबहुत खूब...भावों में सरावोर बहुत सुंदर क्षणिकाएं ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर क्षणिका है तीसरी वाली अच्छी लगी
ReplyDeleteमर्म की बात
ReplyDeleteहोठों से कहूं
या न कहूं.......
अंतर्मन को डूबोती शब्दों की यात्रा.... सिर्फ मौन और मौन
अद्भुत अभिव्यक्ति है यह :) बधाई !
ReplyDeleteमेरा भी एक ब्लॉग है :) http://ntyag.blogspot.in/
अमृत रस अब बरस , पुलकित हो रहा सरवर है . गहन क्षणिकाएं
ReplyDeletebahut achchi abhiwyakti.
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत क्षणिकाएं मन को भिगो गयी !
ReplyDeleteसुंदर क्षणिकाएं अमृता जी
ReplyDeleteबहुत खूब.
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक क्षणिका.
पढकर मन मग्न हो गया है.