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Monday, May 6, 2013

क्षणिकाएँ ...


जैसे सूक्ष्म की शल्य-चिकित्सा का
कोई विलिखित , विख्यायित प्रमाण नहीं है
वैसे ही श्वास-सेतु से जुड़ा हरेक कण है
कोई भी अज्ञात आयाम नहीं है


          ***


जैसे सतत प्रवाह में
कोई भी अंतराल संभव नहीं है
वैसे ही इस काल में गति के लिए
कोई भी स्थान अथवा प्रतिकाल संभव नहीं है


          ***


जैसे मन के क्रकच आयत पर
जो विभाजित , विस्थापित हो सत्य नहीं होता
वैसे ही सोये अक्षरों से निस्कृत अर्थ
कभी भी नित्य नहीं होता


          ***


जैसे शीर्ण शब्दों के मध्य में
मनवांछित मौन महिमावान नहीं होता
वैसे ही आरोपित आधान में अवधान से
कोई जागतिक विराम नहीं होता


          ***


जैसे पार की अभिव्यक्ति
पार हुए बिना नहीं होती
वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
निराकार हुए बिना नहीं होती .



क्रकच आयत ---- प्रिज्म
आधान --- प्रयत्न
अवधान --- ध्यान

33 comments:

  1. जैसे पार की अभिव्यक्ति
    पार हुए बिना नहीं होती
    वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
    निराकार हुए बिना नहीं होती .
    ... बेहद सशक्‍त भाव

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  2. सुन्दर और भावपूर्ण. आपकी क्षणिकाएं अपने आप में अनूठी होती हैं. क्रकच आयत शब्द से पहली बार आशना हुआ. शुक्रिया.

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  3. वाह बहुत जी सुन्दर मनोहारी भावपूर्ण क्षणिकाएं अमृता जी बधाई स्वीकारें.

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  4. चार पंक्तियों में
    सभी भावों का अंकन
    नये शब्दों से भी परिचित हुई
    सादर

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  5. बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति, सुंदर क्षणिकाए,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

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  6. तमाम क्षणिकाएं गूढ़ दर्शन और निहितार्थ लिए हैं .भाषिक प्रवाह और गेयता का ज़वाब नहीं .

    प्रिज्म के पर्याय वाची हैं :समपार्श्व आयत ,संक्षेत्र ,प्रिज्म एक समपार्श्व कांच की बनी ठोस वस्तु होती है जिससे प्रकाश का वर्क्रक्रम (रंगावली )प्राप्त होता है .इसके एक पार्श्व के किनारे दूसरे पार्श्व के किनारों के समान्तर तथा आकार और आकृति की दृष्टि से समान होते हैं .यह सफ़ेद प्रकाश को सात रंगों में तोड़ देता है .प्रकाश का तरंग की लम्बाई के अनुरूप वर्तन(Refraction ) और विकीर्रण(Dispersion ) भी करता है प्रिज्म .

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  7. चार-चार पंक्तियों में सुंदर भाव। प्राचीन छंदों को छोड आधुनिक कलापक्ष में मुक्त छंद में लिखी यह विधा कारगर है। मराठी में यह क्षणिकाएं 'चारोळी'(चार पंक्तियां) नाम से बहुत चली। चंद शब्दों में प्रभावकारी ताकत।

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  8. जैसे पार की अभिव्यक्ति
    पार हुए बिना नहीं होती
    वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
    निराकार हुए बिना नहीं होती .................इतना विद्वत उद्बोधन!

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    1. जैसे मन के क्रकच आयत पर
      जो विभाजित , विस्थापित हो सत्य नहीं होता
      वैसे ही सोये अक्षरों से निस्कृत अर्थ
      कभी भी नित्य नहीं होता................बार-बार पढ़ने को मन करता है। गूढ़ भावों का उफान।

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    2. जैसे शीर्ण शब्दों के मध्य में
      मनवांछित मौन महिमावान नहीं होता
      वैसे ही आरोपित आधान में अवधान से
      कोई जागतिक विराम नहीं होता...........आरोपित प्रयत्‍न में ध्‍यान से कोई जगत का विराम नहीं होता। क्‍या यही सरलीकरण हो सकता है अन्तिम दो पंक्तियों का? जो भी हो अत्‍यन्‍त गहन क्षणिकाएं प्रस्‍तुत की हैं आपने।

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  9. सटीक ... स्पष्ट भाव देती हैं क्षणिकाएं सभी ....
    लाजवाब ...

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  10. लाजवाब बेहतरीन अभिव्यक्ति, सुंदर क्षणिकाए.

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  11. वाह ......सुन्दर क्षणिकाएं

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  12. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार ७/५ १३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।

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  13. जैसे पार की अभिव्यक्ति
    पार हुए बिना नहीं होती
    वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
    निराकार हुए बिना नहीं होती .
    ...बहुत खूब! सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर...

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  14. bahut hi khoobsurat panktiyan:
    जैसे सतत प्रवाह में
    कोई भी अंतराल संभव नहीं है
    वैसे ही इस काल में गति के लिए
    कोई भी स्थान अथवा प्रतिकाल संभव नहीं है

    abhivadan sweekar karen!

    -Abhijit (Reflections

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  15. बहुत सुंदर क्षणिकाएँ और ज्ञानवर्धक भी....

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  16. जैसे पार की अभिव्यक्ति
    पार हुए बिना नहीं होती
    वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
    निराकार हुए बिना नहीं होती .
    बहुत सुंदर..अभिनव प्रयोग..हर क्षणिका अपने आप में एक सूत्र है..बधाई !

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  17. बहुत सुन्दर ..

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  18. बढिया,बहुत सुंदर

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  19. बहुत बढ़िया!

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  20. क्लिष्ट शब्दों से युक्त किन्तु गंभीर चिंतन को जन्म देती क्षणिकाएं अद्भुत ...

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  21. बहुत ही गहरी रचना..विचारणीय और चिन्तनशील

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  22. निराकार भावों की अनूभूति ...जैसे निराकार बादलों सी बातें ..जैसे निराकार शब्दों के बेहद -बेहद अनूठे बनते घरौंदे .. कभी-कभी वक़्त लग जाता है समझने में ....

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  23. सुन्दर रचना
    अच्छे शब्दों का चुनाव ।।

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  24. बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

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  25. बेहतरीन शब्द संयोजन , बेहतरीन छादिकाएं .हार्दिक बधाई के साथ

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  26. एक से बढ़कर एक
    अर्थ सहित अभिव्यक्ति से रचना के भाव बढ़ा दिये आपने

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  27. बहुत ही कुशलता से बुनी हुई क्षणिकाएँ...बधाई और शुभकामनाएँ!

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  28. kya shaandar kshanikaayen hain...sabhi ki sabhi....thahar ke padhna padta hai aapka blog...kahan kahan se shabdon ko dhoond kar laati hain...thahar ke padhna padta hai aapka blog...bahut sundar!! :)

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