कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरी नींद
सेंध कुछ ऐसी लगती है
मानो कोई
अशर्फियों से भरी संदूकड़ी को
मेरे सिरहाने ही लगा जाता है
और समुचित संरक्षण के लिए
मुझे जोगिन-सा जगा जाता है
कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरा चेत
चिन्हार-सा चारु हास कर
मानो कोई
एक चितवन चमक नयन में भर
मुझे मुझसे ही चुराता है या
उस सेंधिया की सिधाई कहूँ तो
मुझे मुझको ही चुकाता है
कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरा काँटों का सेज
रग-रोयें में एक गंध घोलकर
मनो कोई
बिखरा कर क्वांरी कलियों को
मुझे भी बहुरिया बना जाता है
और एक धुकधुकी धधकाकर
स्पर्शइन्द्रियों को उकसा जाता है
कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरा अंगदान
अनंग- क्रीड़ा को क्रियमाण कर
मानो कोई
लोकोपवाद को लज्जित करके
अंगलेप-सा मुझे लेस जाता है
और मेरे अंगविन्यास को उलझाकर
मुझे भी लोकातीत बना जाता है
कोई तो बता दे मुझे
कौन ले जाता है ?
मेरा............
अंतर्मन में उठते भावों को प्रश्न रूप में अभिव्यक्त करना सुखद है .....शैली भी प्रभावपूर्ण है ....!!
ReplyDeleteचुपके कौन आया तोर अंगना , जान जाओ तो बता देना !
ReplyDeleteसेंध कुछ ऐसी लगती है
ReplyDeleteमानो कोई
अशर्फियों से भरी संदूकड़ी को
मेरे सिरहाने ही लगा जाता है
और समुचित संरक्षण के लिए
मुझे जोगिन-सा जगा जाता है
.........
मुझे भी लोकातीत बना जाता है
बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteकोई तो बता दे मुझे
ReplyDeleteकौन ले जाता है ?
मेरा चेत
चिन्हार-सा चारु हास कर
मानो कोई
एक चितवन चमक नयन में भर
मुझे मुझसे ही चुराता है या
उस सेंधिया की सिधाई कहूँ तो
मुझे मुझको ही चुकाता है
सुन्दर....
वाह ... बेहतरीन
ReplyDeleteAatrangee... Sadho aa. Amrita Ji
ReplyDeleteSilsileon ko yun hi chalae rakhna ki ...
"dilon ko sunne ke lie humkhyaali ki bhi zarurat hoti hain,
kabhi soorat Nazuk toh kabhi seerat bhi Nazuk hoti hain." ...
~ Pradeep Yadav ~
कौन बतायेगा....
ReplyDeleteखुद ही जानती हो.....बताओ न !!!
{बेहतरीन रचना}
अनु
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार(11-5-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
ReplyDeleteसूफी वाद से संसिक्त रचना .जोगन बन जाउंगी सैयां तोरे कारण .....
सूफी भगवान को अपनी बहुरिया ही मानते हैं .यही निकटतम संग की अभिव्यक्ति है .आज सजन मोहे अंग लगा लो, जन्म सफल हो जाए ,हृदय की पीड़ा ,देह की अग्नि ,सब शीतल हो जाए .....
रग-रोयें में एक गंध घोलकर
ReplyDelete(मनो कोई) को (मानो कोई) कर दें।
पढ़ूंगा पुनश्च पढ़ूंगा, तब समझूंगा। एक दृष्टि में तो मात्र आकर्षण से हिलना ही होता है सब कुछ पढ़ कर।
कभी टेलीफोन के जनक ग्राहम बेल भी इसी सवाल का जवाब खोजते-खोजते थक गए थे...कुछ-कुछ जवाब मिला...उन्होंने जिद बाँध ली और दुनिया के सामने टेलीफोन ले आये... टेलीफोन पर उन्होंने पहला शब्द कहा था...हेलो.....आखिर ये शब्द कहाँ से आया ? बाद में उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मैं नहीं जानता कि यह कौन सी शक्ति है ...मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि यह है ................
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत....
ReplyDeleteशब्दों में बंधे छुपे खूबसूरत भाव ..अनोखे अंदाज में मनभावन शैली में लिखी शानदार रचना ..मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत....रचना..
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी कविता |
ReplyDeleteमुझे जोगिन-सा जगा जाता है--------जोगिन-सा जगा
ReplyDeleteमुझे भी लोकातीत बना जाता है-------लोकातीत
http://sarikkhan11.blogspot.in/
ये भी तलाश है..... कितना सुंदर बिम्ब और गहरी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteतुम्हारे सिवा और कौन जानेगा ?
ReplyDeleteअपने मन की बात और कौन जानेगा आपके सिवाय ?
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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रहस्य भी और प्रेम भी.
ReplyDeleteप्रेम में डूबा मन और मन से बिसरा प्रेम ?
ReplyDeleteप्रेम रंग में रंगा सुध बुध कौन चुराए नेम?
बड़ी निराली मन की दशा का वर्णन किया है आपने
क्या बात, बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
क्या बात, बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत सुंदर
sundar abhivyakti
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeletesundar abhivyakti
ReplyDeleteन जाने कौन, संचित है मौन
ReplyDeleteबहुत खूब ... उस चितचोर को ढूंढना मुश्किल तो नहीं ...
ReplyDeleteदिल के आसपास ही रहता है वो कहीं ...
सुन्दर भाव लिए प्रेमपूर्ण रचना...
ReplyDelete:-)
मनो कोई
ReplyDeleteबिखरा कर क्वांरी कलियों को
मुझे भी बहुरिया बना जाता है
और एक धुकधुकी धधकाकर
स्पर्शइन्द्रियों को उकसा जाता है
....बहुत ही उत्कृष्ट प्रेममयी रचना...
एक चिरंतन प्रश्न -उत्तरातीत !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और गहन..........कसक सी उठाती रचना।
ReplyDeleteamrita ji...aapke shbdon ka vinyas sashkt hai...chhaap chodti hai rachna :)
ReplyDeleteकोई तो बता दे -----
ReplyDeleteकोई तो बता दे प्रेम में ऐसा क्यों होता है
वाह मन की सुंदर अनुभूति
बधाई
आग्रह है पढ़ें "अम्मा"
http://jyoti-khare.blogspot.in
उन सों नेहा लगाए ...
ReplyDeleteअब कैसे जिया चैन पाए ....!!
मदमाती सी मधुर रचना ...अमृता जी ....!!
अमृताजी. कौन बताएगा, आपको ही पता करना होगाः बहुत ही भावपूर्ण रचना । बधाई ।
ReplyDeleteअमृताजी. कौन बताएगा, आपको ही पता करना होगाः बहुत ही भावपूर्ण रचना । बधाई ।
ReplyDeleteऔर समुचित संरक्षण के लिए
ReplyDeleteमुझे जोगिन-सा जगा जाता है, bahut khooob