जैसे सूक्ष्म की शल्य-चिकित्सा का
कोई विलिखित , विख्यायित प्रमाण नहीं है
वैसे ही श्वास-सेतु से जुड़ा हरेक कण है
कोई भी अज्ञात आयाम नहीं है
***
जैसे सतत प्रवाह में
कोई भी अंतराल संभव नहीं है
वैसे ही इस काल में गति के लिए
कोई भी स्थान अथवा प्रतिकाल संभव नहीं है
***
जैसे मन के क्रकच आयत पर
जो विभाजित , विस्थापित हो सत्य नहीं होता
वैसे ही सोये अक्षरों से निस्कृत अर्थ
कभी भी नित्य नहीं होता
***
जैसे शीर्ण शब्दों के मध्य में
मनवांछित मौन महिमावान नहीं होता
वैसे ही आरोपित आधान में अवधान से
कोई जागतिक विराम नहीं होता
***
जैसे पार की अभिव्यक्ति
पार हुए बिना नहीं होती
वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
निराकार हुए बिना नहीं होती .
क्रकच आयत ---- प्रिज्म
आधान --- प्रयत्न
अवधान --- ध्यान
जैसे पार की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपार हुए बिना नहीं होती
वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
निराकार हुए बिना नहीं होती .
... बेहद सशक्त भाव
सुन्दर और भावपूर्ण. आपकी क्षणिकाएं अपने आप में अनूठी होती हैं. क्रकच आयत शब्द से पहली बार आशना हुआ. शुक्रिया.
ReplyDeleteवाह बहुत जी सुन्दर मनोहारी भावपूर्ण क्षणिकाएं अमृता जी बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteचार पंक्तियों में
ReplyDeleteसभी भावों का अंकन
नये शब्दों से भी परिचित हुई
सादर
बहुत उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति, सुंदर क्षणिकाए,,
ReplyDeleteRECENT POST: दीदार होता है,
वाह बहुत खूब
ReplyDeleteतमाम क्षणिकाएं गूढ़ दर्शन और निहितार्थ लिए हैं .भाषिक प्रवाह और गेयता का ज़वाब नहीं .
ReplyDeleteप्रिज्म के पर्याय वाची हैं :समपार्श्व आयत ,संक्षेत्र ,प्रिज्म एक समपार्श्व कांच की बनी ठोस वस्तु होती है जिससे प्रकाश का वर्क्रक्रम (रंगावली )प्राप्त होता है .इसके एक पार्श्व के किनारे दूसरे पार्श्व के किनारों के समान्तर तथा आकार और आकृति की दृष्टि से समान होते हैं .यह सफ़ेद प्रकाश को सात रंगों में तोड़ देता है .प्रकाश का तरंग की लम्बाई के अनुरूप वर्तन(Refraction ) और विकीर्रण(Dispersion ) भी करता है प्रिज्म .
चार-चार पंक्तियों में सुंदर भाव। प्राचीन छंदों को छोड आधुनिक कलापक्ष में मुक्त छंद में लिखी यह विधा कारगर है। मराठी में यह क्षणिकाएं 'चारोळी'(चार पंक्तियां) नाम से बहुत चली। चंद शब्दों में प्रभावकारी ताकत।
ReplyDeleteजैसे पार की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपार हुए बिना नहीं होती
वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
निराकार हुए बिना नहीं होती .................इतना विद्वत उद्बोधन!
जैसे मन के क्रकच आयत पर
Deleteजो विभाजित , विस्थापित हो सत्य नहीं होता
वैसे ही सोये अक्षरों से निस्कृत अर्थ
कभी भी नित्य नहीं होता................बार-बार पढ़ने को मन करता है। गूढ़ भावों का उफान।
जैसे शीर्ण शब्दों के मध्य में
Deleteमनवांछित मौन महिमावान नहीं होता
वैसे ही आरोपित आधान में अवधान से
कोई जागतिक विराम नहीं होता...........आरोपित प्रयत्न में ध्यान से कोई जगत का विराम नहीं होता। क्या यही सरलीकरण हो सकता है अन्तिम दो पंक्तियों का? जो भी हो अत्यन्त गहन क्षणिकाएं प्रस्तुत की हैं आपने।
सटीक ... स्पष्ट भाव देती हैं क्षणिकाएं सभी ....
ReplyDeleteलाजवाब ...
बढिया,बहुत सुंदर
ReplyDeleteलाजवाब बेहतरीन अभिव्यक्ति, सुंदर क्षणिकाए.
ReplyDeleteवाह ......सुन्दर क्षणिकाएं
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगल वार ७/५ १३ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।
ReplyDeleteजैसे पार की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपार हुए बिना नहीं होती
वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
निराकार हुए बिना नहीं होती .
...बहुत खूब! सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर...
bahut hi khoobsurat panktiyan:
ReplyDeleteजैसे सतत प्रवाह में
कोई भी अंतराल संभव नहीं है
वैसे ही इस काल में गति के लिए
कोई भी स्थान अथवा प्रतिकाल संभव नहीं है
abhivadan sweekar karen!
-Abhijit (Reflections
बहुत सुंदर क्षणिकाएँ और ज्ञानवर्धक भी....
ReplyDeleteजैसे पार की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपार हुए बिना नहीं होती
वैसे ही भावक भावों की आप्त अनुभूति
निराकार हुए बिना नहीं होती .
बहुत सुंदर..अभिनव प्रयोग..हर क्षणिका अपने आप में एक सूत्र है..बधाई !
बहुत सुन्दर ..
ReplyDeleteबढिया,बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteक्लिष्ट शब्दों से युक्त किन्तु गंभीर चिंतन को जन्म देती क्षणिकाएं अद्भुत ...
ReplyDeleteबहुत ही गहरी रचना..विचारणीय और चिन्तनशील
ReplyDeleteYatharth.
ReplyDeleteनिराकार भावों की अनूभूति ...जैसे निराकार बादलों सी बातें ..जैसे निराकार शब्दों के बेहद -बेहद अनूठे बनते घरौंदे .. कभी-कभी वक़्त लग जाता है समझने में ....
ReplyDeleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteअच्छे शब्दों का चुनाव ।।
बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .
ReplyDeleteबेहतरीन शब्द संयोजन , बेहतरीन छादिकाएं .हार्दिक बधाई के साथ
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक
ReplyDeleteअर्थ सहित अभिव्यक्ति से रचना के भाव बढ़ा दिये आपने
बहुत ही कुशलता से बुनी हुई क्षणिकाएँ...बधाई और शुभकामनाएँ!
ReplyDeletekya shaandar kshanikaayen hain...sabhi ki sabhi....thahar ke padhna padta hai aapka blog...kahan kahan se shabdon ko dhoond kar laati hain...thahar ke padhna padta hai aapka blog...bahut sundar!! :)
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