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Monday, January 4, 2021

उधार का ज्ञान बहुत है ........

मेरे पास भी इधर-उधर से उधार का ज्ञान बहुत है 

उसे भांति-भांति से सत्य साबित करने के लिए

उल्टा-पुल्टा , आड़ा-तिरछा , टेढ़ा-मेढ़ा प्रमाण भी बहुत है 

पोथा पर पोथा यूँ ही नहीं लिख कर दे मारी हूँ

नये-पुराने सारे विषयों का अधकचरा खान बहुत है

अगर किसी सभा में अंधाधुंध जो बांचने लगूं तो

देखने-सुनने वाले की नजरों में मान-सम्मान भी बहुत है....

तब तो मानद उपाधियां मेरे चरणों तले

रंग-बिरंगे कालीनों के जैसे बिछी रहती हैं

और सारे पुरस्कारों की लंबी-लंबी कतारें 

हर अगले को धक्का लगा-लगा कर गिनती है ....

ये हाल है कि छोटे-बड़े राजा-महाराजा मुझे 

अपनी दरबार की सुन्दरतम शोभा बनाना चाहते हैं

मेरे छींकने से ही बिखरे हुए मोती जैसे ज्ञान को भी

अपने , उसके , सबके सिर-माथे पर सजाना चाहतें हैं .....

देख रही हूँ अभी से ही मेरे लिए जगह-जगह पर

किसिम-किसिम के अभिलेख , शिलालेख खुदवाये जा रहे हैं

और सब भयंकर ज्ञानियों को छोड़ कर ज्ञानी नम्बर एक पर

मेरे ही नाम , सर्वनाम , उपनाम गुदवाये जा रहे हैं ......

जब सबसे ज्यादा बिकाऊ उधारी ज्ञान का ये हाल है तो

सोचती हूँ अपना ज्ञान जो होता तो और क्या-क्या होता

अरे ! कोई तो मेरा अपना ज्ञान मुझे सूद समेत लौटा दो

ऐसा जबरदस्त घाटा लगाकर मेरा मन बहुत जोर-जोर से है रोता .


15 comments:

  1. जब सबसे ज्यादा बिकाऊ उधारी ज्ञान का ये हाल है तो
    सोचती हूँ अपना ज्ञान जो होता तो और क्या-क्या होता...
    तर्क की कसौटी पर आपने सारे पाखंडी ज्ञानियों को जमचर तौला है। वस्तुतः इस घोर कलयुग में अधूरा ज्ञान ही बिक रहा है।।।।एक अच्छी व पारखी रचना।

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  2. नव वर्ष मंगलमय हो। सुन्दर सृजन।

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  3. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 04 जनवरी 2021 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  4. मेरे पास भी इधर-उधर से उधार का ज्ञान बहुत है
    उसे भांति-भांति से सत्य साबित करने के लिए
    उल्टा-पुल्टा , आड़ा-तिरछा , टेढ़ा-मेढ़ा प्रमाण भी बहुत है ..
    बहुत खूब !! गहन तंज लिए सुन्दर सृजन ।

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  5. वाह!गज़ब दी।
    सच हमेशा ही आपकी लेखनी अपील करती है कि आओ मुझे पढो।
    सादर

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  6. वाह सचमुच क्या धारदार व्यंग्य है।
    उधार का ज्ञान
    सीधे शब्दों में जोरदार प्रहार।
    प्रिय अमृता जी आपकी लेखनी का हर रूप प्रशंसनीय है।

    सादर।

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  7. कितना सटीक लिखा है आपने . आजकल तो ऐसे ज्ञान का समंदर उछालें मार रहा है ...
    शानदार व्यंग्य अमृता जी

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  8. जिस भी दृष्टांत पर यह प्रतिक्रिया हुयी, व्यर्थ ही होगा।

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  9. हा हा हा हा हा हा हा उधार का ज्ञान। बहुत खूब।

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  10. टैटू का समय भी लौट आया है...इस दौर में.

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  11. इतनी सुंदर रचना..निशब्द हूं..सोचने पर मजबूर भी

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  12. बहुत बढ़िया धार. सच्ची बात तो यही है कि ज्ञान तो अपना-अपना ही होता है. अज्ञानी को ज्ञान कहीं से भी मिल जाए. 😃

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