"पहले जी" गये "दूसरे जी" के घर
"दूसरे जी" गये थे "तीसरे जी" के घर
धत् ! पता चला कि
"तीसरे जी" भी गये हुए हैं "चौथे जी" के घर
फिर "पहले जी" जब गये "चौथे जी" के घर पर
तो वो "महाशय जी" भी थे सिरे से नदारद.…...
तो क्या करते बेचारे "पहले जी"
अपना मुँह लटकाए वापस चले आए अपने घर
और बाट जोहने लगे अपने खिड़की-किवाड़ों को पकड़
कि भूले भटके ही सही "कोई तो" आए उनके घर
थोड़ा-सा ही सही मगर दौड़े तो "आह-वाह" की लहर
और किसी भी "जी" के ना आने पर
"पहले जी" मायूस होते रहे जी भर-भर कर
कुछ ऐसा ही है अपने ब्लॉगिंग का सफर .....
अगर "सबके-सब" बिन बुलाए ही तांता लगा कर
शौक से जब आने लगें आपके घर
तो आप भी बड़े आराम से खुद को समझिए
अपने आपको एकदम से बड़का "कलक्टर"
और खूब करते रहिए बकर-बकर
सब लगाते रहेंगे आपको तरह-तरह से बटर
ताकि आप लुढ़कते रहें फिसल-फिसल कर
फिर सब मजा लेते रहेंगे ताली पीट-पीट कर
कुछ ऐसा ही है अपने ब्लॉगिंग का सफर........
अजी! हम भी अपनी बात कह देते हैं
जरूरत से कुछ ज्यादा ही खुलकर
लेकिन साथ में दोनों हाथों को जोड़ कर
प्यार से वैधानिक चेतावनी भी देकर
कि इस हल्के-फुल्के मजाक को
कृपया कोई न लें अपने "ब्लॉगिंग-सा दिल पर"
कभी-कभी हँसना और हँसाना भी चाहिेए
अपने-आप को सबसे बड़ा "कलक्टर" बनाना भी चाहिए.…...
तो आइए ! सब हँसे खूब लोट-पोट कर
और जो-जो न हँसे उन्हें भी हँसाएं टोक-टोक कर
उनका नाक-कान , पैर-हाथ पकड़-पकड़ कर
अगर फिर भी वो न हँसे तो भी हँसाएं
उनके पेट को जोरदार गुदगुदी से जकड़-जकड़ कर
क्योंकि कुछ ऐसा ही है अपने ब्लॉगिंग का सफर .
बहुत खूब लिखा आपने अमृता जी!
ReplyDeleteहा हा सबसे बड़ा कलक्टर और ब्लॉगिंंग। बस हम किस सीढ़ी पर हैंं जी 1 2 3 मेंं से अभी गिन रहे हैं। :) :)
ReplyDeleteजिस हिसाब से देश की आबादी है, उस हिसाब से अभी ब्लॉगिंग की कलेक्टरगीरी कम है। और फिर लपटप समार्ट फुनवा भी सबकै पास है कोन्या। जै दिन होंगे सबन फुल विद लपटप और समार्ट फुनवा से वा दिन कलक्टर चपरासी हो जागा।
ReplyDeleteहास्य व्यंग्य के रंगों से लबरेज़ क्या खूब लिखा है आपने ब्लॉगिंग पर..
ReplyDeleteहम तो हंस रहे हैं अपने ऊपर भी लोटपोट होकर..
..मनोहारी कृति!!
वाह, क्या खूब लिखा !!!
ReplyDeleteब्लॉगिंग का अलबेला सफ़र मुबारक़ हो अमृता जी 🌹🙏🌹
हास्य और व्यंग का बहुत सुंदर तालमेल बैठाती रचना।
ReplyDeleteइसी तरह हँसी-खुशी काटते रहें सब अपना-अपना सफर, कोई आये या जाये किये बिना इसकी ज्यादा फिकर ! बधाई इस हास्य रचना के लिए
ReplyDeleteयानि "गिव एंड टेक.
ReplyDeleteलय बात है ... हास्य व्यंग ब्लोगिंग का दौर और भी पता नहीं क्या क्या ... चलता रहेगा दौर ऐसा ...
ReplyDeleteवाह | बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी ये रचना masterpiece है..👍
ReplyDelete😃 नए मूड की कविता है. कोई चाहे तो इसे दिल में रख ले या फिर दिल पर ले ले. मर्ज़ी उसकी.
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