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Monday, November 30, 2020

बहिर्अंतस की उन्मत्त अमा है .......

अभी- अभी पूर्णिमा का चांद 

आकर मुझसे मिला है

अभी- अभी मेरे भी मौन अँधियारे में 

मेरा भी चांद खिला है

आज गगन में फूट रहा है कोई अमृत गागर

मेरे अंतर्गगन में भी फैल गया किरणों का सागर 

मधुमयी चांदनी ज्यों बरस रही है 

मुझसे भी मेरी ज्योति परस रही है

चकोर- चकोरी एकनिष्ठ हो छुप- छुपकर दहक रहे हैं

वहीं नीरंजन बादल कहीं- कहीं चुपचाप थिरक रहे हैं

मुखर हो रही है मन बांसुरी , शब्द- शब्द झरझरा रहे हैं

भाव- भाव अमर रस को पी- पीकर अनंत प्यास बुझा रहे हैं

सोलह कलाओं से सजी आसक्तियां निखरने लगी है

इच्छाऐं रससिक्त होकर जहां- तहां बिखरने लगी हैं

जैसे ये महत क्षण हो अपनापन खोने का

हर्षोन्माद में भींगने और भिंगोने का

जैसे शीतल सौंदर्य के सुगंध को पहली बार कोई मनुहारा हो

सारी रात सांस रोककर कोई चांद को निर्निमेष निहारा हो

जैसे अभी- अभी मिला कोई नवल वय है

लग रहा है कि मैं सबमें और सब मुझमें ही तन्मय है

बस उत्फुल्ल चांद है , उद्दीप्त चांदनी है , उद्भूत पूर्णिमा है

और अमृत में तन्मय हो रही बहिर्अंतस की उन्मत्त अमा है .

*** देव दीपावली एवं कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ ***

14 comments:

  1. शुभकामनायें आपके लिये भी। कोरोना से ध्यान भटकाने के लिये अच्छा है चांद ।

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  2. सोलह कलाओं से सजी आसक्तियां निखरने लगी है
    इच्छाऐं रससिक्त होकर जहां- तहां बिखरने लगी हैं...
    ये पंक्तियाँ गजब हैं। सुंदर रचना।

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  3. बहुत ही सुंदर सराहनीय हमेशा की तरह।
    सादर

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  4. आपकी कविताई की यह शैली कहीं और नहीं देखी. छायावादी कविता में भी नहीं. बहुत सुंदर.

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  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 2 दिसंबर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. बहुत मधुर रचना...
    हार्दिक बधाई !!!

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  7. मंत्रमुग्ध करती हुई सरस रचना। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।

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  8. बेहतरीन मनविभोर करने वाली रचना

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  9. चाँदनी बिखरी है बाहर और अन्तस् में, कार्तिक पूर्णिमा पर सुंदर भाव आड़ोलन !

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  10. कहां रहने देती है चन्द्रप्रभा संवेदनशील मानव को कायिक! इसे देखने के बाद वास्तविक जग-जीवन में लौटना कठिन होता है। शुभकामनाएं आपको भी सुंदर गीत, अनुभूति और चन्द्रज्योति के अमृत में भीतर-बाहर तन्मय होने के लिए।

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  11. मन को छू लेने वाली रचना

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    1. दिल को छूती सुंदर रचना।

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  12. This comment has been removed by the author.

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  13. कविता का यह प्रवाह पुरानी लेखनी की याद दिला रहा है. एक पाठक को मुदितमना जाने योग्य।

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