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Friday, April 6, 2012

घिर बदरा कारे...


गर्मी  का उत्ताप
धरा  करे विलाप
पड़   गयीं   दरारें
सूखे   ओंठ  सारे
उड़     रहीं   धूल
मूर्झा   गये  फूल
पीड़ा    सी   हूकी
कोयल जब कूकी
अमिया  है उदास
बुझ   रही   आस
मन  विकल खग
बाट   जोहे   जग

घिर  बदरा  कारे
आ रे आ रे आ रे !

अँखियाँ न  मींचो
प्राणों  को   सींचो
कर   बूँदा - बाँदी
तृप्ति  की  आँधी
शीतल  हो अगन
भींगे   तन - मन
बगिया  में  बहार
यौवन  का खुमार
मंगल  बेला आये
घट  - घट    गाये
तेरे     संग   झूले
सब   दुःख   भूले

घिर   बदरा  कारे
आ रे आ रे आ रे  !

44 comments:

  1. बहुत बढ़िया गीत रचा है आपने!

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  2. गुरुवर के आदेश से , मंच रहा मैं साज ।
    निपटाने दिल्ली गये, एक जरुरी काज ।

    एक जरुरी काज, बधाई अग्रिम सादर ।
    मिले सफलता आज, सुनाएँ जल्दी आकर ।

    रविकर रहा पुकार, कृपा कर बंदापरवर ।
    अर्जी तेरे द्वार, सफल हों मेरे गुरुवर ।।

    शनिवार चर्चा मंच 842
    आपकी उत्कृष्ट रचना प्रस्तुत की गई है |

    charcamanch.blogspot.com

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  3. कर बूंदा बांदी
    तृप्ति की आंधी ...
    शुभ हो.....

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  4. बरखा की बाट जोहती गीत मई सुंदर प्रस्तुती ...

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  5. बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  6. बिना संयोग के राग मल्हार ?

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  7. sunder shabdo ki sunder tukbandi........

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  8. बहुत उम्दा गीत है बधाई स्वीकारें।

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  9. वाह,
    क्या कहने
    छोटे छोटे
    शब्दों की
    अद्भुत माला
    है।

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  10. Amrita,

    VARSHAA KO PUKAAR ITNI SUNDAR DHANG SE KI HAI YEH BATATE HUE KI AB AUR PRATIKSHA NAHIN HO SAKTI.

    Take care

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  11. बहुत सुन्दर रचना................

    मगर मनुहार करने में बड़ी जल्दी की....
    चलिए अर्जी तो लगा दी...... सुनवाई हो ही जाये .

    सस्नेह
    अनु

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  12. कविता पढ़ने के बाद गर्मी फूल फैलेज आ गई है...बस थोड़ी बहुत कसर रह गई है....सावधान औऱ याद दिलाने के लिए शुक्रिया कि बादलों को भी बुलाना है..वरना न्यौता नहीं मिलने पर बादल नाराज हो जाते और आते नहीं..अगर आते भी तो बिना नीचे आए मिले ऊपर-ऊपर ही चले जाते।

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  13. अभी तो गर्मी का ताप इतना नहीं चढ़ा है फिर भी उस स्थिति को सोचते हुये बहुत सुंदर गीत रचा है ...

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  14. नन्ही-नन्ही बूंदों जैसे सुन्दर शीतल शब्द... सुन्दर रचना...

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  15. चिर बदरा कारे कारे ,

    आ रे आरे ,आरे ,

    तपती धरती आग बुझा रे ....

    बिछड़ों को एक बार मिला रे ....

    गा रे गा रे ,उड़ जा रे ...

    बहुत सुन्दर बंदिश बयार सी ,बहे प्यार सी .

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  16. मन को तृप्त करती रचना... अति सुन्दर!
    इच्छा हुई कि ये दो शब्द रखूँ...
    विकल ये मन
    चाहे नव सृजन
    अमृत बरसा रे
    आ रे आ रे आ रे!

    सादर

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  17. सुखद .. शीतल एहसास की रचना

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  18. फुहार महसूस होने लगी

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  19. यह धरती और तप्त चिदाकाश की प्रार्थनाएँ हैं. सुंदर काव्य.

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  20. beautiful and ful of emotions .
    nice lines based on nature.

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  21. वाह! वास्तविक चित्र, मधुर अनुरोध! बहुत बढिया!

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  22. चिलचिलाती धूप में कारे-बदरवा की शीतलता , मन की अगन तो बुझा ही देगी . इंतजार रहेगा मेघ महाराज का .

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  23. वाह ...बहुत ही बढिया।

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  24. bahut sundar likhti hain aap, aapki pichhli rachnayen bhi padhi.....behtareen abhivyaktie!

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  25. तपती धूप, छाँह मागें सब..

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  26. प्रभावशाली प्रस्तुति|

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  27. ठंडी फुहारसी ...भिगोती रचना...बहुत सुन्दर अमृताजी

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  28. शब्द और भाव का अनूठा संगम है इस रचना में...वाह...

    नीरज

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  29. bahut sundar. mere blog par aapka swagat hai
    www.utkarsh-meyar.blogspot.com

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  30. प्रकृति का सुंदर चित्र खींचा है आपने।
    बहुत अच्छी लगी ये कविता।

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  31. मनमोहक कविता।

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  32. कविता का शिल्प इतना बढिया है कि पढते वक़्त लगता है टप-टप बूंदें पड़ रही हों।

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  33. गर्मी का उत्ताप
    धरा करे विलाप
    पड़ गयीं दरारें
    सूखे ओंठ सारे
    उड़ रहीं धूल
    मूर्झा गये फूल
    पीड़ा सी हूकी
    कोयल जब कूकी
    अमिया है उदास
    बुझ रही आस
    मन विकल खग
    बाट जोहे जग

    घिर बदरा कारे
    आ रे आ रे आ रे !


    बेहद सुंदर आह्वान है बादल से ....!

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  34. वहाँ तो बारिश टाईप का मौसम किया हुआ है न, और दिल्ली में गर्मी बढती जा रही है!! :)

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  35. अति सुंदर...आगमन जब पावस का मन पलाश हो जाये....अग्निशिखा सा मन मेरा उन्मत्त हुआ जाये...बहुत अच्छा भावों का सम्प्रेषण अमृता...अति सुंदर...

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  36. बहुत खूबसूरत लगी पोस्ट....शानदार।

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  37. शीतल हो अगन

    भींगे तन-मन...

    आपकी रचनाओं पर कुछ कहने के लिए मेरे पास शब्द नहीं बचते.

    बहुत ही बेहतरीन...

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  38. jab itne pyar se bulaya hai to badra jarur aayega...

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  39. गर्मी से बचने का बेहतरीन उपाय खोजा है आपने। मन को बारिश का दिलाशा देना। एक दिन मेघ भी घिरेंगे, बारिश भी होगी। इसलिए गर्मी से इतना घबराने की जरुरत नहीं है।

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