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Wednesday, October 5, 2011

मेरे शब्द

मेरे शब्द
जिससे मैं कहती हूँ
दुनिया भर की
बेसिर-पैर की हर
छोटी-बड़ी बातें......
कभी खड़ी करती हूँ
बहुमंजली इमारतें
ताशों के मानिंद
तो कभी गढ़ती हूँ
रेशमी धुआँ से
लच्छेदार छल्लेदार इबारत...
अक्सर उसी में छुपकर
कर लेती हूँ चुपके से
उसी की इबादत..........
मेरे शब्द
जिसे मैं महसूसती हूँ
अत्यंत आंतरिक स्तर पर
जो अपने आवरण में
कभी शराफ़त से
तो कभी शरारत से
लपेटे रहता है मुझे.......
कभी वह किसी सच के
बेहद करीब जाकर
अड़ जाता है
तो कभी खुद पर बिठा
न जाने कौन-कौन सी
जहान की सैर
करा देता है मुझे.........
मेरे शब्द
शायद शब्द भी
कम पड़ रहे हैं
या मैं ही हूँ कोई
निःशब्द शब्द .

52 comments:

  1. शब्द ही तो सफलता की पूंजी होते हैं।

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  2. लच्छेदार छल्लेदार इबारत...
    अक्सर उसी में छुपकर
    कर लेती हूँ चुपके से
    उसी की इबादत..........


    Very smooth creation.. Regards..

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  3. खूबसूरत |
    सादर नमन ||

    http://neemnimbouri.blogspot.com/2011/10/blog-post.html

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  4. शब्द शक्ति हैं, शब्द भक्ति हैं,
    बन्धन गहरे, शब्द मुक्ति हैं।

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  5. मौन की गूँज अधिक मारक होती है लेकिन अभिव्यक्ति के लिए चाहिए होता है शब्द।

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  6. "...शब्द...
    अक्सर उसी में छुपकर
    कर लेती हूँ चुपके से
    उसी की इबादत...."

    शब्दों में छुप कर इबादत तो हो ही जाती है, बस वो समझ भी सकें !!! मौन भी हावी होता जा रहा है आजकल शब्दों पर, पता नहीं उचित है या अनुचित.....
    रचना ने प्रभावित किया, धन्यवाद.

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  7. ये शब्द बहुत कुछ कह देते हैं।
    ----
    कल 06/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  8. अमृता तन्मय जी,
    आपकी रचना की कशिश एवं उसमे समाहित भाव बहुत ही अच्छा लगा । इस कविता के हरेक शब्द मुखर हो उठे हैं । धन्यवाद । .मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।

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  9. क्या बात है, बहुत सुंदर
    वैसे भी आपको पढना अच्छा लगता है।

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  10. शब्दों का निःशब्द होना कितना जलाता है ना !
    सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  11. शायद शब्द भी
    कम पड़ रहे हैं
    या मैं ही हूँ कोई
    निःशब्द शब्द .

    ....बहुत सुन्दर..शब्द ही अपने आप में भावों का दर्पण है..

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  12. बहुत सुन्दर शब्द की सही व्याख्या करती ये पोस्ट लाजवाब है|

    मेरे ब्लॉग की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|

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  13. शब्द से निशब्द तक की आपकी यह कविता यात्रा बहुत सुंदर लगी... शब्द भी कम पड़ते हैं जो वास्तव में हम कहना चाहते हैं उसके लिये...फिर भी शब्द ही हैं जो मानव को मानव बनाते हैं.

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  14. बेहतरीन रचना ...

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  15. आप जो मर्जी कहें,
    आप जो मर्जी लिखें,
    हम तो आपके अल्फाज़ की इमारत में आपका चेहरा तलाश करते हैं.

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  16. निःशब्द शब्द ... दशहरा की शुभकामनायें

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  17. मेरे शब्द
    जिसे मैं महसूसती हूँ
    अत्यंत आंतरिक स्तर पर
    जो अपने आवरण में

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
    सादर...

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  18. निःशब्द शब्द ... जीवन ऐसा ही तो है ... मौन शब्द ...

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  19. आजकल अक्सर हो जाता है विवाद
    किसी न किसी शब्द के अर्थ को लेकर
    कहते हैं हर शब्द का एक इतिहास है
    उसका एक सन्दर्भ है बिना इसके
    नहीं हो सकती उसकी सटीक व्याख्या
    तो हमें सोचना पड़ता है अतीत में
    कही गयी उन तमाम बातों के बारे में
    न जाने वह बात किस सन्दर्भ में कही गयी होगी ?
    उन्हीं सन्दर्भों की तलाश में
    खंगाल रहा हूँ मैं बातों की गठरी को
    ताकि समझ पाऊं उन तमाम शब्दों के सन्दर्भों को
    और उनके निहितार्थों को
    जिसे समझने में लापरवाह मन
    अक्सर गच्चा खा जाता है..

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  20. Nice & Nice Written, also very powerful comments on me..

    Thanks and Regards !

    Happy Durga Puja....

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  21. बेहतरीन रचना ..
    विजय पर्व "विजयादशमी" पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनायें..

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  22. शब्‍द कभी नहीं मरते.. शब्‍द अमर रहते हैं....
    बेहतरीन प्रस्‍तुति.... गजब के भाव।
    आभार.............

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  23. निःशब्द..!!!*** शुभकामनाएं***!!!

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  24. शब्द नि:शब्द भी कर जाते है.
    बेहतरीन रचना ..

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  25. आपकी रचनाओं में जो विविधता है वह नव लेखन में प्राप्य नहीं है.
    फिर एक बेहतरीन रचना,बधाई स्वीकार करें.

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  26. अक्सर उसी में छुपकर
    कर लेती हूँ चुपके से
    उसी की इबादत.......... aaur aapne chupke se hi itni badi baat bhi kah di..kabile tarif hai amrita ji..kabhi fursat mein hon to mere blog per bhi aayiyega..badhayee ke sath

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  27. आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।

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  28. बहुत सुन्दर रचना..बधाई.
    आप सभी को विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !!

    ___________
    'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.

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  29. शब्द की गरिमा को जीवंत करती रचना!
    विजयादशमी की शुभकामनाएं!

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  30. विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
    नवीन सी. चतुर्वेदी

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  31. देर से रुकी अनकही बात को कहने के लिए जब शब्द उमड़ आते हैं तब हम निःशब्द हो जाते हैं कई बार. वही तो है 'निःशब्द शब्द'. सुंदर रचना.

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  32. bahut khub sabad likhe hain mam aapne..
    jai hind jai bharat

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  33. शब्दों के जादूगर को निः शब्द कहना बिलकुल गलत होगा

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  34. उलझते फिर सुलझते विचारों की कमान आपके हाथ में मुखर है सुन्दर /

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  35. आखिरी दो पंक्तियाँ कमाल की है..शब्द कम पड़ते है आपकी तारीफ़ को.

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  36. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच 659,चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  37. शब्द ही हैं जो हमें प्रगट करते हैं...लिखने बैठो तो ये ही कम पड़ जाते हैं...

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  38. बेहतरीन रचना, विजयादशमी की शुभकामनाएं

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  39. बहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

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  40. शब्दशः निःशब्द किया आपकी इस शब्द -चर्चा ने . विजयदशमी की शुभकामनाये .

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  41. या मैं ही हूँ
    कोई निशब्द शब्द ...

    एक दम निशब्द कर दिया
    अओकी इस प्रभावशाली कृति ने !

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  42. ऊपर
    टिप्पणी में
    "अओकी" की जगह
    कृपया "आपकी" पढ़ें
    टंकण त्रुटि....

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  43. शब्द भाव का दामन है,
    अभिव्यक्ति का आँगन है
    .....

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  44. इस कविता में से एक लाईन चुरा कर मैं एक डायलोग मारने की इजाजत मांगता हूँ आपसे -
    'शब्द कम पड़ रहे हैं इस कविता की तारीफ़ में, निशब्द हूँ' :)

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  45. bhaut hi khubsurat se shabdo me shabdo ko kaha hai aapne....

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  46. पहली बार आपको पढ़ा बहुत शशक्त सार्थक और चिंतन से भरा है आपका लेखन कई कवितायेँ पढ़ी सभी सुन्दर भावमयी आपकी क्षणिकाएं बहुत पसंद आई ,आपने सराहा और हौसला बढाया आभार

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  47. खता लबों की,

    सज़ा शब्दों को शब्दों की ही,

    इसी लिये सबसे शक्तिमान शब्द "निशब्द"

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  48. निःशब्द भी कभी शब्द से अधिक सार्थक होता है ॥

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  49. निःशब्द भी शब्द है -वाह क्या बात है ...मौन मौन कुछ चल रहा है न :)

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  50. गूढ़ार्थों वाली कविता।
    निःशब्द शब्द का प्रयोग अच्छा लगा।

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