मेरे शब्द
जिससे मैं कहती हूँ
दुनिया भर की
बेसिर-पैर की हर
छोटी-बड़ी बातें......
कभी खड़ी करती हूँ
बहुमंजली इमारतें
ताशों के मानिंद
तो कभी गढ़ती हूँ
रेशमी धुआँ से
लच्छेदार छल्लेदार इबारत...
अक्सर उसी में छुपकर
कर लेती हूँ चुपके से
उसी की इबादत..........
मेरे शब्द
जिसे मैं महसूसती हूँ
अत्यंत आंतरिक स्तर पर
जो अपने आवरण में
कभी शराफ़त से
तो कभी शरारत से
लपेटे रहता है मुझे.......
कभी वह किसी सच के
बेहद करीब जाकर
अड़ जाता है
तो कभी खुद पर बिठा
न जाने कौन-कौन सी
जहान की सैर
करा देता है मुझे.........
मेरे शब्द
शायद शब्द भी
कम पड़ रहे हैं
या मैं ही हूँ कोई
निःशब्द शब्द .
जिससे मैं कहती हूँ
दुनिया भर की
बेसिर-पैर की हर
छोटी-बड़ी बातें......
कभी खड़ी करती हूँ
बहुमंजली इमारतें
ताशों के मानिंद
तो कभी गढ़ती हूँ
रेशमी धुआँ से
लच्छेदार छल्लेदार इबारत...
अक्सर उसी में छुपकर
कर लेती हूँ चुपके से
उसी की इबादत..........
मेरे शब्द
जिसे मैं महसूसती हूँ
अत्यंत आंतरिक स्तर पर
जो अपने आवरण में
कभी शराफ़त से
तो कभी शरारत से
लपेटे रहता है मुझे.......
कभी वह किसी सच के
बेहद करीब जाकर
अड़ जाता है
तो कभी खुद पर बिठा
न जाने कौन-कौन सी
जहान की सैर
करा देता है मुझे.........
मेरे शब्द
शायद शब्द भी
कम पड़ रहे हैं
या मैं ही हूँ कोई
निःशब्द शब्द .
शब्द ही तो सफलता की पूंजी होते हैं।
ReplyDeleteलच्छेदार छल्लेदार इबारत...
ReplyDeleteअक्सर उसी में छुपकर
कर लेती हूँ चुपके से
उसी की इबादत..........
Very smooth creation.. Regards..
खूबसूरत |
ReplyDeleteसादर नमन ||
http://neemnimbouri.blogspot.com/2011/10/blog-post.html
शब्द शक्ति हैं, शब्द भक्ति हैं,
ReplyDeleteबन्धन गहरे, शब्द मुक्ति हैं।
मौन की गूँज अधिक मारक होती है लेकिन अभिव्यक्ति के लिए चाहिए होता है शब्द।
ReplyDelete"...शब्द...
ReplyDeleteअक्सर उसी में छुपकर
कर लेती हूँ चुपके से
उसी की इबादत...."
शब्दों में छुप कर इबादत तो हो ही जाती है, बस वो समझ भी सकें !!! मौन भी हावी होता जा रहा है आजकल शब्दों पर, पता नहीं उचित है या अनुचित.....
रचना ने प्रभावित किया, धन्यवाद.
निःशब्द शब्द .
ReplyDeleteये शब्द बहुत कुछ कह देते हैं।
ReplyDelete----
कल 06/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
अमृता तन्मय जी,
ReplyDeleteआपकी रचना की कशिश एवं उसमे समाहित भाव बहुत ही अच्छा लगा । इस कविता के हरेक शब्द मुखर हो उठे हैं । धन्यवाद । .मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।
क्या बात है, बहुत सुंदर
ReplyDeleteवैसे भी आपको पढना अच्छा लगता है।
शब्दों का निःशब्द होना कितना जलाता है ना !
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति !
शायद शब्द भी
ReplyDeleteकम पड़ रहे हैं
या मैं ही हूँ कोई
निःशब्द शब्द .
....बहुत सुन्दर..शब्द ही अपने आप में भावों का दर्पण है..
बहुत सुन्दर शब्द की सही व्याख्या करती ये पोस्ट लाजवाब है|
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नयी पोस्ट आपके ज़िक्र से रोशन है......जब भी फुर्सत मिले ज़रूर देखें|
शब्द से निशब्द तक की आपकी यह कविता यात्रा बहुत सुंदर लगी... शब्द भी कम पड़ते हैं जो वास्तव में हम कहना चाहते हैं उसके लिये...फिर भी शब्द ही हैं जो मानव को मानव बनाते हैं.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ...
ReplyDeleteआप जो मर्जी कहें,
ReplyDeleteआप जो मर्जी लिखें,
हम तो आपके अल्फाज़ की इमारत में आपका चेहरा तलाश करते हैं.
निःशब्द शब्द ... दशहरा की शुभकामनायें
ReplyDeleteमेरे शब्द
ReplyDeleteजिसे मैं महसूसती हूँ
अत्यंत आंतरिक स्तर पर
जो अपने आवरण में
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
सादर...
निःशब्द शब्द ... जीवन ऐसा ही तो है ... मौन शब्द ...
ReplyDeleteआजकल अक्सर हो जाता है विवाद
ReplyDeleteकिसी न किसी शब्द के अर्थ को लेकर
कहते हैं हर शब्द का एक इतिहास है
उसका एक सन्दर्भ है बिना इसके
नहीं हो सकती उसकी सटीक व्याख्या
तो हमें सोचना पड़ता है अतीत में
कही गयी उन तमाम बातों के बारे में
न जाने वह बात किस सन्दर्भ में कही गयी होगी ?
उन्हीं सन्दर्भों की तलाश में
खंगाल रहा हूँ मैं बातों की गठरी को
ताकि समझ पाऊं उन तमाम शब्दों के सन्दर्भों को
और उनके निहितार्थों को
जिसे समझने में लापरवाह मन
अक्सर गच्चा खा जाता है..
Nice & Nice Written, also very powerful comments on me..
ReplyDeleteThanks and Regards !
Happy Durga Puja....
बेहतरीन रचना ..
ReplyDeleteविजय पर्व "विजयादशमी" पर आप सभी को ढेर सारी शुभकामनायें..
शब्द कभी नहीं मरते.. शब्द अमर रहते हैं....
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति.... गजब के भाव।
आभार.............
Bahut Sunder.... Shabdon ki mahima nirali hai...
ReplyDeleteनिःशब्द..!!!*** शुभकामनाएं***!!!
ReplyDeleteशब्द नि:शब्द भी कर जाते है.
ReplyDeleteबेहतरीन रचना ..
आपकी रचनाओं में जो विविधता है वह नव लेखन में प्राप्य नहीं है.
ReplyDeleteफिर एक बेहतरीन रचना,बधाई स्वीकार करें.
अक्सर उसी में छुपकर
ReplyDeleteकर लेती हूँ चुपके से
उसी की इबादत.......... aaur aapne chupke se hi itni badi baat bhi kah di..kabile tarif hai amrita ji..kabhi fursat mein hon to mere blog per bhi aayiyega..badhayee ke sath
आप सब को विजयदशमी पर्व शुभ एवं मंगलमय हो।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना..बधाई.
ReplyDeleteआप सभी को विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !!
___________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.
शब्द की गरिमा को जीवंत करती रचना!
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनाएं!
विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
ReplyDeleteनवीन सी. चतुर्वेदी
देर से रुकी अनकही बात को कहने के लिए जब शब्द उमड़ आते हैं तब हम निःशब्द हो जाते हैं कई बार. वही तो है 'निःशब्द शब्द'. सुंदर रचना.
ReplyDeletebahut khub sabad likhe hain mam aapne..
ReplyDeletejai hind jai bharat
शब्दों के जादूगर को निः शब्द कहना बिलकुल गलत होगा
ReplyDeleteउलझते फिर सुलझते विचारों की कमान आपके हाथ में मुखर है सुन्दर /
ReplyDeleteआखिरी दो पंक्तियाँ कमाल की है..शब्द कम पड़ते है आपकी तारीफ़ को.
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच 659,चर्चाकार-दिलबाग विर्क
शब्द ही हैं जो हमें प्रगट करते हैं...लिखने बैठो तो ये ही कम पड़ जाते हैं...
ReplyDeleteबेहतरीन रचना, विजयादशमी की शुभकामनाएं
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लिखा है आपने! लाजवाब प्रस्तुती!
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !
शब्दशः निःशब्द किया आपकी इस शब्द -चर्चा ने . विजयदशमी की शुभकामनाये .
ReplyDeleteया मैं ही हूँ
ReplyDeleteकोई निशब्द शब्द ...
एक दम निशब्द कर दिया
अओकी इस प्रभावशाली कृति ने !
ऊपर
ReplyDeleteटिप्पणी में
"अओकी" की जगह
कृपया "आपकी" पढ़ें
टंकण त्रुटि....
शब्द भाव का दामन है,
ReplyDeleteअभिव्यक्ति का आँगन है
.....
इस कविता में से एक लाईन चुरा कर मैं एक डायलोग मारने की इजाजत मांगता हूँ आपसे -
ReplyDelete'शब्द कम पड़ रहे हैं इस कविता की तारीफ़ में, निशब्द हूँ' :)
bhaut hi khubsurat se shabdo me shabdo ko kaha hai aapne....
ReplyDeleteपहली बार आपको पढ़ा बहुत शशक्त सार्थक और चिंतन से भरा है आपका लेखन कई कवितायेँ पढ़ी सभी सुन्दर भावमयी आपकी क्षणिकाएं बहुत पसंद आई ,आपने सराहा और हौसला बढाया आभार
ReplyDeleteखता लबों की,
ReplyDeleteसज़ा शब्दों को शब्दों की ही,
इसी लिये सबसे शक्तिमान शब्द "निशब्द"
निःशब्द भी कभी शब्द से अधिक सार्थक होता है ॥
ReplyDeleteनिःशब्द भी शब्द है -वाह क्या बात है ...मौन मौन कुछ चल रहा है न :)
ReplyDeleteगूढ़ार्थों वाली कविता।
ReplyDeleteनिःशब्द शब्द का प्रयोग अच्छा लगा।