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Monday, February 13, 2012

उसी ढलान पर ...


फिसलन भरी
हर ढलान पर
बस मुस्कुराते हुए तुम
मेरे अनाड़ी किन्तु
अटल अभिमान पर...
हर रुत में मुझसे
करके बाँहाँ-जोड़ी
हलके से उठाकर
मेरी लटकी ठोड़ी
और माथे को चूमकर
तुम कहते हो - यही प्यार है..
संदेह के परे
बड़ी-बड़ी फैलती
भौचक्क मेरी आँखे
देखती है तुम्हें अपलक
और बिजली की गिरती
हर कौंध में
छिटकती है तुमसे
बस मेरी ही झलक...
तुम्हारी मनमोहक निश्छलता
अचंभित करती दृढ़ता
थामे है मुझे
उस ढलान पर भी
जिसपर फिसल रहा है
समय पर सवार जीवन
व सुख-दुःख का हरक्षण.....
अनायास कई बार
उन्हें लपकने को
बढती है मेरी चपलता
पर हर बार
रोक लेती है मुझे
तुम्हारी तीक्ष्ण सतर्कता...
फिर माथे को चूमकर
कहते हो मुझे - यही प्यार है
उसी ढलान पर .

47 comments:

  1. उन्हें लपकने को
    बढती है मेरी चपलता
    पर हर बार
    रोक लेती है मुझे
    तुम्हारी तीक्ष्ण सतर्कता...

    हाँ वाकई यही प्यार है जो थम लेता है हर ढलान पर

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  2. haan....
    yahi pyaar hai.....!
    khoobsoorat aur romantic...

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  3. बहुत सुंदर । मेरे पोस्ट भीष्म साहनी पर आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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  4. सुन्दर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण.
    आभार

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  5. पर हर बार
    रोक लेती है मुझे
    तुम्हारी तीक्ष्ण सतर्कता...
    फिर माथे को चूमकर
    कहते हो मुझे - यही प्यार है
    उसी ढलान पर .
    MAY BE THIS IS REAL
    DEVOTION AND DEDICATION OF LOVE.
    NICE TOUCHING FEELINGS.

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  6. बहुत ही प्यारी और भावो को संजोये रचना......

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  7. जी हाँ यही तो है प्यार!

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  8. ढलानों पर व्यक्त सम्हालने की बातें..

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  9. कई बार उसी ढलान पर...

    हाथ छूट जाते हैं..
    ये कहने से पहले...

    क्या यही------- है....

    कई बार उसी ढलान पर...

    तारें बिखर जाते हैं

    रात के आने से पहले

    ...बेहतरीन ... काफी दिलकश....

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  10. प्यार !.................क्या है ? तुम भी कहो

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  11. सकारात्मकता से लबरेज़ ....अद्भुत समर्पण भाव ...अमृता जी ....
    बहुत सुंदर लिखा है ....!!

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  12. chaahe chadhaayeee par
    chaahe dhalaan par
    jab bhee wo thodee ko upar uthaaye
    nazron se nazrein milaaye
    aur lalat ko choom le
    wo hee pyaar hotaa hai

    kshamaa karnaa kuchh zazbaat jodne ke liye

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  13. संभालना ...साथ देना , प्रेम के सही अर्थ ...सुंदर रचना

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  14. यकीनन यही प्यार है
    सुन्दर रचना

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  15. ये उम्दा पोस्ट पढ़कर बहुत सुखद लगा!
    प्रेम दिवस की बधाई हो!

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  16. हम तो बस भावो के ज्वार में उतरा रहे है . चाहे ढलान हो या चोटी. बस मिल जाए किनारा . अद्भुत भाव प्रवाह .

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  17. अनायास कई बार
    उन्हें लपकने को
    बढती है मेरी चपलता
    पर हर बार
    रोक लेती है मुझे
    तुम्हारी तीक्ष्ण सतर्कता..aise hee raaston ke dhalaano par prem parwan chadhta hai..hamesh kee tarah shandar..aapki garibi rekha aaaur mrig marichika par likhi rachna bhee behad shandaar haai..hardik badhayee aaur amantran ke sath

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  18. वाह|||
    बहुत ही बेहतरीन ,सुन्दर रचना है....

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  19. सुभानाल्लाह....हाँ हाँ बस यही प्यार है.......बहुत ही सुन्दर ....हैट्स ऑफ इसके लिए |

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  20. किसी ने कभी भी लिखा था किसी कवि की कविता आज आपकी कविता पड कर बरबस यद् aa गयी .
    तुम्हारा नाम मैंने हमेशा ,
    लिखा ध्यान के कमलपर्णों पर ,
    चिर सिंचित स्नेह की तुलिका से
    लगाया सर आँखों पर ,
    और विभोर हो गया.

    सदा ऐसे ही भाव बिभोर करते चलिए .आज तो खाश ही दिन है.

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  21. और क्या????यही तो है...

    बहुत सुन्दर...

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  22. बहुत ही सुन्दर भाव हैं ...बेहतरीन रचना

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  23. वाह...अद्भुत रचना है आपकी...बधाई स्वीकारें

    नीरज

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  24. WAH AMRITA JI .....JI HAN YAHI HAI...PREM DIWAS PR MUBARAKBAD.

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  25. सुन्दर रचना, सरल एवं भावपूर्ण
    अभिव्य़क्ति। आपकी तन्मयता
    का अभिनन्दन।
    धन्यवाद।
    आनन्द विश्वास

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  26. बहुत सच...यही प्यार है..बहुत सुंदर प्रेममयी अभिव्यक्ति..

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  27. हाँ यही प्यार है,..
    बहुत अच्छी रचना,सुंदर प्रस्तुति

    MY NEW POST ...कामयाबी...

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  28. फिसलन भरी ढलान पर कोई साथ हो...तो...क्या बात हो...

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  29. ▬● आपकी रचनाओं को मैंने हमेशा ही आकर्षक पाया है... शुभकामनायें...

    दोस्त अगर समय मिले तो मेरी पोस्ट पर भ्रमन्तु हो जाइये...

    Meri Lekhani, Mere Vichar..
    http://jogendrasingh.blogspot.in/2012/02/blog-post_3902.html
    .

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  30. अल्हड़पन और सतर्क भावों के बीच ढलान पर खड़ी एक अद्भुत अंदाज़ की कविता. बहुत अच्छी लगी.

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  31. ek naya andaaz ... khoobsurat ahsaaso ke saath ..

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  32. वाह ...बहुत बढि़या।

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  33. चपलता और तीक्ष्ण सतर्कता मिलकर ही दोनों का प्रेम पूर्ण होता है ...
    सुन्दर !

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  34. अद्भुत..सुन्दर रचना..

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  35. अति सुन्दर...भावपूर्ण...अद्भुत...
    आपकी प्रस्तुति का अपना ही अंदाज है.
    और टिपण्णी करने का भी.

    आप मेरे ब्लॉग पर आयीं,और आपने अपनी
    टिपण्णी से भी मन्त्र मुग्ध कर दिया.

    बहुत बहुत हार्दिक आभार,अमृता जी.

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  36. प्यार की मधुर प्रस्तुति पर बहुत हृदयस्पर्शी कविता !
    रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

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  37. बहुत ही सुन्दर एवम भाव पूर्ण रचना लिखी है अपने ....अमृता जी सादर बधाई.

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  38. बेहतरीन एवं भावपूर्ण प्रस्तुति......सराहनीय.....

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  39. प्यार की पावनता से भरी सरस अभिव्यक्ति के लिए अमृता जी आपको बधाई !

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  40. बेहद सुन्दर रचना है. आपकी इस कविता में उपजी प्रेम की अभिव्यक्ति से बहुत सारे लोगों की सहमति है "हाँ यही प्यार है".यह बात इसकी विविधता को एक सीमा में बांधती है. लेकिन प्रेम तो कई सारी सीमाओं के दायरे को तोड़कर बाहर निकलता है.जो समाज से इसकी टकराहटों में अभिव्यक्ति पाता है.

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  41. kavitaa ka abadhit prawaah yah dikhataa hai kee saadhanaa behatar hai . badhaaiyaan!

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  42. प्रेम की ढलान पे उतारते जाना उतारते जाना उतारते जाना .... बस यही तो जीवन है ...

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