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Monday, December 28, 2020

तुम्हें बाँहों में भर लेंगी स्मृतियाँ हमारी .......

जब आंँखें अंधकार से भर जाएंगी

दृष्टि स्वयं में ही असहाय हो जाएंगी

प्रतिमित प्रतिमाएं सारी खंडित हो जाएंगी

असह्य हो जाए जब वेदना तुम्हारी

तुम्हें बाँहों में भर लेंगी स्मृतियांँ हमारी


जब चूकना ही चूकना सहज क्रम हो जाए

प्रति फलित परिष्कृति बरबस भ्रम हो जाए

अकल्पित संघर्षों में क्षुद्रतम सारा श्रम हो जाए

दुष्कल्पनाएं , शंकाएं जब सहचरी हो तुम्हारी

तुम्हें बाँहों में भर लेंगी स्मृतियाँ हमारी


जब अनजानी , अपरिचित सब राहें होंगी

विवशता की अचरज से भरी आहें होंगी

अति यत्न से सिंचित , संचित दम तोड़ती चाहें होंगी

निरपवर्त नियति हो जब परवश पराजय तुम्हारी

तुम्हें बाँहों में भर लेंगी स्मृतियाँ हमारी


जब शांति का आगार सब अंगार हो जाए

सारा मधुकलश ही विष का सार हो जाए

क्लेश , शोक हर उत्सव का प्रतिकार हो जाए

संकुचित , व्यथित विचलन हो जब डगर तुम्हारी

तुम्हें बाँहों में भर लेंगी स्मृतियाँ हमारी


उन स्मृतियों में मेरी संतृप्ति का स्नेहिल स्पर्श होगा

तुम्हारे अस्तित्व को मुझ तक खींचता , प्रबल आकर्ष होगा

सोखती हूँ समूचा तुम्हें मैं , सोचकर भी अपार हर्ष होगा

सह्य हो जाएंगी तब वेदना तुम्हारी

तुम्हें बाँहों में भर लेंगी स्मृतियाँ हमारी .


15 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 28 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. स्मृतियों का संसार अमर हो! प्रेम का विस्तार अजर हो ! यही कामना हमारी !! मनमोहनी कृति..

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  3. स्मृतियों संबल है..पथ प्रदर्शक है..अद्भुत संसार में खींच कर ले जाता है आपका सृजन ।

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  4. सुख की चाह ही दूर ले जाती है अपने से, यह चाह ही दुःख को जन्म देती है, फिर दुःख जब सीमा से बढ़ जाता है तो याद आती है कोई छाँह सुकून भरी... जीवन में दोहरता है यह क्रम..

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  5. दुष्कल्पनाएं , शंकाएं,पराजय या कोई भी असह्य वेदना, जब तुम्हें सताये तब बाहों में भर लेंगी स्मृतियाँ हमारी ....
    वाह!!!
    बहुत ही मनभावन अद्भुत , लाजवाब सृजन।

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  6. स्मृतियों का संबल ... अनुपम एवम अद्भुद सृजन

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  7. स्मृतियाँ तो रहती हैं दिल में ... और समाती हैं बाहों में ...
    शब्दों का सुन्दर प्रबंधन ... नव वर्ष की मंगल कामनाएं ...

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  8. असह्य हो जाए जब वेदना तुम्हारी

    तुम्हें बाँहों में भर लेंगी स्मृतियांँ हमारी
    बहुत बहुत सुन्दर रचना

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  9. चाहे क्लेश कितना भी, श्लेश स्मृतियों का हो तो मरहम हो जाता है. यह सच है.

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  10. भावुक कर देने वाली सुंदर रचना। बहुत खूब। सादर। आपको वर्ष 2021की शुभकामनाएँ।

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  11. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति. कुछ नए शब्द भी देखने में आए.
    आभार.

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