इस आत्म विसर्जक युग में
कुछ पल के लिए ही सही
चलो भूलते हैं
कल की सारी बातों को
व हर गहरी अँधेरी रातों को
और क़दमों को मिली हर मातों को.....
चलो भूलते हैं
अपने सजाये प्लास्टिक के फूलों को
व भेस बदल कर चुभते शूलों को
और पीछे पछताते सारे भूलों को......
चलो भूलते हैं
दीवारों में दबे अपने संसार को
व आँगन में उग आई हर बाड़ को
और धूप-छाँव से पड़ती हुई मार को.....
चलो भूलते है
दुःख के अपने सारे प्रबंधों को
व आधुनिकता से हुए अनुबंधों को
और बिखरे से हर संबंधों को....
इस उत्सव अनुप्रेरक युग में
कुछ पल के लिए ही सही
चलो याद करते हैं
आंसुओं में छिपे मधुर गीत को
हर मुश्किल में भी थामे मीत को
और उनका आभार प्रकटते रीत को....
चलो याद करते हैं
बेरुत ही फागुनी फुहारों को
उसमें झूमते-गाते खुमारों को
और प्यार के नख-शिख श्रृंगारों को.....
चलो याद करते हैं
उस शुद्ध सच्चे उल्लास को
व उसी से बंधी हर आस को
और चिर-परिचित हास-विलास को....
चलो याद करते हैं
प्राण से उठती शुभ पुकार को
व शुभैषी कामनाओं के उपहार को
और प्रणम्य सा सबों के स्वीकार को.....
चलो याद करते हैं .
*** शुभकामनाएं ***
कुछ पल के लिए ही सही
चलो भूलते हैं
कल की सारी बातों को
व हर गहरी अँधेरी रातों को
और क़दमों को मिली हर मातों को.....
चलो भूलते हैं
अपने सजाये प्लास्टिक के फूलों को
व भेस बदल कर चुभते शूलों को
और पीछे पछताते सारे भूलों को......
चलो भूलते हैं
दीवारों में दबे अपने संसार को
व आँगन में उग आई हर बाड़ को
और धूप-छाँव से पड़ती हुई मार को.....
चलो भूलते है
दुःख के अपने सारे प्रबंधों को
व आधुनिकता से हुए अनुबंधों को
और बिखरे से हर संबंधों को....
इस उत्सव अनुप्रेरक युग में
कुछ पल के लिए ही सही
चलो याद करते हैं
आंसुओं में छिपे मधुर गीत को
हर मुश्किल में भी थामे मीत को
और उनका आभार प्रकटते रीत को....
चलो याद करते हैं
बेरुत ही फागुनी फुहारों को
उसमें झूमते-गाते खुमारों को
और प्यार के नख-शिख श्रृंगारों को.....
चलो याद करते हैं
उस शुद्ध सच्चे उल्लास को
व उसी से बंधी हर आस को
और चिर-परिचित हास-विलास को....
चलो याद करते हैं
प्राण से उठती शुभ पुकार को
व शुभैषी कामनाओं के उपहार को
और प्रणम्य सा सबों के स्वीकार को.....
चलो याद करते हैं .
*** शुभकामनाएं ***
चलो याद करते हैं
ReplyDeleteप्राण से उठती शुभ पुकार को
***
सुन्दर आह्वान से सजी सुन्दर रचना...!
शुभकामनाएं!
बेशक ...प्राणों से उठी शुभ पुकार ही हम सब के लिए संजीवनी है... स्वत: स्फूर्त सहज भाव से यही मर्म जाग रहा है कि बस सबको याद कर लिया जाए ... ताकि कल कुछ बचा न रहे .....
ReplyDeleteVery nice,wish a happy new year to you,
ReplyDeleteबीते वर्ष की हर अच्छी बात को याद रखना चाहिए .... और दुख की रात को भूल जाना चाहिए ... नव वर्ष का स्वागत करना चाहिए ...
ReplyDelete२०१४ की शुभ कामनाएं ...
बहुत सुंदर रचना ......
ReplyDeleteनए साल की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ..!!!
बीते कल की अच्छी बातें याद करे बुरी बाते भूल जाए..बहुत सुन्दर.. आप को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteनवागत वर्ष सन् 2014 ई. की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteसुप्रभात।
ReplyDelete--
सुन्दर प्रस्तुति।
--
गये साल को है प्रणाम!
है नये साल का अभिनन्दन।।
ईस्वीय नववर्ष 2014 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
आपका हर दिन मंगलमय हो।
रोंप खुशियों की कोंपलें
ReplyDeleteसदभावना की भरें उजास
शुभकामनाओं से कर आगाज़
नववर्ष 2014 में भरें मिठास
नववर्ष 2014 आपके और आपके परिवार के लिये मंगलमय हो ,सुखकारी हो , आल्हादकारी हो
आत्म-विसर्जकता शुभ हो।
ReplyDeleteनये वर्ष के लिए आपको भी ढेरों मंगल कामनाएं
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाए...!
RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.
इस उत्सव अनुप्रेरक युग में
ReplyDeleteकुछ पल के लिए ही सही
चलो याद करते हैं
आंसुओं में छिपे मधुर गीत को
हर मुश्किल में भी थामे मीत को
अति सुंदर भाव से सजी रचना ....मंगलकामनाएं नव वर्ष हेतु ....
बहुत ही सुन्दर कविता |
ReplyDeleteबीते वर्ष में कुछ अच्छी बातों को याद रखना और बुरी बातों को भूलकर आगे बढ़ जाना ही ज़िंदगी है...मगर होता इसका उल्टा ही है :-) नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें जी...
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर शुभकामनाएं ------आपको बहुत बहुत धन्यवाद .
ReplyDeleteनए साल की शुभकामनाएं और बधाइयां. आपका लेखन निरंतर जारी रहे.
ReplyDeleteहर एक पल को जो नया कर लेते है उनका
ReplyDeleteजीवन ही नित नया होता है !
सुन्दर रचना प्रेरक लगी शुभकामनाएं !
शुक्रिया आपको भी नए साल कि बहुत बहुत मुबारकबाद |
ReplyDeleteसुंदर आव्हान ..... शुभकामनायें आपको भी
ReplyDeleteबहुत सुंदर----
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति
नववर्ष की हार्दिक अनंत शुभकामनाऐं----
प्राण से उठती शुभ पुकार को
ReplyDeleteव शुभैषी कामनाओं के उपहार को
और प्रणम्य सा सबों के स्वीकार को.....
चलो याद करते हैं .
सुन्दर याद रखनेवाली प्रस्तुति
आभार.
सुभाषितानी .....
ReplyDeleteआ. अमृता जी ;
नव-वर्ष की शुभकामनाएँ ....
आपका लेखन और पाठकीय रूचियां
दोनों ही विशेष प्रयोजननार्थ एवं मनोसंचारी हो ;
हर अच्छे बुरे अनुभवों को साथ लिए आत्मावलोकन तो बेहद जरूरी है सतत परिमार्जन के लिए. सुन्दर रचना. नए साल की शुभकामनायें.
ReplyDeleteजाते और आते समय की अनुभूति का सुंदर ताना-बाना.
ReplyDeleteचलो याद करते हैं
ReplyDeleteउस शुद्ध सच्चे उल्लास को
व उसी से बंधी हर आस को
और चिर-परिचित हास-विलास को....
चलो याद करते हैं
प्राण से उठती शुभ पुकार को
व शुभैषी कामनाओं के उपहार को
और प्रणम्य सा सबों के स्वीकार को.....
चलो याद करते हैं .
चलो ....