जैसे इस विराट अस्तित्व में
खोये को खोज लेने की
कोई युक्ति नहीं होती
वैसे ही जीवन को
समग्रता से जीने के लिए
सर्वमान्य कोई सूक्ति नहीं होती .
***
जैसे हजारों फूलों को
निचोड़-निचोड़ कर
उत्तम इत्र बनाया जाता है
वैसे ही जीवन की चुनौतियों को
बड़े ही प्यार से
मचोड़-मचोड़ कर
अपना मित्र बनाया जाता है .
***
जैसे सागर तक पहुँचने के लिए
नदी को किनारे से
बंधा रहना पड़ता है
वैसे ही लक्ष्य पाने के लिए
प्रत्येक कदम को
हर अगले कदम से
जोड़े रखना पड़ता है .
***
जैसे भूख मर जाती है तो
सुन्दर से सुन्दर भोजन भी
देखते-देखते मर जाता है
वैसे ही समय को
मलहम बना लेने पर
हरा से हरा घाव भी
पूरा ही भर जाता है .
***
जैसे धूल तलहटी में बैठती है
तो झरना फिर से
स्वच्छ और साफ़ हो जाता है
वैसे ही बौद्धिकता का
रंगीन आवरण हटाते ही
वही बुद्धू बच्चा सा मन
अपने आप हो जाता है .
खोये को खोज लेने की
कोई युक्ति नहीं होती
वैसे ही जीवन को
समग्रता से जीने के लिए
सर्वमान्य कोई सूक्ति नहीं होती .
***
जैसे हजारों फूलों को
निचोड़-निचोड़ कर
उत्तम इत्र बनाया जाता है
वैसे ही जीवन की चुनौतियों को
बड़े ही प्यार से
मचोड़-मचोड़ कर
अपना मित्र बनाया जाता है .
***
जैसे सागर तक पहुँचने के लिए
नदी को किनारे से
बंधा रहना पड़ता है
वैसे ही लक्ष्य पाने के लिए
प्रत्येक कदम को
हर अगले कदम से
जोड़े रखना पड़ता है .
***
जैसे भूख मर जाती है तो
सुन्दर से सुन्दर भोजन भी
देखते-देखते मर जाता है
वैसे ही समय को
मलहम बना लेने पर
हरा से हरा घाव भी
पूरा ही भर जाता है .
***
जैसे धूल तलहटी में बैठती है
तो झरना फिर से
स्वच्छ और साफ़ हो जाता है
वैसे ही बौद्धिकता का
रंगीन आवरण हटाते ही
वही बुद्धू बच्चा सा मन
अपने आप हो जाता है .
बहुत खूब !
ReplyDeleteजीवन की समग्रता, मित्र, सागर, घाव, झरना का क्षणिका मे अनुपम प्रयोग
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा,प्रस्तुति...!
ReplyDeleteRECENT POST -: एक बूँद ओस की.
बहुत सुन्दर..
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भाव ..............
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर क्षणिकाएं.....
ReplyDeleteदूसरी सबसे प्यारी............................
अनु
क्षण में अनमोल वचन का प्रभाव डालती क्षणिकाएं
ReplyDeleteबुद्धू बच्चा ही खुश रह सकता है...सुन्दर क्षणिकायें...
ReplyDeleteशत-प्रतिशत सत्य.
ReplyDeleteबढ़िया क्षणिकाएं आदरेया-
ReplyDeleteआभार आपका-
कोई युक्ति नहीं होती यह भी तो एक युक्ति ही है न...
ReplyDeletesundar kha hai
ReplyDeleteसारी की सारी क्षणिकायें अनुभव के ज्ञान से भरीं।
ReplyDeleteबौदि्धकता का विचलित करता आवरण निश्चय ही संघाती है। सरल, सुबोध और गहन विश्लेषण से सृजित क्षणिकाएं।
ReplyDeleteसरल, सुबोध और गहन विश्लेषण से सुसजित बहुत ही सुंदर क्षणिकाएं।
ReplyDeleteव्यावहारिक सत्य से साक्षात्कार कराती सुंदर क्षणिकाएं।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर क्षणिकाएं.
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 19-12-2013 को चर्चा मंच पर टेस्ट - दिल्ली और जोहांसबर्ग का ( चर्चा - 1466 ) में दिया गया है
ReplyDeleteकृपया पधारें
आभार
सत्य कहती सुंदर क्षणिकाएं....!!
ReplyDeleteउम्दा क्षणिकाएं !!
ReplyDeletewaah...ati sudar..!!
ReplyDeleteअनचाहे जख्मों पर शीतल लेप की तरह है ये
ReplyDeleteक्षणिकाएं ... हर तरफ से परिपूर्ण व मजबूत...
बहुत सुन्दर क्षणिकाएं !
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरे सपनों का रामराज्य (भाग १)
सभी क्षणिकाएं सार्थक भाव लिए ... कुछ न कुछ सोचने और "सही बात" कहने को विवश करती हैं ...
ReplyDeleteजैसे हजारों फूलों को
ReplyDeleteनिचोड़-निचोड़ कर
उत्तम इत्र बनाया जाता है
वैसे ही जीवन की चुनौतियों को
बड़े ही प्यार से
मचोड़-मचोड़ कर
अपना मित्र बनाया जाता है.... .बहुत सुंदर क्षणिकाएँ..... जीवन को प्रेरित करती हुई .......
सभी बहुत ही बढ़िया हैं |
ReplyDeleteउम्दा क्षणिकाएँ. (क्षमा सहित)आखिरी क्षणिका को मैंने ऐसे पढ़ा है-
ReplyDeleteवही बुद्धू बच्चा सा मन
अपने आप प्रबुद्ध हो जाता है .