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Sunday, January 27, 2013

प्रेम का ही आभार है ...


               कुछ कह नहीं सकती यह कि
                 ह्रदय की जीत है या हार है
                  ये पीड़ा है मुझे बड़ी प्रिय
                  जो प्रेम का ही आभार है

               आभार इतना कि हर भार से
                अतिगत ही जैसे अछूती हूँ
                 अछूती-अछूती ही हरपल
                  प्रिय को ऐसे मैं छूती हूँ

               वह अलबेला कितना अनछुआ
                  छू-छू कर अब मैंने जाना है
                    पाया-पाया सा है लगता
                    पर उतना ही उसे पाना है

                कुछ कह नहीं सकती यह कि
                  पाकर भी उसे पा ही लूँगी
                   जो पा भी लिया उसे तो
                  सबसे मैं तो छिपा ही दूँगी

                 उस अनजाने-अनपहचाने को
                 अनजाने में ऐसे जान लिया है
                  प्रीति लगी बस उस नाम की
                  जो इतना मैंने नाम लिया है

                  अब वही नाम इक गीत बन
                 इन साँसों से बस टकराता रहे
                 और उखड़ी-उखड़ी धड़कन को
                   इक विरह-धुन पकड़ाता रहे

                 कुछ कह नहीं सकती यह कि
                 यही धुन उसने भी गाया होगा
                मतवाली-मतवाली फिरती देख
                मुझपर उसका मन आया होगा

                अभी उसे तो देखा भी नहीं है
               जो मिले भी तो मैं पहचानूँ ना
               बस प्रीति लगी है उस नाम की
                कैसे लगी यह भी मैं जानूँ ना

                बस जानने से जी भरता नहीं
                जान-जान कर मैंने जाना है
                वह अनजान रहे तब भी उसे
                इन साँसों का अर्घ चढ़ाना है

                कुछ कह नहीं सकती यह कि
              ये अर्घ है या अलख प्रतिकार है
                 ये पीड़ा है मुझे बड़ी प्रिय
                 जो प्रेम का ही आभार है .


37 comments:

  1. कुछ कह नहीं सकती यह कि
    यही धुन उसने भी गाया होगा
    संशयात्मा को सुख नहीं -यह गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है :-)

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    1. भगवन श्री कृष्णा ने मोहविस्ट अर्जुन को कर्म और अकर्म में की विवेचना करते हुए क्षत्रिय धर्म की पालन की आज्ञा देते हुए संसय से मुक्त होने की उपदेश देते है.पर आप जैसे बिद्वान लोगों से ऐसी ब्याख्या अटपटी सी लगी .कविता की आत्मा प्रेम और समर्पण की है .यंहा संसय तो होता नहीं होता है समर्पण और विरह की बेदन.होती है .इतनी गहरे भावों को तो सिर्फ बिम्बित ही किया जा सकता है .अनुभूट किया जा सकता है.शब्द तो सिर्फ इंगित करते है.आप के द्वरा संसय जैसे शब्द हम पाठकों को संसय में ही डाल देते है.सोचने पर विवश होना पड़ता है की संसय किसे है.

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  2. दिल को छू हर एक पंक्ति....

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  3. बहुत खूबसूरत कविता. प्रेमसिक्त शब्द.

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  4. बढ़िया है आदरेया -

    शुभकामनायें ।।

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  5. शब्द में घुलता शब्द ...

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  6. प्रेम की पीड़ा भी विशेष है..

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  7. Amrita,

    SACHE PREM KI KOI SEEMA NAHIN AUR NAA HI KOI BANDISH.

    Take care

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  8. बहुत सुन्दर गीत अमृता जी...
    वह अलबेला कितना अनछुआ
    छू-छू कर अब मैंने जाना है
    पाया-पाया सा है लगता
    पर उतना ही उसे पाना है...

    मन प्रसन्न हुआ...
    अनु

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  9. बस जानने से जी भरता नहीं
    जान-जान कर मैंने जाना है
    वह अनजान रहे तब भी उसे
    इन साँसों का अर्घ चढ़ाना है

    कुछ कह नहीं सकती यह कि
    ये अर्घ है या अलख प्रतिकार है
    ये पीड़ा है मुझे बड़ी प्रिय
    जो प्रेम का ही आभार है .
    दिल की गहराई तक जाती पंक्तियाँ

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  10. ये पीड़ा है मुझे बड़ी प्रिय
    जो प्रेम का ही आभार है

    प्रेम में मिली पीड़ा भी अनमोल..... बहुत सुंदर

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  11. सच्चे प्रेम के लिए कोई बंधन नहीं,न ही कोई सीमा होती है,,,

    recent post: कैसा,यह गणतंत्र हमारा,

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  12. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि आज दिनांक 28-01-2013 को चर्चामंच-1138 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  13. मैं नीर भरी दुख की बदली !

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  14. प्रेम के गहरे सागर में डूबने का अपना ही मज़ा है | बहुत सुन्दर रचना | एक एक पंक्ति अपने आप में प्रेम की पराकाष्ठा बयां करती है | आभार |

    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  15. सच्ची लगन और अद्भुत समर्पण भाव .....बहुत सुंदर कविता ...अमृता जी ...!!

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  16. प्रेम की पीर असली पीर होती है मीरा भाव लिए है रचना। एरी मैं तो प्रेम दीवानी ...अमूर्त प्रेम का सान्द्र रूप लिए है रचना .आभार .

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  17. प्रेम का आधार प्रेम का आभार - प्रेम है तो सबकुछ है

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  18. इतना ही कह सकती हूँ कि
    ह्रदय की हार में भी जीत है
    मीठी - मीठी सी पीड़ा है
    यही प्रेम का आधार है...लाजवाब अभिव्यक्ति...आभार...

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  19. कुछ कह नहीं सकती यह कि
    ये अर्घ है या अलख प्रतिकार है
    waah..sundar abhivyakti...bahut khoob.

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  20. कवि‍ लि‍खता है तो कि‍तने भावों को पि‍रो कर , पाठक आता है और एक सरसरी नि‍गाह से देख कर नि‍कल जाता है

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  21. कुछ कह नहीं सकती यह कि
    यही धुन उसने भी गाया होगा
    मतवाली-मतवाली फिरती देख
    मुझपर उसका मन आया होगा।

    मधुर भावों से सिंचित आपकी यह रचना बहुत ही अच्छी लगी। धन्यवाद।

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  22. कुछ मीरा की पीड़ा कुछ मिरा का प्रेम दिखा।

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  23. शुक्रिया आपकी अनमोल टिपण्णी का .

    अमूर्त प्रेम का आधारीय आकर्षण आबिद्ध है इस रचना में .सुन्दर आकर्षक मोहक प्रस्तुति .

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  24. @
    कुछ कह नहीं सकती यह कि
    यही धुन उसने भी गाया होगा
    मतवाली-मतवाली फिरती देख
    मुझपर उसका मन आया होगा

    वाह ....
    बड़ी प्यारी रचना

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  25. meera ke priy shyam....! thik vaisee hi preet, vaisa hi prem vaisa hi vishvaas aur vaisa hi virah!! bahut sundar!!

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  26. आभार इतना कि हर भार से
    अतिगत ही जैसे अछूती हूँ
    अछूती-अछूती ही हरपल
    प्रिय को ऐसे मैं छूती हूँ

    वह सदा अनछुआ ही रह जाता है.. सुंदर शब्द..कोमल भाव..

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  27. वाह . बहुत सुन्दर . हार्दिक आभार आपका .

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  28. अभी उसे तो देखा भी नहीं है
    जो मिले भी तो मैं पहचानूँ ना
    बस प्रीति लगी है उस नाम की
    कैसे लगी यह भी मैं जानूँ ना

    Ati Sundar Kriti.. Badhai..

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  29. प्यारी रचना बहुत ही अच्छी लगी
    ये पीड़ा है मुझे बड़ी प्रिय
    जो प्रेम का ही आभार है .

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  30. अंतस को छूते अहसास..बहुत सुन्दर

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  31. कुछ कह नहीं सकती यह कि
    पाकर भी उसे पा ही लूँगी
    जो पा भी लिया उसे तो
    सबसे मैं तो छिपा ही दूँगी

    तुम उसे यूँ छुपा न पाओगे......बड़ी दूर तक महक पहुँचती है उसकी :-)

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  32. पीड़ा है मुझे बड़ी प्रिय
    जो प्रेम का ही आभार है ....वाह!

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  33. कुछ कह नहीं सकती यह कि
    ये अर्घ है या अलख प्रतिकार है
    ये पीड़ा है मुझे बड़ी प्रिय
    जो प्रेम का ही आभार है .

    क्या बात है ... सच में कभी कभी समजना मुश्किल होता है ...

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  34. अभी उसे तो देखा भी नहीं है
    जो मिले भी तो मैं पहचानूँ ना
    बस प्रीति लगी है उस नाम की
    कैसे लगी यह भी मैं जानूँ ना


    कुछ कह नहीं सकती यह कि
    ये अर्घ है या अलख प्रतिकार है
    ये पीड़ा है मुझे बड़ी प्रिय
    जो प्रेम का ही आभार है .


    वाह बहुत बढ़िया

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