Social:

Monday, May 28, 2012

इसलिए ...


अक्सर
मेरी कविता
लाँघ जाती है
अनगिनत खींची हुई
लक्ष्मण रेखाओं को...
रावणों को
चकमा देकर
हथिया लेती है
पुष्पक विमान...
विस्मृति में कहीं
भटक रहे हैं
हनुमान...
जटायु को
ज़िंदा रखना है
इसलिए खुद ही
लाती है संजीवनी बूटी...
लम्बी सेवा के बाद
सुरसा को
मिली है छुट्टी...
पर उस
त्रिजटा को
कौन समझाए
जो कर रही है
प्रतिपल प्रतीक्षा
उसी अशोक वाटिका में .

47 comments:

  1. बेहद गहन अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  2. Beautifully expressed analogy! :)

    ReplyDelete
  3. यह तो कथानक ही बदल गया. लेकिन यह संभव था आज. सब की अपनी-अपनी भक्ति है. त्रिजटा की भी.

    ReplyDelete
  4. चरित्रों के माध्यम से जीवन कथा..

    ReplyDelete
  5. अक्सर मेरी कविता लाँघ जाती है अनगिनत खींची हुई लक्ष्मण रेखाओं को... रावणों को चमका देकर हथिया लेती है पुष्पक विमान... विस्मृति में कहीं भटक रहे हैं हनुमान... जटायु को ज़िंदा रखना है इसलिए खुद ही लाती है संजीवनी बूटी... लम्बी सेवा के बाद सुरसा को मिली है छुट्टी... पर उस त्रिजटा को कौन समझाए जो कर रही है प्रतिपल प्रतीक्षा उसी अशोक वाटिका में .
    इतिहासिक पात्रों को समसामयिक सन्दर्भों पात्रों से जोडती बढ़िया रचना .कृपया 'चकमा 'देकर कर लें पुष्पक विमान का हथियाना .शुक्रिया .
    और यहाँ भी दखल देंवें -
    ram ram bhai
    सोमवार, 28 मई 2012
    क्रोनिक फटीग सिंड्रोम का नतीजा है ये ब्रेन फोगीनेस
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    ReplyDelete
  6. बहुत ही बढिया ।

    ReplyDelete
  7. सुन्दर रचना ...अमृता जी खुद संजीवनी ला सके बिना किसी के सहायता के तो बात ही दीगर है नहीं तो प्रभु की याद और कर्म दोनों ....जय श्री राधे - भ्रमर 5
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

    ReplyDelete
  8. kavita ka lakshamn rekha ko langhana , aur ashok vaatika men trijata ke dwaara ki jaati pratiksha ... bahut nye bimb .... sundar abhivyakti

    ReplyDelete
  9. पर उस
    त्रिजटा को
    कौन समझाए
    जो कर रही है
    प्रतिपल प्रतीक्षा
    उसी अशोक वाटिका में .

    ....बहुत खूब ! एक गहन और सशक्त प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  10. विस्मृति में कहीं
    भटक रहे हैं
    हनुमान...



    काफी दिलचस्प होता है आपके शब्दों को पढ़ना...

    ReplyDelete
  11. अशोक वाटिका चिर प्रतीक्षित नहीं रहेगा

    ReplyDelete
  12. कविता जब लक्ष्मण रेखा पार कर जाए तो समझो तुम अजेय हो ...त्रिजटा भी एक दिन पार कर लेगी , समझाने की ज़रूरत नहीं

    ReplyDelete
  13. बहुत सुंदर रचना
    क्या कहने..

    (छोटा सा करेक्शन है, शायद भूल से चमका लिख गईं है, चकमा की जगह)

    ReplyDelete
  14. बिम्बो के माध्यम से आपने बहुत ही गहरी बात कही है ...बधाई स्वीकार करे.

    ReplyDelete
  15. बहुत बढिया रचना.....बेहतरीन।

    ReplyDelete
  16. त्रिजटा को
    कौन समझाए
    जो कर रही है
    प्रतिपल प्रतीक्षा
    उसी अशोक वाटिका में .

    वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति,,,,,

    RECENT POST ,,,,, काव्यान्जलि ,,,,, ऐ हवा महक ले आ,,,,,

    ReplyDelete
  17. सारा दृश्य कौंध गया आँखों के सामने ....कविता का लक्ष्मण रेखा को पार कर जाना ....बेहतर प्रयोग सारगर्भित .....!

    ReplyDelete
  18. Amrita,

    YEH VARNAN ZARAA HAT KE HAI.

    Take care

    ReplyDelete
  19. हनुमान जटायु को जिन्दा रखना है इसलिए खुद ही लाती है
    संजीवनी बूटी ..........
    खुबसूरत भाव जीवन का सत्य

    ReplyDelete
  20. बहुत अच्छे प्रतीक

    ReplyDelete
  21. समय बड़ा बलवान!

    ReplyDelete
  22. अमृता जी, जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि...तो त्रिजटा के पार जाना भी कुछ मुश्किल नहीं है, वैसे भी वह अयोध्या के लायक है लंका के नहीं..

    ReplyDelete
  23. स्वागत है . सुँदर सन्दर्भ और विचारणीय कविता . हमेशा की तरह .

    ReplyDelete
  24. bahut sundar..puri ramayan utar di aapne apni kavita me.....

    ReplyDelete
  25. नयी कल्पना...नयी बात...बहुत अच्छी रचना...बधाई..

    नीरज

    ReplyDelete
  26. आज ही न जाने क्यों मुझे कैकेयी का कोपभवन प्रसंग भी शिद्दत से याद आता रहा :)
    कहीं कोई संयोग साम्य?

    ReplyDelete
  27. बहुत ही गहन अभिव्यक्ति..

    ReplyDelete
  28. kitna swachand bichran kartee hain aapkee kavitaayein..aapke naye nootan prayog man ko chote hain..sadar badhayee aaur amantran ke sath

    ReplyDelete
  29. बहुत बढ़िया अमृता जी.........
    बहुत सुंदर!!!!

    अनु

    ReplyDelete
  30. सीमाओं का अतिक्रमण कविता को नै परवाज़ दे जाता है नया पैरहन और ठवन भी .बढ़िया प्रस्तुति है -


    ram ram bhai

    बुधवार, 30 मई 2012
    HIV-AIDS का इलाज़ नहीं शादी कर लो कमसिन से

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    कब खिलेंगे फूल कैसे जान लेते हैं पादप ?

    ReplyDelete
  31. भावनाओं का सुन्दर संयोजन रामायण के पात्रों और घटनाक्रम के साथ..

    सुन्दर प्रस्तुति.

    ReplyDelete
  32. क्या बात है... बिलकुल नए बिंबों और संकेतों में गूँथी रचना...
    सादर।

    ReplyDelete
  33. दृढ़ ..सक्षम कविता ....!!
    सशक्त अभिव्यक्ती ....!!

    ReplyDelete
  34. वर्जनाएं ,सीमाएं और लक्ष्मण रेखाएं खींची ही टूटने के लिए जातीं हैं .वह नियम क्या जिसका अपवाद न हो /फिर हर समय का एक सच होता है आज का सच वही है जो यह कविता बयाँ करती है .बधाई इतने सुन्दर रचाव के लिए
    कृपया यहाँ भी पधारें -



    बुधवार, 30 मई 2012
    आदमी के खून से रोशन होता है यह भूतहा लैम्प

    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    आदमी के खून से रोशन होता है यह भूतहा लैम्प

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

    ReplyDelete
  35. क्या बात ...उम्दा

    ReplyDelete
  36. वाह बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना के 100 वर्ष पर" आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  37. आपकी कविताओं में बिम्बों का अद्भुत प्रयोग और सधा हुआ काव्य शिल्प सदा प्रभावित करते रहे हैं। इस कविता की संक्षिप्तता में जो विशालता है, वह सचमुच अद्भुत है!
    देखें हमारी टीम य्दि इसे ‘आंच’ पर ला सकें।

    ReplyDelete
  38. लाजवाब....सीमाओं को लांघना ही कविता का असली मकसद है ।

    ReplyDelete
  39. पौराणिक पात्रों संग ,आज के विषय को खूब उठाया हैं ...बहुत खूब

    ReplyDelete
  40. बहुत बढ़िया प्रस्तुति,पौराणिक पात्रों के साथ सुंदर रचना,,,,,

    RECENT POST ,,,, काव्यान्जलि ,,,, अकेलापन ,,,,

    ReplyDelete
  41. sunder bimbon aur bhavon ke sath achhchhi kavita....

    ReplyDelete
  42. Ati Bhavpoorn....bahut sundar rachna Amrita....

    ReplyDelete
  43. ek aur baat ham logon ke liye to snjeevni aapki kavita hai....

    ReplyDelete
  44. नये बिम्ब के पंख लगा कर उन्मुक्त गगन में विचरण करती अद्भुत रचना.

    ReplyDelete
  45. आह!
    क्या अनोखी और उम्दा उड़ान है आपकी.
    मस्त मस्त तन्मय करती हुई.

    इसीलिए तो अमृता तन्मय हैं आप.

    ReplyDelete