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Thursday, May 10, 2012

प्रीतम का संदेशा


रोम-रोम को
अकस्मात सुख ने सिहराया है
चिर प्रतीक्षा की
व्याकुलता ने मानो वर पाया है
टिमटिमाते लौ से
जित ज्वाला सा जगमगाया है...

लगता है कि
मेरे प्रीतम का संदेशा आया है

ठहरी हवाओं को
प्रेम पंखो पर झुलाया है
पीपल पातों ने
ये कैसा कोलाहल मचाया है
चुप चातकी ने
चहक-चहक कर चौंकाया है...

हाँ ! प्रीतम का
प्यारा संदेशवाहक ही आया है

मरू नभ पर
घनघोर घन लहराया है
मोर मोरनी के
नयन में नयन दे मुस्काया है
नए-नए गीत
नई ध्वनियों ने मिल गाया है...

हुलस कर जिसे
मैंने भी निज-हाल सुनाया है

हर पल पर
लिखी पाती उसे थमाया है
कि ह्रदय को
कैसे मैंने उपासना-गृह बनाया है
अपने प्रीतम को
उसमें देव सदृश बिठाया है...

हठचेती ह्या ने
हठात भेद उगलवाया है कि

बिन मदिरा के
बेसुध सी रात ने मुझे भरमाया है
और भोर तक
जगते सपने ने निर्मोही को दिखाया है
हर तत्पर दिन
पुन: सूनी संध्या में समाया है...

हलाहल पी कर
मैंने भी ये संदेशा भिजवाया है

कि उसका दिया
विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
और हर्षोन्माद में
बस उसी को तो मैंने पाया है
दुःख देकर भी
आखिर उसी ने तो दुलराया है...

हाय ! प्रीतम तक
कैसा संदेशा उसने पहुँचाया  है .

42 comments:

  1. उसका दिया विरह उपहार भी प्रिय .... प्रेम का चरमोत्कर्ष

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  2. हर शब्द में उत्साह और उल्लास छलकता हुआ..

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  3. सचमुच दिल के अंग तरंग को झंकृत कर देने वाले सब्द है अमृता जी

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  4. bhaut hi khubsurat aur saargarbhit rachna....

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  5. बेहद खूबसूरत प्रेम की पाती

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  6. एक थकान की मन:स्थिति के बाद

    प्रीतम का संदेशा आ ही गया



    हमारी शुभकामना....बधाई

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  7. दिल की गहराइयों से...निकलती है...विरह की वेदना...

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  8. प्राकृतिक उपालाम्भों युक्त सुन्दर श्रृंगार रचना

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  9. Amrita,

    DURIYAAN BAHUT HI KATHIN HOTI HAIN AUR JAB EISE SANDESH MILTE HAIN TO MANOSTHI KAA VARNAN BILKUL SAHI KIYAA HAI.

    Take care

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  10. और भोर तक
    जगते सपने ने निर्मोही को दिखाया है
    हर तत्पर दिन
    पुन: सूनी संध्या में समाया है...

    प्रेम में मन इतना लीं हो जाता है कि उसके सिवा कुछ और न दिखता है ...न सुहाता है ....

    निर्मोही सों नेहा लगाये ...
    जिया फिर भी उसी के गुण गाये ...
    शाश्वत प्रेम की गाथा ...
    समर्पण का अद्भुत भाव ...
    सुंदर रचना ...अमृता जी ...

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  11. कि उसका दिया
    विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
    और हर्षोन्माद में
    बस उसी को तो मैंने पाया है
    हाय ! प्रीतम तक
    कैसा संदेशा उसने पहुँचाया है .

    सारगर्भित सुंदर रचना,.....

    MY RECENT POST.....काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...

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  12. रोम-रोम को
    अकस्मात सुख ने सिहराया है
    चिर प्रतीक्षा की
    व्याकुलता ने मानो वर पाया है
    टिमटिमाते लौ से
    जित ज्वाला सा जगमगाया है...

    कुछ ऐसा ही कर जाता है ...प्रीतम का संदेशा

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  13. बढ़िया |
    बहुत बहुत शुभकामनायें |
    आभार |

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  14. कि उसका दिया
    विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
    और हर्षोन्माद में
    बस उसी को तो मैंने पाया है
    हाय ! प्रीतम तक
    कैसा संदेशा उसने पहुँचाया है .
    उफ़ ! स्वयं ही उसके आने का मार्ग भी बंद कर दिया..यही तो अहंकार का काम है...बहुत सुंदर कविता !

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  15. सुभानाल्लाह बहुत ही खुबसूरत कैसे भी सही संदेशा पहुँच गया :-)

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  16. कल 012/05/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .

    धन्यवाद!

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  17. dil ko gudguda gayi..man ko bhaa gayee..aaj to prem kee paati ccha gayee..sadar badhayee ke satb

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  18. समर्पण का अद्भुत भाव ...
    सुंदर रचना ...अमृता जी ...

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  19. मुझे सूरदास की पंक्तियाँ याद आई .
    कहत कत परदेशी की बात
    मंदिर अर्ध अवधि बदी हमसो हरि आहार चली जात
    ग्रह नक्षत्र वेद जोर अर्ध करि, ताई बनत अब खात

    अद्भुत

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  20. कि उसका दिया
    विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
    और हर्षोन्माद में
    बस उसी को तो मैंने पाया है
    दुःख देकर भी
    आखिर उसी ने तो दुलराया है...bahut badhiya ......

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  21. निःशब्द करती रूमानियत

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  22. सन्देश को बादलों के पर लगे और हम सब की दुआ भी साथ है.

    सुन्दर रचना.

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  23. यह वह एहसास है जिसकी अनुभूति होने पर सुध-बुध बेकाबू हो ही जाते हैं।

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  24. ठहरी हवाओं को
    प्रेम पंखो पर झुलाया है
    पीपल पातों ने
    ये कैसा कोलाहल मचाया है
    चुप चातकी ने
    चहक-चहक कर चौंकाया है...

    हाँ ! प्रीतम का
    प्यारा संदेशवाहक ही आया है ठहरी हवाओं को
    प्रेम पंखो पर झुलाया है
    पीपल पातों ने
    ये कैसा कोलाहल मचाया है
    चुप चातकी ने
    चहक-चहक कर चौंकाया है...

    हाँ ! प्रीतम का
    प्यारा संदेशवाहक ही आया है

    समर्पण का अद्भुत भाव ...

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  25. अमृताजी,
    अगर गूंगे के मुख गुड रख दिया जाये तो वह उसके स्वाद का क्या बखान कर सकेगा ,सिर्फ सबदहीन होकर इस कविता में जी रहा हूँ.हर शब्द हर पंक्ति बिरह का बाण लिए हर ह्रदय को बेध रहा प्रतीत होता है.परमचैतन्य से इस जीव चैतन्य को भावित इस निर्झर सी रसधारा का प्रवाह सतत रहे .इस यूग की मीरा का हार्दिक नमन .

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  26. कि उसका दिया
    विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
    *तब तो ये मधुर रचना बनपाया है .... !!

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  27. निशब्द करती समर्पित प्रेम की उत्कृष्ट प्रस्तुति...

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  28. कि उसका दिया
    विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
    और हर्षोन्माद में
    बस उसी को तो मैंने पाया है
    दुःख देकर भी
    आखिर उसी ने तो दुलराया है...

    हाय ! प्रीतम तक
    कैसा संदेशा उसने पहुँचाया है .

    आपकी कविता विरह भाव से अपने उच्छवासों को अभिव्यक्त करने में सार्थक सिद्ध हुई है । मरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा ।धन्यवाद ।

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  29. कि उसका दिया
    विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
    और हर्षोन्माद में
    बस उसी को तो मैंने पाया है
    दुःख देकर भी
    आखिर उसी ने तो दुलराया है

    यही प्रेम की परिभाषा है.

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  30. समर्पण का भाव जो अहसास जगाता है बह अद्भुत होता है. भाव विभोर करती प्रस्तुति.

    बहुत सुंदर.

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  31. anupam,adbhut bhavmy aur bhaktimy prastuti.
    bas bhaav vibhor avm tanmy hun padhkar.

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  32. कि उसका दिया
    विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
    और हर्षोन्माद में
    बस उसी को तो मैंने पाया है
    दुःख देकर भी
    आखिर उसी ने तो दुलराया है...

    बहुत सुंदर भाव, सुंदर कविता।

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  33. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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  34. कि उसका दिया
    विरह उपहार भी बड़ा मनभाया है
    vaah sundar rachna ....

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  35. दुःख देकर भी
    आखिर उसी ने तो दुलराया है...

    अलख के प्रति बहुत सुन्दर भाव

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  36. सुन्दर रूमानी कविता!!! :)

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  37. बहुत भावमयी सुंदर कविता.

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  38. बहुत सुन्दर प्रस्‍तुति। आपका मेरे पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा । मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  39. वाह अमृता जी कितने जीवंत हैं आपके बिम्ब...और कितनी समृद्ध आपकी भाषा....आशा निराशा के इस असमंजस को कितनी खूबसूरती से पिरोया है आपने .....

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