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Tuesday, October 27, 2020

क्षणिकाएँ ........

आटा मुंँह में लेते ही
पता चलता है कि कांँटा है
तब तक मछली जाल में होती है
लुभावनी तरकीबें तो
केवल आदम खाल में होती है

     ***

कड़वी दवा भी
लार टपकाने वाले स्वादों के
परतों में लिपटी होती है
जिस पर डंक वाली हजारों
चापलूस चींटियांँ चिपटी होती है

     ***

प्यासे को पानी का
सूत्र मिलता है
भूखे को पाक शास्त्र
नव सुधारकों का
अचूक है ब्रह्मास्त्र

     ***

पुराने पत्थर ही है
जो कभी बदलते नहीं हैं
बदलाव के सारे प्रयास तो
सब कसौटी पर
सौ फ़ीसदी सही है

     ***

लोकप्रिय पटकथाएँ तो
अंधेरे में ही लिखी जाती है
हर झूठ को सच 
मानने और मनवाने से ही
अभिनय में कुशलता आती है .

12 comments:

  1. सभी क्षणिकाएं अर्थ का एक चमत्कार पैदा करती हैं. बहुत खूब.

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 29 अक्टूबर 2020 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सभी क्षणिकाएं एक से बढ़ कर एक...गहन अर्थ के साथ । अत्यंत सुन्दर सृजन ।

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  4. लोकप्रिय पटकथाएँ तो
    अंधेरे में ही लिखी जाती है
    हर झूठ को सच
    मानने और मनवाने से ही
    अभिनय में कुशलता आती है
    वाह!!!
    क्या बात...
    बहुत सुन्दर क्षणिकाएं।

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  5. गहरा कटाक्ष

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  6. सुन्दर क्षणिकाएँ हैं मैम

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  7. लोकप्रिय पटकथाएँ तो
    अंधेरे में ही लिखी जाती है
    हर झूठ को सच
    मानने और मनवाने से ही
    अभिनय में कुशलता आती है ...
    हर एक क्षणिका में चमत्कारिक अर्थ और विचारों की गहनता परिलक्षित हो रही है। प्रशंसा से परे है रचना....

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  8. प्रान्तीय चुनाव चक्र में से निकलते कचरे पर सटीक प्रहार।

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  9. गहन भाव लिए सार्थक क्षणिकाएं ।
    बहुत सुंदर।

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  10. वाह !बहुत सुंदर !

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