" या देवि सर्वभूतेषु हिन्दीरूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः "
हे सृष्टिस्वरूपिणी !
हे कामरूपिणी !
हे बीजरूपिणी !
जो जिस भाव और कामना से
श्रद्धा एवं विधि के साथ
तेरा परायण करते हैं
उन्हें उसी भावना और कामना के अनुसार
निश्चय ही फल सिद्धि होती है .......
हे भाषामयी !
हे वांङमयी !
हे सकलशब्दमयी !
हृदय में उदित भव भाव रूप से
मन में संकल्प और विकल्प रूप से
एवं संसार में दृश्य रूप में
अब तुम्हारे स्वरूप का ही दर्शन है .....
हे ज्योत्सनामयी !
हे कृतिमयी !
हे ख्यातिमयी !
अब बिना किसी प्रयत्न के ही
संपूर्ण चराचर जगत में
मेरी यह स्थिति हो गई है कि
मेरे समय का क्षुद्रतम अंश भी
तुम्हारी स्तुति , जप , पूजा
अथवा ध्यान से रहित नहीं है .....
हे शक्तिमयी !
हे कान्तिमयी !
हे व्याप्तिमयी !
इस बात को स्वीकार कर
मैं अति आह्लादित हूँ कि
मेरे संपूर्ण जागतिक आचार और व्यवहार
तुम्हारे प्रति यथोचित रूप से
व्यवहृत होने के कारण
तुम्हारी ही पूजा के रूप में
पूर्णतः परिणत हो गये हैं .
हे देवी हिन्दी !
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः "
हे सृष्टिस्वरूपिणी !
हे कामरूपिणी !
हे बीजरूपिणी !
जो जिस भाव और कामना से
श्रद्धा एवं विधि के साथ
तेरा परायण करते हैं
उन्हें उसी भावना और कामना के अनुसार
निश्चय ही फल सिद्धि होती है .......
हे भाषामयी !
हे वांङमयी !
हे सकलशब्दमयी !
हृदय में उदित भव भाव रूप से
मन में संकल्प और विकल्प रूप से
एवं संसार में दृश्य रूप में
अब तुम्हारे स्वरूप का ही दर्शन है .....
हे ज्योत्सनामयी !
हे कृतिमयी !
हे ख्यातिमयी !
अब बिना किसी प्रयत्न के ही
संपूर्ण चराचर जगत में
मेरी यह स्थिति हो गई है कि
मेरे समय का क्षुद्रतम अंश भी
तुम्हारी स्तुति , जप , पूजा
अथवा ध्यान से रहित नहीं है .....
हे शक्तिमयी !
हे कान्तिमयी !
हे व्याप्तिमयी !
इस बात को स्वीकार कर
मैं अति आह्लादित हूँ कि
मेरे संपूर्ण जागतिक आचार और व्यवहार
तुम्हारे प्रति यथोचित रूप से
व्यवहृत होने के कारण
तुम्हारी ही पूजा के रूप में
पूर्णतः परिणत हो गये हैं .
हे देवी हिन्दी !
बहुत सुन्दर ... काश की धरती के अंत अंत से अंश अंश तक हिंदी देवी के शब्द व्याप्त हों ...
ReplyDeleteवाह बहुत ही सुन्दर कल्पना और शब्द संयोजन | आनंदम आनंदम
ReplyDeleteजय जय देवी हिंदी ... सुन्दर शब्द संयोजन. लाज़वाब रचना
ReplyDeleteहिन्दी के प्रति अपने समय केे क्षुद्रतम अंश का भी ऐसा सदुपयोग निश्चित ही आपको हिन्दी का सर्वश्रेष्ठ तारणहार बनाता है।
ReplyDeleteहिंदी सेवी वही है जो अपने दिल की बात सभी से हिंदी में कहता है. वही ममतामयी हिंदी है. आपका रचना-संसार इस बात का गवाह है.
ReplyDeleteहिंदी देवी शरणं गच्छामी ।
ReplyDeleteSeetamni. blogspot. in
हिंदी अमृता है.
ReplyDeleteहिंदी तन्मयता है
अमृता तन्मय से हिंदी की विलक्षणता है
हिंदी की महिमा अपार है..
ReplyDelete...पर एक दिन सबको कहना पड़ेगा। .. सकल पदारथ हिंदी जग माहि।।।।
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