इति-इति पर अड़ मत मन
नेति-नेति से लड़ मत मन
दुगुना दुःख कर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
गहन कोमलता जब लुटती है
इक टीस सी तब उठती है
मधुघट भी फूट जाता है
मृदुमिटटी में मिल जाता है
मृत्यु पूर्व ही मर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
ह्रदय खोल और हुक उठा
पुण्य प्रबल है , बस उसे लुटा
जतन से चुभन को सहेज ले
अगन को सूरज का तेज दे
उत उलझन में पड़ मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
व्यर्थ ही मिलती नहीं पीड़ा
शैवाल तले बहती सदानीरा
उपल के अवरोधों को सहती
जल से ही जलधि है बनती
अंजुली छोटी कर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
दुगुना दुःख कर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन .
व्यर्थ ही मिलती नहीं पीड़ा
ReplyDeleteशैवाल तले बहती सदानीरा
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सुन्दर और बेहद सुन्दर रचना
namaskaar marata ji
Deletebahut sundar geet m badhai ,bahut aachi lagi aapki yah post
वाह..
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर...
भाव भी ,लय भी....
बहुत खूब.
अनु
बहुत ही सुन्दर और दार्शनिक विचारों से ओतप्रोत कविता |
ReplyDeleteगहन कोमलता जब लुटती है
ReplyDeleteइक टीस सी तब उठती है
मधुघट भी फूट जाता है
मृदुमिटटी में मिल जाता है
मृत्यु पूर्व ही मर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
सुन्दर भाव जीने की प्रेरणा देते हुये
व्यर्थ ही मिलती नहीं पीड़ा
ReplyDeleteशैवाल तले बहती सदानीरा
उपल के अवरोधों को सहती
जल से ही जलधि है बनती
अंजुली छोटी कर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
प्रबल आत्मबल झलकाता अमृतमय अद्भुत काव्य ....
बहुत सुंदर रचना अमृता जी ....
व्यर्थ ही मिलती नहीं पीड़ा
ReplyDeleteशैवाल तले बहती सदानीरा
उपल के अवरोधों को सहती
जल से ही जलधि है बनती
अंजुली छोटी कर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
रचना की हर पंक्ति बहुत सुंदर ....सार्थक संदेश देती खूबसूरत रचना
सार्थक सन्देश, सुंदर पंक्तियाँ,,,,
ReplyDeleterecent post: बात न करो,
ह्रदय खोल और हुक उठा
ReplyDeleteपुण्य प्रबल है , बस उसे लुटा
जतन से चुभन को सहेज ले
अगन को सूरज का तेज दे
उत उलझन में पड़ मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
बहुत कोमल कान्त पदावली है ,हृदय के भावों की विरुदावली है आपने "ह्रदय खोल और 'हुक' उठा"का प्रयोग किया है तो कुछ सोच समझके ही किया होगा .मीटर और गेयता इस पद की "हूक "लिखने पर बढ़ जाती है .बहर सूरत आप ज्यादा जानती हैं इस शब्द की रंगस्थली को .हुक है क्या ?अंग्रेजी वाला "हुक "है .
बहुत ही खुबसूरत प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
ReplyDeleteमेरे मन न हार तू, डरना नहीं तू जान लें |
ReplyDeleteपीड़ा नहीं है व्यर्थ मिलते, सत्य को तू पहचान ले ||
आपकी इस उत्कृष्ट पोस्ट की चर्चा बुधवार (05-12-12) के चर्चा मंच पर भी है | जरूर पधारें |
सूचनार्थ |
व्यर्थ ही मिलती नहीं पीड़ा
ReplyDeleteशैवाल तले बहती सदानीरा
उपल के अवरोधों को सहती
जल से ही जलधि है बनती
अंजुली छोटी कर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
दुगुना दुःख कर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन .
सार्थक संदेश देती रचना
साधू-साधू
ReplyDeleteप्रेरक शब्द!
ReplyDeleteह्रदय खोल और हुक उठा
ReplyDeleteपुण्य प्रबल है , बस उसे लुटा
जतन से चुभन को सहेज ले
अगन को सूरज का तेज दे
बहुत सुन्दर भाव
वेदना से मत डर मन ...
ReplyDeleteप्रेरक !
बहुत अच्छी लगी आपकी कविता.
ReplyDeleteह्रदय खोल और हुक उठा
ReplyDeleteपुण्य प्रबल है , बस उसे लुटा
जतन से चुभन को सहेज ले
अगन को सूरज का तेज दे
उत उलझन में पड़ मत मन
वेदना से तू , डर मत मन
बेहद गहन भाव लिये यह पंक्तियां ... अनुपम प्रस्तुति
लय और भाव का अद्भुत संगम... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...
ReplyDeletesrthak sandesh ke sath prernadayee rachna..
ReplyDeleteशब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन.
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी.बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें.
आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
बेहद उम्दा.
ReplyDeleteसादर.
डरना हमने छोड़ दिया है,
ReplyDeleteआँख बन्द कर मोड़ लिया है।
आपकी किसी नयी -पुरानी पोस्ट की हल चल बृहस्पतिवार 06-12 -2012 को यहाँ भी है
ReplyDelete....
सफ़ेद चादर ..... डर मत मन ... आज की नयी पुरानी हलचल में ....संगीता स्वरूप
. .
नियति के प्रवाह के आगे विवश हम सभी -किन्तु इसे भी एक सकारात्मक रूप से सहज ही कवयित्री का स्वीकारना भाया
ReplyDeleteबेहद प्रभावी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteअंजुली छोटी कर मत मन,
ReplyDeleteवेदना से तू , डर मत मन.
सार्थक सन्देश देती सुंदर प्रस्तुति.
वाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर भाव ......
ReplyDeleteअंतःकरण में उजाला लौटाती कविता. बहुत ही खूबसूरत है. इऩ दिनों ऐसे ही भावों की आवश्यकता थी.
ReplyDeleteव्यर्थ ही मिलती नहीं पीड़ा
ReplyDeleteशैवाल तले बहती सदानीरा
उपल के अवरोधों को सहती
जल से ही जलधि है बनती
अंजुली छोटी कर मत मन
वेदना से तू , डर मत मन ...
सार्थक सन्देश .. आशा ओर विशवास के दीप जलाती मधुर रचना ...
सुंदर प्रेरणादायी कविता
ReplyDeleteबहुत ही शानदार........दिल को छूती पंक्तियाँ ।
ReplyDeleteAmrita,
ReplyDeletePRERNAATMAK KAVITAA.
Take care
अद्भुत कविता। जीवन दर्शन को शब्द देती हुई। जीवन को कई आयामों से बेहतर बनाने के रास्ते की तलाश करती सी प्रतीत होती है कविता। स्वागत है।
ReplyDelete
ReplyDeleteशब्दों में सम्मोहन है . कई बार पढ़ रहा हूँ !