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Friday, August 5, 2011

मेरा सावन

मैं बावरी
ढूँढती फिरूँ
मारी - मारी
उस बावरे को
जो न जाने
कहाँ है मगन..
किसकी प्रीत
बनी है बैरन...
हाय ! कैसा
पड़ा है बिघन
जो न लेता
मेरा सुमिरन...
बिछोही बिना
सूना - सूना है
ये चित - वन
बिसाहा बन बेधे
शीतल पवन
बिछुवा लगे
अपनी धड़कन...
मैं बावरी
बौराती फिरूँ
उपवन से मरू वन
विदाही मिले न
करूँ क्या जतन...
बरबस ताकूँ
वितत गगन
टंगा है जिसपर
काला - काला घन
मिलने को आतुर
विकल बसुधा से
अमृत बूँद बन
पर बावरे बिन
कैसे बरसे
मेरा सावन .

बैरन - शत्रु बिघन - बाधा
सुमिरन - याद , ध्यान
बिसाहा - जहरीला
विदाही - जलाने वाला
वितत - फैला हुआ

54 comments:

  1. धरती की बेचनी को बस बादल समझता है..........विरह की आग में जलते मन का बहुत ही सुन्दर और मार्मिक वर्णन करती ये पोस्ट बहुत ही सुन्दर है|

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  2. विरह वेदना का बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है।

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  3. सावन पर मनभावन कविता।

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  4. सावन और प्रेम कि मिली जुली गाथा ... उस पर विरह का दर्द ..

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  5. bahut hi madhur
    ehsaas hua didi aapki
    rachna padkar jaise
    sare ras sama gaye hon....
    in shabdon main...
    shyad aap mere blog par kabhi nahi aaye aayege to khushi hogi ...

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  6. bahut sundar amrita ji |
    tanmayta se baanchaa ||

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  7. सावन बिरहन ही होती है ! सहेजना और आनंदित होना , इसकी प्रमुख विसेषता है ! बहुत सुन्दर विरह पूर्ण !

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  8. विरह वेदना को सुन्दरतम शब्द दिये आपने . आभार

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  9. आपकी कविता पढ़कर किसी का एक शेर याद आ गया.देखिएगा:-
    ऐ अब्र बहार आज ज़रा थम के बरसना.
    आ जाये मेरा यार तो फिर जम के बरसना.

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  10. bahut sundar shabdon se saji saavan ki kavita.bahut achchi lagi.

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  11. प्रीत में हुई बाबरी और उस पर बिरह की पीड़ा. सुंदर मनोभाव और उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.

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  12. वाह,खूबसूरत सावन,आभार.

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  13. बरबस ताकू
    वितत गगन
    टंगा है जिसपर
    काला काला घन

    बहुत सुन्दर भाव समेटे हुए रचना

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  14. ओह कैसा कैसा हो गया मन -अगर इसे पुरुष की और से जैसे मेरी ओर से रचा कहा मान लें तो ?

    रचनाएं वही जैसे यह ,श्रेष्ठ होती हैं जो पाठकों को लगे कि अरे जैसे यह तो उसी की बात है -इतनी सुन्दर कविता के लिए साधुवाद !

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  15. सुंदर। अच्छी लगी यह रचना।

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  16. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
    सादर...

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  17. खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  18. आधुनिक कविताओं में अलंकारों का प्रयोग, भई वाह| दिल खुश कर दित्ता।

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  19. वाह.. ऐसे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल आपने किया है जो आमतौर पर लोगों की जुबान से गायब से हो गए हैं। बहुत अच्छा।

    मैं बावरी
    बोराती फिरूं

    क्या कहने

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  20. बरबस ताकू
    वितत गगन
    टंगा है जिसपर
    काला काला घन

    वाह.. बहुत सुन्दर !

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  21. मन को भिगो गई यह कविता।

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  22. बहुत सुंदर रचना ! लाजवाब प्रस्तुती!

    आपके पास दोस्तो का ख़ज़ाना है,
    पर ये दोस्त आपका पुराना है,
    इस दोस्त को भुला ना देना कभी,
    क्यू की ये दोस्त आपकी दोस्ती का दीवाना है

    ⁀‵⁀) ✫ ✫ ✫.
    `⋎´✫¸.•°*”˜˜”*°•✫
    ..✫¸.•°*”˜˜”*°•.✫
    ☻/ღ˚ •。* ˚ ˚✰˚ ˛★* 。 ღ˛° 。* °♥ ˚ • ★ *˚ .ღ 。.................
    /▌*˛˚ღ •˚HAPPY FRIENDSHIP DAY MY FRENDS ˚ ✰* ★
    / .. ˚. ★ ˛ ˚ ✰。˚ ˚ღ。* ˛˚ 。✰˚* ˚ ★ღ

    !!मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये!!

    फ्रेंडशिप डे स्पेशल पोस्ट पर आपका स्वागत है!
    मित्रता एक वरदान

    शुभकामनायें

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  23. कल 08/08/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  24. हिंदी भाषा का सतत संवर्धन कर रहीं हैं आप आंचलिक शब्दों इतना आधिकारिक प्रयोग इससे पहले अन्यत्र नहीं देखा आप ब्लॉग जगत के आने वाले कल का आसमान हैं ,कृपया यहाँ भी आहटें सुनाई दें आपकी -
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
    Erectile dysfunction? Try losing weight Health
    शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
    http://sb.samwaad.com/
    आखिर इस दर्द की दवा क्या है?
    Posted by veerubhai on Friday, August 5

    ReplyDelete
  25. हिंदी भाषा का सतत संवर्धन कर रहीं हैं आप आंचलिक शब्दों इतना आधिकारिक प्रयोग इससे पहले अन्यत्र नहीं देखा आप ब्लॉग जगत के आने वाले कल का आसमान हैं ,"बिछोई "बिछड़ा हुआ प्रीतम (अगर हमने ठीक समझा है तो ?)..चलिए आज आपको एक शैर सुनातें हैं -"कहाँ से लाये वो, अंदाज़, मुस्कराने के ,वो बदनसीब जिसे लब मिले हंसी न मिली ."कृपया यहाँ भी आहटें सुनाई दें आपकी -
    http://veerubhai1947.blogspot.com/
    शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
    Erectile dysfunction? Try losing weight Health
    शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
    http://sb.samwaad.com/
    आखिर इस दर्द की दवा क्या है?
    Posted by veerubhai on Friday, August 5

    ReplyDelete
  26. सुन्दर रचना. मित्रता दिवस की शुभकामनाये. .

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  27. सावन है तो बरसात तो होगी ही...या तो बदरा बरसेंगे...या अँखियाँ...खूबसूरत रचना...

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  28. bilkul gazab ka likha hai aapne....gazab ke shabdo ka chayan...


    humara bhi hausla badhaaye:
    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

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  29. विरह और कविताओं के गहरे ताल्लुकात हैं...
    अच्छी लगी यह कृति..

    आभार

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  30. सुंदर भाव और मनमोहक शब्दों से सजी इस विरह रचना के लिए बधाई... ऐसा विरह नसीब वालों को मिलता है...

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  31. Haal-e-dil ki dastaan batati ye rachana..bahut sundar..aabhar

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  32. Sabne bahut kuch kah diya hamai. Bas itna hi kahungaa
    ...
    ....
    Excelent...congratulations

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  33. के उपादान ,हवा पानी बादल तभी अच्छे लगतें हैं जब प्रीतम पास हो वरना पवन भी बैरन ,सावन भी ,मनभावन बादल .विरह भाव का प्रकृति नटी पर आरोपण .सुन्दर प्रस्तुति -मेरे नैना सावन भादों ........ ..कृपया यहाँ भी आयें - http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_09.html
    Tuesday, August 9, 2011
    माहवारी से सम्बंधित आम समस्याएं और समाधान ...(.कृपया यहाँ भी पधारें -)

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  34. मानसिक कुहांसे को शब्द देती रचना ,इंतज़ार की बे -कली कुछ यूं -प्रतीक्षा में युग बीत गये सन्देश न कोई मिल पाया ,सच बतलाऊ तुम्हें प्राण इस जीने से मरना भाया .अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई . .http://veerubhai1947.blogspot.com/
    सोमवार, ८ अगस्त २०११
    What the Yuck: Can PMS change your boob siz

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  35. This comment has been removed by a blog administrator.

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  36. वाह ....
    कोमल भाव ...कोमल शब्द
    सुन्दर शब्दों की लड़ी .....जैसे सावन की झड़ी
    कथ्य की मिठास ...अनबुझी प्यास
    अद्भुत प्रवाह ......बढती चाह

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  37. छोडो काला घर
    पकडॊ काला धन
    मिट जाएंगे
    सारे विघन :)

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  38. Bahut hi sundar sabdo ka mel....
    Virah ki vedna, bahut khub....
    Jai hind jai bharatBahut hi sundar sabdo ka mel....
    Virah ki vedna, bahut khub....
    Jai hind jai bharat

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  39. कमाल की खूबसूरती है आपकी रचनाओं में ....
    शुभकामनायें आपको !

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  40. अमॄता जी ..लाजवाब रचना ..बधाई..

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  41. तेरा सावन
    मेरा सावन
    इसका सावन
    उसका सावन
    सावन वैसा लागे जैसा
    उस पल अपना
    हो तन मन
    सावन बरषे एक रंग में
    मन पापी सतरंगी रे....
    सावन उसका ही हो जाये
    जो मन से अड़बंगी रे...
    ..सावन में विरहन के दर्द ने ये भाव जगाये।
    अच्छी लगी यह कविता।

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  42. निर्मम भंवरा कहाँ है मगन ...
    बहुत अच्छी रचना है ... विरह की वेदना लिए ...

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  43. खूबसूरत! नहीं नहीं बहुत खूबसूरत.
    विरह वेदना की 'तन्मय' प्रस्तुति.
    आभार.

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