अंधेरनगरी में भी
चलता है अंधेरखाता
अक्ल पर पड़े पहाड़ को
क्यूँ है उठाता
ये उल्टी गंगा
कौन है बहाता
खरी - खरी
किसको है सुनाता ?
अंधेरनगरी के
कानों में
तेल और घी भरा है
जूं - चीलड़ तक
नहीं रेंग रहा है
नाक तो कटी हुई है
पगड़ी भी उतरी हुई है .
अंधेरनगरी का कानून
अँधा बनकर अँधा बनाना
अंटी मारना , अंगूठा दिखाना
जूते चाटना , गाल बजाना
चूड़ियाँ पहनना , मक्खियाँ मारना .
अंधेरनगरी का है काम
सीधा उल्लू को सीधा करना
पकी खिचड़ी फिर-फिर पकाना
घोड़े बेच-बेच कर सोना
और कुत्ते की मौत मर जाना .
अंधेरनगरी में
नहीं निकलते चींटियों के पर
फटा करता है यूँ ही छप्पड़
एक ही लाठी से सभी हँकाते
अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बन जाते .
अंधेरनगरी है अपनी नगरी
छलकत जाए अधजल गगरी .
( मुहावरा का खेल )
क्षणिकाएँ
अपराध-बोध
अब तो हर वक़्त
अपराध-बोध होता है
हक़ की बात करूँ तो
संविधान का
पन्ना खुल जाता है.
बुनियाद
यह ऊँचे आदर्शों का
है तिलस्मी महल या
रंग-रोगन किया हुआ
है कोई भरभराता खँडहर
बुनियाद की न लें खबर
वर्ना फ़ैल जायेगा जहर.
बहुमत
दबंग पहलू से दबका पहलू
है अंगूठा दिखा रहा
माना कि तू बहुमत में है
पर मैंने तेरा चूल हिला दिया.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..सार्थक क्षणिकाएं...
ReplyDeleteनए रंगरूप की सशक्त बिंबों वाली कविता और सामयिक क्षणिकाएँ बहुत बढ़िया बन पड़ी है.
ReplyDeleteएकदम नयी शैली में मुहावरों का उपयोग किया आपने....
ReplyDeleteऔर क्षणिकाएं.... वाह अद्भुत कथ्य हैं....
सादर बधाई....
बहुत सुन्दर और सटीक..मुहावरों का सटीक और सशक्त प्रयोग...क्षणिकाओं का तो कोई ज़वाब नहीं. लाज़वाब
ReplyDeleteYe apka naya roop hame acha laga,
ReplyDeleteek alag andaaj me apka likna acha laga.
Log rach to dete hain naye andajon me purane geet,
par aapka hakikat byan karta ye kissa acha laga.
Mam is shyri ko galat mat samajhyiyega mene roop ke baare me likha hai wo sirf ye shayri ko banane ke liye likha hai........
Jai hind jai bharat
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार क्षणिकाएं ! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
बेहतरीन रचनायें...
ReplyDeleteअब क्या कहूँ बहुत सारे बिम्बों का प्रयोग करते हुए आपकी यह रचनाएँ सशक्त भावों का सम्प्रेषण करती हैं .....!
ReplyDeleteमुहावरों का प्रयोग नवीन और सार्थक लगा और क्षणिकाएं भी लाजवाब हैं
ReplyDeleteNice read it was to me.
ReplyDeleteबहुत सही ।
ReplyDeleteसादर
वाह.......क्या बात है अमृता जी.........बड़ा आक्रोश दबा दिखा है आज की पोस्ट में.........कविता के साथ क्षणिकाएं और भी चार चाँद लगा रही हैं (मुहावरे की भाषा में :-) )
ReplyDeletebahut badiya muhavaredaar bhasha ka prayog kar vywastha par sateek prahar karti rachna prastuti ke liye dhanyavaad..
ReplyDeleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteहार्दिक शुभकामनायें आपके लिए !
सब की सब रचनाएँ एक से बढ़ कर एक हैं,आनंद आ गया,आभार.
ReplyDeleteअंधेरनगरी का काम है
ReplyDeleteसीधा उल्लू को सीधा करना
पकी खिचड़ी फिर-फिर पकाना
हक़ की बात करूं
तो संविधान का पन्ना खुल जाता है
भारतीय राजनैतिक-सामाजिक
विडम्बनाओं का सटीक चित्रण.. आभार..
ख़ूबसूरत प्रतीकों से सजी सुंदर कविताएं।
ReplyDeleteसार्थक और सटीक प्रस्तुति. आभार.
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
मुहावरों का सटीक प्रयोग कविता के अलंकरण जैसा हो गया है . अन्धेरपुर नगरी में टका सेर भाजी टका सेर खाजा भी तो मिलता है . क्षणिकाएं दीर्घ प्रभावकारी है . आभार .
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति ..........
ReplyDeleteअंधेरनगर म भी चलता है अंधेरखाता
ReplyDeleteहक़ क बात कँ तो संवधान का पना खुल जाता
in dono lines ko ek sath padne ka man ho aaya.
Badhai.
आपको एवं आपके परिवार को जन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
ReplyDeleteमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
bahut khoob.
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार "सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया"की तरफ से भारत के सबसे बड़े गौरक्षक भगवान श्री कृष्ण के जनमाष्टमी के पावन अवसर पर बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें लेकिन इसके साथ ही आज प्रण करें कि गौ माता की रक्षा करेएंगे और गौ माता की ह्त्या का विरोध करेएंगे!
ReplyDeleteमेरा उदेसीय सिर्फ इतना है की
गौ माता की ह्त्या बंद हो और कुछ नहीं !
आपके सहयोग एवं स्नेह का सदैव आभरी हूँ
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
सबकी मनोकामना पूर्ण हो .. जन्माष्टमी की आपको भी बहुत बहुत शुभकामनायें
बस अंधेर नगरी चौपट राजा ...क्षणिकाएं भी सटीक हैं !
ReplyDeleteरमादान (रमजान ,रमझान )मुबारक ,क्रष्ण जन्म मुबारक .
ReplyDeleteअंधेर नगरी चौपट राजा ,टके सेर भाजी ,टके सेर खाजा .अभिव्यक्ति को पंख लग गएँ हैं आपकी ,नै परवाज़ ,ऊंची उड़ान भर्ती विचार कणिकाएं ,बेहद खूबसूरत एहसासात की लम्बी रचना विचार को थामे थामे आगे बढती है .बधाई ..
जय अन्ना ,जय भारत . . रविवार, २१ अगस्त २०११
गाली गुफ्तार में सिद्धस्त तोते .......
http://veerubhai1947.blogspot.com/2011/08/blog-post_7845.html
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
http://sb.samwaad.com/
रविवार, २१ अगस्त २०११
सरकारी "हाथ "डिसपोज़ेबिल दस्ताना ".
http://veerubhai1947.blogspot.com/
जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteकमाल की अभिव्यक्ति है आपकी.
ReplyDeleteसार्थक और सटीक.
देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व की हार्दिक
शुभकामनाएँ.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा,
अपने सुविचारों से अनुग्रहित कीजियेगा.
रमादान (रमजान ,रमझान )मुबारक ,क्रष्ण जन्म मुबारक .अंधेरनगरी का काम है
ReplyDeleteसीधा उल्लू को सीधा करना
पकी खिचड़ी फिर-फिर पकाना
हक़ की बात करूं
तो संविधान का पन्ना खुल जाता है......इसी संविधान की आड़ में फिर छिप जाना ,मौक़ा बे मौक़ा इसकी चिन्दियाँ उड़ा देना ,इसे ताक पर रख अमरीकी एटम का मुकुट पहन लेना , ,गला घोंट कर इसी संविधान का लिफ्ट में से साधू प्रवृत्ति के लोगों को उठाकर तिहाड़ के हवाले करदेना ............बहुत सशक्त अभिव्यक्ति है आपकी अमृता जी ,.......
जय अन्ना ,जय भारत . . रविवार, २१ अगस्त २०११
गाली गुफ्तार में सिद्धस्त तोते .......
http://veerubhai1947.blogspot.com/2011/08/blog-post_7845.html
Saturday, August 20, 2011
प्रधान मंत्री जी कह रहें हैं .....
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
गर्भावस्था और धुम्रपान! (Smoking in pregnancy linked to serious birth defects)
http://sb.samwaad.com/
रविवार, २१ अगस्त २०११
सरकारी "हाथ "डिसपोज़ेबिल दस्ताना ".
http://veerubhai1947.blogspot.com/
सुन्दर अभिव्यक्ति.शुभकामनायें .
ReplyDeleteजरा एक और मुद्दे पर पढ़ें और कृपया अपनी राय अवश्य दें. सचिन को भारत रत्न क्यों?
ReplyDeletehttp://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com
कल 24/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
बेहतरीन कविताएँ अमृता जी बधाई और शुभकामनाएं
ReplyDeletewah ...muhavaron ka prayog badhia laga ....
ReplyDeletesunder aur damdar abhivyakti.
बहुत सुन्दर ,अंदाज काफी पसंद आया ...
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक विचार हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
बहुत सुन्दर रचना , सार्थक सृजन , बधाई
ReplyDeleteमुहावरों का सटीक प्रयोग किया है ...
ReplyDeleteऔर लाजवाब और प्रभावी रचना है... सरकार पे खरी उतरती है ..
Can see fire in you, Amrita ji..
ReplyDeleteBehtrin, vicharniy rachna
ReplyDeleteaabhaar.
बहुत सही और सटीक रचनाएँ.
ReplyDeleteआज के हालातों को अलग ढंग से पेश किया है आपने..
ReplyDeleteअंधेरनगरी में अंधे लोग रह रहे हैं..
APRAADH- BODH rachnaa achhi lagi...
ReplyDeletesaadar
बहुत सही ,सुन्दर लिखा है.
ReplyDeleteएकदम सटीक और सही लिखा है....मुझे सारी क्षणिकाएं बहुत पसंद आई..
ReplyDeleteक्या मुहावरे प्रयोग किये हैं !!! ज़बरदस्त ।
ReplyDeleteउस समय की राजनीति को याद करने की कोशिश कर रही हूँ ।
रचना के साथ मार करती रचनाएँ बोनस हैं ।
पुनः दोबारा पढ़ना अच्छा लगा
ReplyDeleteवाह लाज़वाब👌
ReplyDeleteबेहतरीन..
ReplyDeleteग़ज़ब..
आभार..
वाह! बेहतरीन 👌
ReplyDeleteसादर
सभी रचनाएँ सुन्दर हैं।'अपराध बोध'- एकदम सटीक रचना!
ReplyDeleteअंधेरनगरी का कानून
ReplyDeleteअँधा बनकर अँधा बनाना
अंटी मारना , अंगूठा दिखाना
जूते चाटना , गाल बजाना
चूड़ियाँ पहनना , मक्खियाँ मारना .
वाह!!!
मुहावरों का अद्भुत प्रयोग।
लाजवाब।
बेहतरीन प्रस्तुति 👌👌
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