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Friday, March 26, 2021

फागुन की रातें हैं ........

ललछौंहाँ लगन लगी है , उकसौंहाँ बातें हैं

पर कुछ कहते हुए अधर क्यों थरथराते है ?

फागुन की रातें हैं


यह किस बेबुझ-सा गान पर थिरक रहा मन ?

भ्रमरावलियों बीच कौन है वो अछूता सुमन ?

जो छू कर बेसुध स्वरों में रागों को है जगाता 

उसकी छुअन से सारे फूल भी खिल जाते हैं

फागुन की रातें हैं


अपने मधु-गंध से ही साँसों को महकाने वाला

अहम् रूप को भी पिघला कर पी जाने वाला

कमनीय कामनाओं को है जगाकर उकसाता 

पर बड़ी मीठी कटारी-सी ही उसकी ये घातें हैं

फागुन की रातें हैं


हवाओं की बाँहें फैला कर वो ऐसे बुलाता है

न चाहते हुए भी मन उसी ओर खींच जाता है

रंगरलियों की ये गलियां , बहार और मधुमास

अजब अनोखा भास में उलझाकर ललचाते हैं

फागुन की रातें हैं


उसकी निखरी निराली छवि कितनी न्यारी है

तरल-चपल सी गतिविधियां भी सबसे प्यारी है

उसके आगे संसार का सब रंग-रूप है फीका

उसको प्रतिपल अर्पित मृदु नेह मन को भाते हैं

फागुन की रातें हैं


जैसे शाश्वत वर सज-संवर कर उतर आता है

सप्तपदी पर अनगिन-सा भाँवर पड़ जाता है

और षोडशी षोडश-श्रृंगार करके है लजाती 

दोनों आलिंगित हो श्वासोच्छवास मिलाते हैं

फागुन की रातें हैं


लचकौंहाँ लगन लगी है, उलझौंहाँ बातें हैं

पर कुछ कहते हुए अधर क्यों थरथराते हैं ?

फागुन की रातें हैं . 

    

            *** होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ***

*** फगुनाये आनन्द से उन्मत्त जनों को हार्दिक आभार ***

33 comments:

  1. ललछौंहाँ लगन लगी है , उकसौंहाँ बातें हैं
    फागुन की रातें हैं..
    इतनी खूबसूरती से मखमली अहसासों की रचना..बस आप ही कर सकती हैं । बेहतरीन और बस बेहतरीन..।।

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  2. लाजवाब हमेशा की तरह। होली शुभ हो।

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  3. ललछौंहे लगन की उकसौंहा बातों से थरथराते अधरों पर फागुन की रातों का कहर!!!! वाह!अभिसार के अद्भुत श्रृंगार से रंगा प्रणयी जोड़े का प्रेम प्रहर!!! होली की शुभकामनायें!!!

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  4. ललछौंहाँ लगन लगी है , उकसौंहाँ बातें हैं
    पर कुछ कहते हुए अधर क्यों थरथराते है ?
    फागुन की रातें हैं...
    इस रचना का उन्वान आपने बड़े ही बेहतरीन व प्रभावशाली तरीके से किया है। एक खिंचाव सा है इन पंक्तियों में।
    मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें। होली के समस्त रंग आपको वर्ष भर भिगोते रहें।

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  5. होली की शुभकामनाएं अमृता जी । फागुन के रंग में रंगे आपके इस प्रणय-गीत के क्या कहने ! यह हृदय के लिए है, वाणी के लिए नहीं ।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना आज शनिवार २७ मार्च २०२१ को शाम ५ बजे साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,

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  7. अदभुत!! "फागुन की रात" की कितना सुन्दर और दिलकश अंदाज में पेश कर दिया आपने,बस निशब्द हूं क्या तारिफ करूं. ‌. आप को भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं

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  8. लचकौंहाँ लगन लगी है, उलझौंहाँ बातें हैं
    पर कुछ कहते हुए अधर क्यों थरथराते हैं ?
    बढ़िया..
    आभार..
    सादर..

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  9. वाह! बहुत खूब । होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  10. मने हमको जोगीरा गाने का मन हुआ,इसी को कहते है होरियाना। उल्लास की ऋतु, रस दीक्षा का माध्यम। गज़ब लिखती हो आप।

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  11. आज तो रंग रंग बिखर रहा । फागुन की रातों के साथ पूरी ज़िंदगी के पल पल याद कर लिए । बहुत सुंदर रचना ।
    होली की शुभकामनाएँ ।

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  12. क्या बात है,अमृता जी ! अजब शब्द गज़ब अंदाज,
    होली तो पीछे छूट गई,कविता की खुमारी में ।
    प्रेम अगन है, प्रेम लगन है,लुट गए इस बीमारी में ।।
    आपके शब्द यह अहसास कराते हैं, कि सच ये फागुन की राते हैं । होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।

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  13. ललछौंहाँ लगन लगी है , उकसौंहाँ बातें हैं
    Ahaaa!! प्रेमिल उन्मुक्त स्वीकारोक्ति फागुन की रातों के अभिसार की, श्रृंगार की, मनुहार की।। अविस्मरणीय रचना प्रिय अमृता जी इस प्रीत राग और होली के लिए ढेरों हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ❤❤🌹🙏🌹

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  14. हमेशा की तरह ही बेमिसाल, बहुत ही सुंदर रचना अमृता जी होली पर्व की आपको हार्दिक बधाई हो,नमन

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  15. फागुन में अनुरागी नायिका की तीव्र अनुभूतियों का बहुत सुंदर चित्रण. वाह!

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  16. फागुन की मस्ती में भीगी हुई रस से सिक्त सुंदर रचना ! होली की शुभकामनायें !

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  17. बहुत ही खूबसूरत पोस्ट।
    होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

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  18. बहुत सुन्दर रचना...होली की शुभकामनाएँ

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  19. बहुत सुन्दर रचना...होली की शुभकामनाएँ

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  20. फागुन की मादक गंध से गमकती सुन्दर कविता. .

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  21. वाह! आज तो कलम भी ललछौंहां हुई जाती है।
    फाल्गुनी बयार से मदमस्त श्रृंगार सृजन मोहक रचना।
    सुंदर प्रस्तुति।
    होली पर हार्दिक शुभकामनाएं।

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  22. फागुन की रातें
    फागुन की रातों का खूबसूरत चित्रण
    क्या खूब सोच

    होली की हार्दिक। शुभकामनाएं

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  23. फागुन की रातों का मूड अलग ही होता है ...
    पर शिद्दत बहुत होती है ऐसी रातों में ... जुदा अंदाज़ की रचना ...

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  24. बहुत सुन्दर मधुर रचना

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  25. होली के अवसर पर सारे,
    रंगों को मैं ले आऊँ,
    और तुम्हारे जीवन में मैं,
    उन रंगों को बिखराऊँ...
    रंगोत्सव की शुभकामनाएं

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  26. –वाह! बहुत सुन्दर
    शुभकामनाओं के संग बधाई

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  27. बहुत सुन्दर

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  28. उन्मुक्त लौकिक और आलौकिक प्रेम की सरस और मधुर रचना,एक बार फिर से पढ़ी, मन को छू गई ।होली की बधाई और शुभकामनाएं प्रिय अमृता जी।🙏❤❤

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  29. वाह!अप्रतिम ये फागुन की रातें...
    फिर से पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया।
    सादर

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