ललछौंहाँ लगन लगी है , उकसौंहाँ बातें हैं
पर कुछ कहते हुए अधर क्यों थरथराते है ?
फागुन की रातें हैं
यह किस बेबुझ-सा गान पर थिरक रहा मन ?
भ्रमरावलियों बीच कौन है वो अछूता सुमन ?
जो छू कर बेसुध स्वरों में रागों को है जगाता
उसकी छुअन से सारे फूल भी खिल जाते हैं
फागुन की रातें हैं
अपने मधु-गंध से ही साँसों को महकाने वाला
अहम् रूप को भी पिघला कर पी जाने वाला
कमनीय कामनाओं को है जगाकर उकसाता
पर बड़ी मीठी कटारी-सी ही उसकी ये घातें हैं
फागुन की रातें हैं
हवाओं की बाँहें फैला कर वो ऐसे बुलाता है
न चाहते हुए भी मन उसी ओर खींच जाता है
रंगरलियों की ये गलियां , बहार और मधुमास
अजब अनोखा भास में उलझाकर ललचाते हैं
फागुन की रातें हैं
उसकी निखरी निराली छवि कितनी न्यारी है
तरल-चपल सी गतिविधियां भी सबसे प्यारी है
उसके आगे संसार का सब रंग-रूप है फीका
उसको प्रतिपल अर्पित मृदु नेह मन को भाते हैं
फागुन की रातें हैं
जैसे शाश्वत वर सज-संवर कर उतर आता है
सप्तपदी पर अनगिन-सा भाँवर पड़ जाता है
और षोडशी षोडश-श्रृंगार करके है लजाती
दोनों आलिंगित हो श्वासोच्छवास मिलाते हैं
फागुन की रातें हैं
लचकौंहाँ लगन लगी है, उलझौंहाँ बातें हैं
पर कुछ कहते हुए अधर क्यों थरथराते हैं ?
फागुन की रातें हैं .
*** होली की हार्दिक शुभकामनाएँ ***
*** फगुनाये आनन्द से उन्मत्त जनों को हार्दिक आभार ***
ललछौंहाँ लगन लगी है , उकसौंहाँ बातें हैं
ReplyDeleteफागुन की रातें हैं..
इतनी खूबसूरती से मखमली अहसासों की रचना..बस आप ही कर सकती हैं । बेहतरीन और बस बेहतरीन..।।
लाजवाब हमेशा की तरह। होली शुभ हो।
ReplyDeleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२७-०३-२०२१) को 'रंग पर्व' (चर्चा अंक- ४०१८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
ललछौंहे लगन की उकसौंहा बातों से थरथराते अधरों पर फागुन की रातों का कहर!!!! वाह!अभिसार के अद्भुत श्रृंगार से रंगा प्रणयी जोड़े का प्रेम प्रहर!!! होली की शुभकामनायें!!!
ReplyDeleteफागुनी बयार मुबारक!
ReplyDeleteललछौंहाँ लगन लगी है , उकसौंहाँ बातें हैं
ReplyDeleteपर कुछ कहते हुए अधर क्यों थरथराते है ?
फागुन की रातें हैं...
इस रचना का उन्वान आपने बड़े ही बेहतरीन व प्रभावशाली तरीके से किया है। एक खिंचाव सा है इन पंक्तियों में।
मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ स्वीकार करें। होली के समस्त रंग आपको वर्ष भर भिगोते रहें।
होली की शुभकामनाएं अमृता जी । फागुन के रंग में रंगे आपके इस प्रणय-गीत के क्या कहने ! यह हृदय के लिए है, वाणी के लिए नहीं ।
ReplyDeleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना आज शनिवार २७ मार्च २०२१ को शाम ५ बजे साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन " पर आप भी सादर आमंत्रित हैं ....धन्यवाद! ,
अदभुत!! "फागुन की रात" की कितना सुन्दर और दिलकश अंदाज में पेश कर दिया आपने,बस निशब्द हूं क्या तारिफ करूं. . आप को भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteलचकौंहाँ लगन लगी है, उलझौंहाँ बातें हैं
ReplyDeleteपर कुछ कहते हुए अधर क्यों थरथराते हैं ?
बढ़िया..
आभार..
सादर..
वाह! बहुत खूब । होली की हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteमने हमको जोगीरा गाने का मन हुआ,इसी को कहते है होरियाना। उल्लास की ऋतु, रस दीक्षा का माध्यम। गज़ब लिखती हो आप।
ReplyDeleteआज तो रंग रंग बिखर रहा । फागुन की रातों के साथ पूरी ज़िंदगी के पल पल याद कर लिए । बहुत सुंदर रचना ।
ReplyDeleteहोली की शुभकामनाएँ ।
क्या बात है,अमृता जी ! अजब शब्द गज़ब अंदाज,
ReplyDeleteहोली तो पीछे छूट गई,कविता की खुमारी में ।
प्रेम अगन है, प्रेम लगन है,लुट गए इस बीमारी में ।।
आपके शब्द यह अहसास कराते हैं, कि सच ये फागुन की राते हैं । होली की हार्दिक शुभकामनाएं एवम बधाई ।
ललछौंहाँ लगन लगी है , उकसौंहाँ बातें हैं
ReplyDeleteAhaaa!! प्रेमिल उन्मुक्त स्वीकारोक्ति फागुन की रातों के अभिसार की, श्रृंगार की, मनुहार की।। अविस्मरणीय रचना प्रिय अमृता जी इस प्रीत राग और होली के लिए ढेरों हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ❤❤🌹🙏🌹
हमेशा की तरह ही बेमिसाल, बहुत ही सुंदर रचना अमृता जी होली पर्व की आपको हार्दिक बधाई हो,नमन
ReplyDeleteफागुन में अनुरागी नायिका की तीव्र अनुभूतियों का बहुत सुंदर चित्रण. वाह!
ReplyDeleteफागुन की मस्ती में भीगी हुई रस से सिक्त सुंदर रचना ! होली की शुभकामनायें !
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत पोस्ट।
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बहुत सुन्दर रचना...होली की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना...होली की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteफागुन की मादक गंध से गमकती सुन्दर कविता. .
ReplyDeleteवाह! आज तो कलम भी ललछौंहां हुई जाती है।
ReplyDeleteफाल्गुनी बयार से मदमस्त श्रृंगार सृजन मोहक रचना।
सुंदर प्रस्तुति।
होली पर हार्दिक शुभकामनाएं।
फागुन की रातें
ReplyDeleteफागुन की रातों का खूबसूरत चित्रण
क्या खूब सोच
होली की हार्दिक। शुभकामनाएं
फागुन की रातों का मूड अलग ही होता है ...
ReplyDeleteपर शिद्दत बहुत होती है ऐसी रातों में ... जुदा अंदाज़ की रचना ...
खूबसूरत चित्रण
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मधुर रचना
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ReplyDeleteआप की पोस्ट बहुत अच्छी है आप अपनी रचना यहाँ भी प्राकाशित कर सकते हैं, व महान रचनाकरो की प्रसिद्ध रचना पढ सकते हैं।
ReplyDeleteहोली के अवसर पर सारे,
ReplyDeleteरंगों को मैं ले आऊँ,
और तुम्हारे जीवन में मैं,
उन रंगों को बिखराऊँ...
रंगोत्सव की शुभकामनाएं
–वाह! बहुत सुन्दर
ReplyDeleteशुभकामनाओं के संग बधाई
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteउन्मुक्त लौकिक और आलौकिक प्रेम की सरस और मधुर रचना,एक बार फिर से पढ़ी, मन को छू गई ।होली की बधाई और शुभकामनाएं प्रिय अमृता जी।🙏❤❤
ReplyDeleteवाह!अप्रतिम ये फागुन की रातें...
ReplyDeleteफिर से पढ़कर मन प्रफुल्लित हो गया।
सादर