दर्द के दरारों से
रिसते जख्मों को
वक्त के मलहम से छुपाना
नाकाम कोशिशें ही
साबित होती है
***
कभी-कभी
कतरनों को कुतरने में
दिल को जितना सुकून मिलता है
उतना तो पूरा मज़मून
हज़म कर के भी नहीं मिलता है
***
दूसरों के अफवाहों में
अपनी मौजों का
घुसपैठ कराना
रेत पर गुस्ताखियों का
सैलाब लाने जैसा है
***
हर हारे हुए खेल को
ताउम्र खेलने में
जो मजा है
वो किसी भी
जबर जीत में नहीं है
***
छिने हुए को
वापस छिनने की
खूबसूरत जिद भी
दिल को गुमराह
करने के लिए काफी है .
एक से बढ़ कर एक क्षणिकाएँ।
ReplyDeleteदूसरों के अफवाहों में
ReplyDeleteअपनी मौजों का
घुसपैठ कराना
रेत पर गुस्ताखियों का
सैलाब लाने जैसा है
अनमोल वचन..
सादर प्रणाम
कभी-कभी, कतरनों को कुतरने में
ReplyDeleteदिल को जितना सुकून मिलता है
उतना तो पूरा मज़मून
हज़म कर के भी नहीं मिलता है...
.....फिलासाफिकल व शानदार दर्शन।।।।
सुन्दर क्षणिकाएं..सारगर्भित तथ्यों की सुन्दर प्रस्तुति..
ReplyDeleteसभी ही खूबसूरत है लाजवाब , बहुत ही पसंद आयी, शुक्रिया आपका बधाई हो नमन
ReplyDeleteवाह। क्या खूब लिखा है आपने।🌻
ReplyDeleteकभी-कभी
ReplyDeleteकतरनों को कुतरने में
दिल को जितना सुकून मिलता है
उतना तो पूरा मज़मून
हज़म कर के भी नहीं मिलता है -----वाह बहुत खूब।
सुन्दर क्षणिकाएं।
ReplyDeleteआह्हा! वाहः!
ReplyDeleteआपकी लेखनी बेमिसाल है
उम्दा सृजन हेतु हार्दिक बधाई और साधुवाद
दिल की गहराई से से निकली हुई पीड़ा की खनक बहुत मीठी ही होती है
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 10.02.2021 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
वाह!गज़ब का सृजन।
ReplyDeleteसादर
सभी क्षणिकाएँ अपने-अपने अर्थ को जी रही हैं. यह तो बरबस हँसी तक ले आती है-
ReplyDeleteकभी-कभी
कतरनों को कुतरने में
दिल को जितना सुकून मिलता है
उतना तो पूरा मज़मून
हज़म कर के भी नहीं मिलता है
वाह!
सीधे अन्तर्मन में पैठ जाने वाली खूबसूरत और सशक्त क्षणिकाएं।
ReplyDeleteदिल को छूती बहुत सुंदर क्षणिकाएं,अमृता दी।
ReplyDeleteवाह अति सुन्दर।
ReplyDeleteबहुत बहुत बढिया
ReplyDeleteसभी ही खूबसूरत क्षणिकाएं
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